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Saptahik Rashifal

Saptahik Rashifal Aur Panchang, 27  अप्रैल से 4 मई 2025 तक की भविष्यवाणियां| प्रेम जीवन की भविष्यवाणी, आने वाले सप्ताह में किस राशि के जातकों को लाभ मिलेगा, आने वाले सप्ताह के महत्वपूर्ण दिन और राशिफल, जानें आने वाले सप्ताह में कितने सर्वार्थ सिद्धि योग और महत्वपूर्ण दिन मिलेंगे। आगामी साप्ताहिक सर्वार्थ सिद्धि योग: 27 अप्रैल को सूर्योदय से रात्री 1 बजे तक रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग | 29 अप्रैल को सूर्योदय से 9:45 रात्री तक रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग | 2 मई को 6:16 शाम से रात्री अंत तक रहेगा सर्वार्थसिद्धि योग. 4 मई को सूर्योदय से रात्री शाम 5:43 शाम तक रहेगा सर्वार्थसिद्धि योग. Saptahik Rashifal आइए अब जानते हैं कि आने वाले सप्ताह में हमें कौन से महत्वपूर्ण दिन मिलेंगे: अमावस्या 27 अप्रैल रविवार को है. गुरु अंगददेव जयंती 28 अप्रैल सोमवार को है.  अक्षय तृतीय ३० अप्रैल बुधवार को है.  विनायक चतुर्थी व्रत 1 मई को है.  संत सूरदास जयंती 2 मई को है. आगामी सप्ताह का पूरा पंचांग और महूरत पढ़ें आइए अब जानते हैं  27  अप्रैल से 4 मई   2025   के बीच र...

Kaise Kaam karti Hai Vastu Urja, कैसे काम करती है वास्तु उर्जा

Kaise Kaam karti Hai Vastu Urja, कैसे काम करती है वास्तु उर्जा, दिशा और सम्बंधित समस्याए

वास्तु विज्ञान भवन निर्माण के सिद्धांतो से भरा हुआ है और जो लोग इसका प्रयोग जीवन में करते हैं वो निश्चित ही किसी न किसी तरह से लाभान्वित होते ही हैं कारण की सकारात्माक उर्जा कभी नुक्सान नहीं करती. वास्तु विज्ञान के हिसाब से दुनिया में सभी तरफ उर्जा है. मुख्यतः जितनी भी दिशाए हैं उन सभी दिशाओं में कोई न कोई विशेष उर्जा का प्रभाव होता है और अगर घर, ऑफिस, फैक्ट्री आदि बनाने में इन वास्तु सिद्धांतो को ध्यान में रखा जाए तो सफलता निश्चित रूप से दिखाई पड़ती है.
vastu energy kaise kaam karti hai in hindi
कैसे काम करती है वास्तु उर्जा
वास्तु के सिद्धांत वास्तव में ऊर्जा के समन्वय के सिद्धांत है और जिस जगह पे उर्जाओं का संतुलन होगा वह धन, वैभव, विद्या, शांति सौहार्द्र का वातावरण स्वतः ही उत्पन्न हो जाएगा.
परन्तु जहा पर उर्जा का संतुलन नहीं होगा वहां विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होगी जैसे की स्वास्थय समस्याएं, धन समस्याएं, रोजगार की समस्याएं, संबंधों में दरार आदि. अतः उर्जा को संतुलित करना जरुरी है.

आइये जानते हैं कुछ दुष्प्रभाव वास्तु दोषों के :

पूर्व दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

ह्रदय से सम्बंधित समस्याएं, नेत्रों/आँखों से सम्बंधित समस्याएं, सामाजिक सफलता न मिलना, बच्चो में नकारात्मक ऊर्जा के होने से असंतोष उत्पन्न होना.

दक्षिण-पूर्व दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष होने पर महिलाओं का और पुरे परिवार के लोगो के स्वस्थ्य पर असर दिखाई पड़ता है कारण की ये अग्नि का स्थान है और उर्जा का स्थान है, इसे ठीक रखना जरुरी है .

दक्षिण दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष होने पर वैचारिक अंतर के कारण परिवार में और ऑफिस में समस्याएं उत्पन्न होती है साथ ही रोग भी पीछा नहीं छोड़ता.

दक्षिण-पश्चिम दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष के कारण परिवार के मुखिया के स्वस्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है साथ ही दुर्घटनाओं को भी जन्म देता है, चोरी के संभावनाओं को बढ़ाता है, आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ाता है, शत्रु से नुक्सान होने की संभावना बढती है, संपत्ति नाश होती है आदि.

पश्चिम दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष होने से संतान समस्याएं, कानूनी समस्याएं, आर्थिक समस्याएं पैदा होती हैं.

उत्तर – पश्चिम दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष होने से सर्दी , खांसी की समस्याए परेशान करती है साथ है , सम्पन्नता में बाधा उत्पन्न होती है. 

उत्तर दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष के कारण नर्वस सिस्टम अर्थात तंत्रिकाओं में समस्याए होती है , दिमागी शक्ति कमजोर होती है, कर्जा बढता है आदि. 

उत्तर- पूर्व दिशा में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

इस दिशा में दोष अनैतिक क्रियाओं को जन्म देता है, परिवार में कलह उत्पन्न करता है, समाज में नीचा देखना पड़ता है आदि.

केंद्र में वास्तु दोष के प्रभाव निम्न हो सकते हैं –

अगर किसी भूमि में केंद्र में वास्तु दोष हो तो वह अल्सियत पैदा करता है, लोगो को काम में असफलता मिलती है, हर कदम पे संघर्षो का सामना करना पड़ता है.

अतः हम कह सकते हैं की वास्तु दोषों के कारण कई परेशानिया जीवन को नरक बना सकती है और संघर्षो को जन्म दे सकती है , उचित होगा की साफ़ सफाई रखे और कुछ साधारण सिद्धांतो का धयान तो अवश्य रखे.

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