Hanuman Vadvanal Stotram Lyrics and Benefits in Hindi, हनुमान वडवानल स्तोत्र, शक्ति - साहस और सुरक्षा के लिए | Hanuman Vadvanal Stotram Lyrics and Benefits in Hindi: “वडवानल स्त्रोत्रम ” अत्यंत शक्तिशाली और उग्र प्रयोग है और इसके पाठ से हनुमानजी की कृपा से जातक की हर प्रकार से रक्षा होती है | शक्ति और साहस प्राप्त करने के लिए vadvanal strotra का पाठ अत्यंत ही लाभदायक होता है | अगर हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ नियमित किया जाए श्रद्धा और भक्ति से तो किसी भी प्रकार की नकारात्मकता हो, किसी भी प्रकार का भय हो, किसी भी प्रकार का रोग हो, दुःख हो सभी का नाश होता है | Hanuman Vadvanal Stotram Lyrics and Benefits in Hindi वडवानल स्त्रोत पाठ कैसे करें ? सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और अपने पूजन स्थल पर किसी आसन पर बैठ जाएँ | फिर श्री गणेश जी की पूजा करें और फिर श्री राम, सीताजी और हनुमानजी की पूजा करें | फिर वडवानल स्त्रोत का पाठ शुरू करें | भगवान से हृदय से प्रार्थना करें | वडवानल स्त्रोत पाठ से क्या लाभ होते हैं ?| Hanuman Vadvanal...
पक्ष और तिथियां क्या है ज्योतिष में, ज्योतिष सीखे, तिथियों के स्वामी कौन हैं जानिए हिंदी में.
ज्योतिष जानने वालो के लिए पक्ष और तिथियों की जानकारी अती महत्त्वपूर्ण है क्यूंकि महत्त्वपूर्ण कार्यो को करने के लिए महुरत निकालने में इनका उपयोग होता है.
२ पक्ष निम्न हैं :
पक्ष और तिथियां क्या है ज्योतिष में, paksh and tithi in vedic astrology, ज्योतिष सीखे, तिथियों के स्वामी कौन हैं जानिए हिंदी में.
ज्योतिष जानने वालो के लिए पक्ष और तिथियों की जानकारी अती महत्त्वपूर्ण है क्यूंकि महत्त्वपूर्ण कार्यो को करने के लिए महुरत निकालने में इनका उपयोग होता है.
paksh aur tithi |
आइये जानते हैं पक्ष और तिथियों के बारे में :
भारतीय ज्योतिष के हिसाब से कोई भी महिना २ पक्षों में विभाजित रहता है और हर पक्ष में १५ दिन होते हैं और हर पक्ष में १५ तिथियाँ भी होती हैं.२ पक्ष निम्न हैं :
- शुक्ल पक्ष – अमावस्या के दुसरे दिन से पूर्णिमा तक के दिन शुक्ल पक्ष में आते हैं.
- कृष्ण पक्ष – पूर्णिमा के दुसरे दिन से अमावस्या तक के दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं.
आइये अब जानते हैं तिथियों के बारे में:
- प्रतिपदा, ये किसी भी पक्ष का पहला दिन होता है जिसे एकम भी कहते हैं.
- द्वितीय, ये किसी भी पक्ष का दूसरा दिन होता है जिसे दूज भी कहते हैं.
- तृतीया, ये किसी भी पक्ष का तीसरा दिन होता है जिसे तीज भी कहते हैं.
- चतुर्थी, ये किसी भी पक्ष का चौथा दिन होता है जिसे चौथ भी कहते हैं.
- पंचमी, ये किसी भी पक्ष का पांचवा दिन होता है
- षष्ठी, ये किसी भी पक्ष का छठा दिन होता है जिसे छठ भी कहते हैं.
- सप्तमी, ये किसी भी पक्ष का सातवां
- अष्टमी, ये किसी भी पक्ष का आठवां दिन होता है
- नवमी, ये किसी भी पक्ष का नौवां दिन होता है
- दशमी, नवमी, ये किसी भी पक्ष का दसवां दिन होता है
- एकादशी, ये किसी भी पक्ष का ग्यारहवां दिन होता है
- द्वादशी, ये किसी भी पक्ष का बारहवां दिन होता है जिसे बारस भी कहते हैं.
- त्रयोदशी, ये किसी भी पक्ष का तेरहवां दिन होता है जिसे तेरस भी कहते हैं.
- चतुर्दशी, ये किसी भी पक्ष का चौदहवां दिन होता है.
- फिर अमावस्या या पूर्णिमा आती है.
आइये अब जानते हैं तिथियों के स्वामी कौन हैं ?
हर तिथि अपने स्वामी द्वारा नियंत्रित होते हैं वैदिक ज्योतिष के अनुसार और ये जरुरी है की कोई भी निर्णय से पहले इनका भी ध्यान रखा जाए. ज्योतिष प्रेमियों के लिए यहाँ पर हर तिथि के स्वामी की जानकारी दी जा रही है.- प्रतिपदा के स्वामी है अग्नि.
- द्वितीया के स्वामी है ब्रह्मा.
- तृतीया के स्वामी हैं गौरी.
- चतुर्थी के स्वामी हैं गणेश जी.
- पंचमी के स्वामी है शेष नाग.
- षष्ठी के स्वामी हैं कार्तिकेय
- सप्तमी के स्वामी हैं सूर्य.
- अष्टमी के स्वामी हैं शिवजी.
- नवमी के स्वामी हैं दुर्गाजी.
- दशमी के स्वामी हैं काल.
- एकादशी के स्वामी हैं विश्वदेव.
- द्वादशी के स्वामी हैं विष्णुजी.
- त्रयोदशी के स्वामी हैं काम देव.
- चतुर्दशी के स्वामी हैं शिव.
- पूर्णिमा के स्वामी हैं चन्द्रमा.
- अमावस्या के स्वामी हैं पितृ
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