2024 में सोमवती अमावस कब है?, सोमवती अमावस्या को क्या करना चाहिए?, सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है?, ज्योतिष उपाय सफल जीवन के लिए, अमावस्या के लिए मंत्र. भारत मे साधारणतः ये देखा जाता है की सोमवती अमावस्या को लोग पवित्र नदियों मे स्नान करते है, विशेष पूजा पाठ करते है , दान करते है. 30 December 2024 को है "सोमवती अमावस्या" जब कुंडली में मौजूद चन्द्र दोष और पितृ दोष से छुटकारे के लिए विशेष पूजन किया जा सकता है | अमावस्या तिथि ३० दिसम्बर को तडके लगभग 4:03 बजे शुरू होगी और ३१ दिसम्बर को तडके लगभग 03:57 तक रहेगी जिससे अमावस्या की रात्री ३० की होगी | Somwati Amavasya Ka Mahattwa In Hindi आइये समझते है सोमवती अमावस्या को: जब अमावस सोमवार को आती है तब उसे सोमवती अमावस कहते हैं. ये भगवान् शिव के पूजा का विशेष दिन माना जाता है, पितरो के पूजन के लिए भी शुभ दिन है साथ ही चन्द्र देव के पूजन के लिए भी शक्तिशाली दिन माना जाता है ज्योतिष के अनुसार. Watch Video Here महाभारत मे भीष्म पितामह ने युधिस्ठिर को भी सोमवती अमावस्या के महत्त्व के बारे...
Vedc Jyotish Mai Kuch Mahattwapoorn Yoga, ज्योतिष में योग, क्या होते हैं योग और कैसे बनते हैं योग.
Vedc Jyotish Mai Kuch Mahattwapoorn Yoga |
भारतीय ज्योतिष में या फिर यूँ कहे की वैदिक ज्योतिष में योगो का महत्तव भी बहुत है, ये पुरे जीवन में अपना प्रभाव बनाए रखते हैं. योगो को जानकार भी बहुत कुछ जाना जा सकता है. योगो का निर्माण कुछ ग्रहों के परस्पर साथ में बैठने से या फिर एक विशेष अंतराल में कुंडली के भावों में बैठने से होता है.
वैसे तो हजारो योगो का निर्माण होता है परन्तु यहाँ जानकारी के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण योगो के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
1.समुद्र योग:
जब सभी ग्रह दुसरे, चोथे, छठे, आठवे, दसवें और बारहवे घर में बैठे तब समुद्र योग का निर्माण होता है. इस योग के कुंडली में होने से जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, विपरीत लिंग से भी अच्छे सम्बन्ध होते हैं परन्तु इनको कन्या संतान ज्यादा होते हैं.
2. यूप योग:
अगर सभी ग्रह पहले, दुसरे, तीसरे और चोथे घर में बैठ जाए तो यूप योग का निर्माण होता है कुंडली में. ऐसे जातक कुछ विचित्र तरह के रहते हैं और सांसारिक चीजे उनको ख़ुशी नहीं दे पाती हैं. इनको धन, वैभव से कोई लगाव नहीं होता पर ये गरीब नहीं होते हैं. ऐसे लोगो को योग, मंत्र साधना, आदि में आनंद अत है और इनके अच्छे व्यवहार के लिए ऐसे लोग समाज में जाने जाते हैं.
3.शर योग :
अगर सभी ग्रह चोथे , पाचवे, छठे और सातवे घर में विराजमान हो जाए तो शर योग a निर्माण होता है. इसे बहुत अच्छा और बहुत ख़राब योग नहीं बोल सकते हैं परन्तु संघर्षमय जीवन रहता है.
4.शक्ति योग :
अगर सभी ग्रह सातवे से दसवे घर तक में बैठ जाए कुंडली में तो शक्ति योग का निर्माण होता है. इस योग के कुंडली में होने से जातक दीर्घायु होता है, झगडालू होता है, अच्छा सैनिक हो सकता है, परन्तु अल्सियत भी होती है जिसके कारण इनको जीवन में परेशानियों का सामना करना होता है.
5. दंड योग :
जब साभी ग्रह कुंडली के दसवें से लेके पहले घर में विराजमान हो जाए तो दंड योग का निर्माण होता है. इस योग के कारण व्यक्ति गरीब, अपराधी, क्रूर , अभद्र बनता है. उसके व्यवहार के कारण उसे समाज से अलग रहना होता है.
6. स्त्रकमाला योग:
अगर सभी ग्रह कुंडली में केंद्र स्थानों में बैठ जाए तो ये योग बनता है. ऐसा जातक आर्थिक स्तर पर अच्छा होता है, वैभवशाली जीवन जीता है, शारीरिक तौर पर भी अच्छा होता है. विपरीत लिंग को आसानी से आकर्षित कर लेते हैं.
7. सर्प योग :
जब सभी ख़राब ग्रह कुंडली के केंद्र स्थानों में बैठ जाए तो सर्प योग का निर्माण होता है, इस योग के कारण जातक को भ्रमण करना होता है, अस्थिरता बनी रहती है, बदनामी के योग भी बनते हैं, जीवन संघर्षमय हो जाता है.
