Bansant panchmi 2025, भारत में बसंत पंचमी का त्यौहार, जानिए क्या महत्त्व है बसंत पंचमी का, क्या करे सफलता के लिए. हिंदी पंचांग के हिसाब से माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पांचवे दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. ये बहुत ही आनंद का दिन होता है क्यूंकि ये दिन बहुत ही शानदार मौसम का संकेत होता है. 2025 में बसंत पंचमी 02 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा | पंचमी तिथि 2 फ़रवरी को सुबह लगभग 9:16 बजे शुरू होगी और ३ तारीख को सुबह लगभग 6:54 तक रहेगी | Basant Panchmi Ka Mahattw इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है मुख्यतः, माँ सरस्वती विद्या की देवी है इसी कारण विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्त्व रखती है. ऐसा माना जाता है की माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था इसी कारण माता के जन्म दिवस के रूप में भी ये दिन मनाया जाता है. बसंत के मौसम में खेत पीले रंग से आच्छादित हो जाता है क्यूंकि सरसों के फूल खिल जाते हैं. इस दृश्य का लोग खूब आनंद लेते हैं. Watch Video here आइये जानते हैं बसंत पंचमी सम्बंधित महत्त्वपूर्ण बातें : Bansant panchmi 2025 मान्यता के अनुसार हिन्दू माघ महीने ...
ऋषि पंचमी कब है जानिए महत्त्व हिंदी में , क्या करे ऋषि पंचमी को, ऋषि पंचमी की कहानी, कर्मकांड ऋषि पंचमी से जुड़े, सप्त ऋषियों के नाम.
Rishi panchmi 2024: भाद्रपद के महीने में गणेश चतुर्थी के दुसरे दिन ऋषि पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है भारत में. ये दिन भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन मनाया जाता है. ये दिन बहुत महत्त्वा रखता है क्यूंकि इस दिन सप्त ऋषयो की पूजा होती है जिनके नाम है – कश्यप, अत्री, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम , जमदग्नि और वशिष्ठ. ऐसी मान्यता है की इनकी पूजा से रजस्वला दोष से मुक्ति मिल सकती है.
सन २०२४ में 8 सितम्बर रविवार को है ऋषि पंचमी |
ऋषि पंचमी का दिन महिलाओं के लिए ख़ास महत्त्व रखता है , इस दिन महिलायें व्रत रखती है , पूजाएँ करती है ताकि रजस्वला दोष से मुक्ति मिले. रजस्वला होने पर जाने अनजाने बहुत सी भूल हो जाती है और हिन्दू संस्कृति में इससे मुक्ति का मार्ग भी है और वो है ऋषि पंचमी के दिन सही तरीके से पूजा पाठ करना जिससे पापो से मुक्ति मिलती है.
क्या आप जानते हैं की ऋषि पंचमी से २ दिन पहले हरतालिका तीज मनाया जाता है?
क्या आप जानते हैं की ऋषि पंचमी से २ दिन पहले हरतालिका तीज मनाया जाता है?
आइये जानते हैं की क्या करना चाहिए ऋषि पंचमी को ?
ये दिन पवित्रता का दिन है , पापो से मुक्ति पाने का दिन है अतः प्रातः काल जल्दी उठ के क्रियाये शुरू की जाती है. इस दिन अपामार्ग का प्रयोग होता है शारीर को शुद्ध करने के लिए.महिलायें अपामार्ग/आंधीझाड़ा का प्रयोग करके दांत माजते हैं और नहाते भी हैं. अपामार्ग के १०८ डंडियों को सर पर रखके १०८ लौटे जल से नहाया जाता है. जो नदियों के पास रहते हैं वो नदी में १०८ दुबकी लगते हैं. पुरे दिन उपवास किया जाता है और अन्न नहीं खाया जाता है. सिर्फ मोरधन का ही भोजन खाया जाता है.
स्नान के बाद सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और उनसे सम्बंधित कहानी पढ़ी जाती है. सातो ऋषियों के नाम है कश्यप, अत्री, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम , जमदग्नि और वशिष्ठ. महिलायें उनसे अपने गलती के लिए क्षमा मांगती है.
क्या आप जानते हैं की ऋषि पंचमी के १ दिन पहले गणेश उत्सव प्रारंभ होता है ?
आइये जानते हैं की कौन कर सकता है ऋषि पंचमी की पूजा?
सही मायने में ये पूजा सभी कर सकते हैं क्यूंकि हर कोई जाने अनजाने रजस्वला होने के दौरान करता ही है. और दूसरा उपवास और पूजा से तन और मन दोनों ही शुद्ध होते हैं.आइये अब जाने हैं सप्त ऋषियों के आसान मंत्र:
- ॐ कश्यपाय नमः
- ॐ अत्रये नमः
- ॐ भरद्वाजाये नमः
- ॐ विश्वमित्राये नमः
- ॐ गौतमाये नमः
- ॐ जमद्ग्न्ये नमः
- ॐ वशिष्ठाये नमः
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