8. रज्जू योग :
अगर सभी ग्रह कुंडली में वृषभ, वृश्चिक, कुम्भ राशि के साथ बैठे हो तो रज्जू योग का निर्माण होता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति सुन्दर होता है, विद्वान् होता है, विदेश गमन करता है, गुस्सेल भी होता है. इनके सम्बन्ध नकारात्मक विचारों वाले व्यक्तियों से जल्दी बन जाते हैं.
9. मूसल योग :
जब सभी ग्रह मेष, कर्क, तुला और मकर राशि में स्थित हो तो मूसल योग का निर्माण होता है. इस योग के प्रभाव से जातक को समाज में बहुत सम्मान मिलता है, आर्थिक स्थिति अच्छी होती है.
10. नल योग :
अगर सभी ग्रह मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशी में स्थित हो जाए तो नल योग का निर्माण होता है. इस योग के कारण व्यक्ति सुन्दर, परिवार प्रेमी और चालक होता है. ऐसे जातक धोखा देके धन कमाने में माहिर होते हैं.
Vedc Jyotish Mai Kuch Mahattwapoorn Yoga, ज्योतिष में योग, क्या होते हैं योग और कैसे बनते हैं योग. 11. शूल योग :
अगर सभी ग्रह कुंडली के किन्ही 3 भावो में बैठ जाए तो शूल योग का निर्माण होता है. इस योग के कारण व्यक्ति साहसी होता है और उसे कही न कही चोट का निशान होता है. ऐसे लोग झगडालू और क्रोधी होते हैं. कितनी भी समस्या में हो पर इनमे सहानुभूति या सहिष्णुता नहीं उत्पन्न होती है.
12. केदार योग:
अगर सभी ग्रह कुंडली में किन्ही 4 भावो में बैठ जाय तो केदार योग का निर्माण होता है. ऐसे लोग किसानी से लाभ उठा सकते हैं, परोपकारी होते हैं, ख्याति और नाम प्राप्त करते हैं.
13. पाश योग :
जब सरे ग्रह कुंडली के पांच भावो में बैठ जाए तो पाश योग का निर्माण होता है. ऐसे लोग अस्थिर होते हैं , भ्रम उत्पन्न करते रहते हैं और उनमें खुद भी फंस जाते हैं, बातचीत में माहिर होते हैं.
14. दामिनी योग:
जब सभी ग्रह कुंडली के 6 भावों में बैठ जाए तो दामिनी योग का निर्माण होता है. इस योग के कारण जातक बुद्धिमान, संपन्न, ख्याति प्राप्त होता है. जीवन को बहुत अच्छी तरह से जीता है.
15. वीणा योग :
जब सभी ग्रह कुंडली में सात भावो में बैठ जाए तो वीणा योग का निर्माण होता है. ये व्यक्ति को रसिक, शौक़ीन बनता है. ऐसे लोग संपन्न होते हैं और चालाक भी होते हैं, खुश रहते हैं.
16. रूचक योग :
अगर मंगल स्व राशि में कुंडली के किसी केंद्र स्थान पे बैठ जाए या फिर मूल त्रिकोण में बैठ जाए तो रुचक योग का निर्माण होता है. इसके अलावा अगर शुभ मंगल भी केंद्र स्थान में बैठे तो भी रूचक योग बनता है. इसके प्रभाव से जातक ताकतवर, संपन्न, आस्तिक, और सामाजिक होता है.
17. भद्रक योग:
अगर बुध मूल त्रिकोण में हो स्व राशि का या फिर बहुत शुभ हो और केंद्र स्थानों में बैठा हो तो भद्रक योग बनता है. इस योग के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, स्वस्थ, दयावान, परोपकारी, संपन्न होता है.
18. हंस योग :
अगर मूल त्रिकोण का गुरु या फिर स्व राशी का गुरु या फिर शुभ गुरु किसी केंद्र भाव में बैठ जाए तो हंस योग का निर्माण होता है. इसके प्रभाव से जातक की त्वचा में चमक होता है, रंग भी अच्छा होता है, आकर्षक व्यक्तित्व होता है. ऐसा व्यक्ति अपनी आदतों, व्यक्तित्व के कारण बहुत प्रसिद्द होता है.
19. मालव्य योग :
अगर शुक्र मूल त्रिकोण का हो, या स्व राशि का हो या फिर बहुत शुभ हो और किसी केंद्र स्थान मे बैठा हो तो मालव्य योग का निर्माण होता है. इसके कारण भी व्यक्ति सुन्दर, पूजा पाठी, कामी होता है. विपरीत लिंग की तरफ आसानी से आकर्षित हो जाता है और संपन्न जीवन व्यतीत करता है.
20. सश योग :
अगर शनि मूल त्रिकोण में हो या फिर स्व राशी का हो या फिर शुभ होक केंद्र स्थान में विराजित हो तो सश योग का निर्माण होता है कुंडली में.
इस योग के प्रभाव से व्यक्ति धूर्त बनता है, लम्पट होता है, ये अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं. ऐसे लोगो से सावधान रहना चाहिए.
ये ज्योतिष के कुछ योग हैं परन्तु ये भी कहना चाहेंगे की सिर्फ एक योग को देखके कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, कुंडली के बाकी ग्रहों के कारण भी व्यक्ति के जीवन में बहुत कुछ बदल जाता है. अतः अनुभवी ज्योतिष से परामर्श लेना चाहिए.
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