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2025 Gochar Kundli New Year Rashifal

2025 Pravesh Kundli, नए साल में प्रवेश के समय ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी , जानिए 1 january की रात्रि 12:01 pe gochar kundli ki sthiti, भविष्यवाणी. नया साल नए सपनो को लेके आता है और नई उर्जा से हमे भर देता है, हम अपने लक्ष्य की और नए जोश के साथ बढ़ने के लिए नए संकल्प लेते हैं |  ग्रहों की स्थिति भी सभी लोगो को बहुत प्रभावित करती है | तो आइये जानते हैं की इस साल के प्रवेश के समय ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी और वर्ष की शुरुआत १२ राशियों के लिए क्या ख़ास लेके आ रहा है | 2025 Gochar Kundli New Year Rashifal  आइये जानते हैं नए साल की पहली कुंडली में ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी? हिन्दू पंचांग के अनुसार नए साल 2025 की शुरुआत शुक्ल पक्ष की एकम से होगी और दिन रहेगा बुधवार इसी के साथ गोचर कुंडली में कन्या लग्न रहेगा जिसके स्वामी बुध ग्रह है जो की इस बात का संकेत है की इस साल व्यापार व्यवसाय नई उंचाइयो को छुएगा | सूर्य और चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे | मंगल अपने नीच राशि में रहेंगे | बुध ग्रह वृश्चिक राशि में रहेंगे | गुरु ग्रह अपने शत्रु राशि वृषभ में रहेंगे | शुक्र अपने मित्र राशि कु...

Janmashtmi Mahattw In Hindi and Jyotish

Janmashtmi 2024 me kab hai, 2024 में जन्माष्टमी की वास्तविक तिथि की जानकारी?, कब रखें जन्माष्टमी व्रत?, रोहिणी नक्षत्र कब से कब तक है?, कृष्ण जन्म के लिए ज्योतिष उपाय |

शाश्त्रो के हिसाब से श्रीकृष्ण का जन्म- अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था | 

2024 में जन्माष्टमी 26 अगस्त सोमवार को है | अष्टमी तिथि 26 तारीख को लगभग तडके 3:41 AM  पे शुरू होगी और 27 तारीख को रात्री में लगभग 2:21 AM तक रहेगी | 

रोहिणी नक्षत्र 26 तारीख को दोपहर में लगभग 3:56 PM से शुरू होगा और 27 तारीख को लगभग 3:37 PM बजे तक रहेगा |



Janmashtmi 2024 me kab hai, 2024 में जन्माष्टमी की वास्तविक तिथि की जानकारी?, कब रखें जन्माष्टमी व्रत?, रोहिणी नक्षत्र कब से कब तक है?, कृष्ण जन्म
janmashtmi 2024


जन्माष्टमी 2024 पूजा मुहूर्त (Janmashtami 2024 Puja Muhurat):

  • श्रीकृष्ण पूजा का समय - 27 अगस्त को रात्री में 12:01 से 12:45 AM तक (निशीथ काल )
  • पूजा अवधि - 44 मिनट
कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा उत्सव है जो की सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु संसार के कई देशो में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. इसका कारण ये है की कृष्ण भक्त पुरे संसार में फैले हुए हैं.
जन्माष्टमी वह दिन हैं जब कृष्ण जी ने धरती पर जन्म लिया था.

कृष्ण जी को भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है और उनके अवतार लेने की दिव्य घटना अष्टमी की रात्री को घटी थी हिन्दू पंचांग के हिसाब से. अतः तभी से जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा. इस दिन लोग पूरी रात  संकीर्तन , कृष्ण मंत्र का जप आदि किया करते हैं.

Read in English about when is Janmashtmi in 2024


पढ़िए ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मन्त्र के फायदे

आइये जानते हैं जन्माष्टमी का ज्योतिषी महत्तव:

इस रात्रि का इन्तेजार भक्त लोग पुरे साल करते हैं, पूरी रात भक्तगण कृष्ण नाम के साथ झूमते हैं , गाते हैं, जगह जगह झांकियां सजाई जाती हैं, लोग घरो में भी झांकियां सजाते हैं और उत्सव मानते हैं.

झूला लगाया जाता है, उसमे बालगोपाल की मूर्ती रखी जाती है, रात्रि को लोग ह्रदय से बड़े हर्ष और उल्लास के साथ पूजन करते हैं बालगोपाल का.
  1. हिन्दू ग्रंथो के अनुसार साल में 4 ऐसी रात्रियाँ आती है जिनको की महारात्रि कहा जाता है. ये है- ‘शिव रात्रि ’, ‘होली रात्री’, ‘दिवाली रात्रि’ और ‘जन्माष्टमी रात्रि’.
  2. जन्माष्टमी को ‘मोहरात्रि’ के नाम से भी जाना जाता है. जन्माष्टमी की रात्रि का बहुत महत्तव है और ये रात तंत्र, मंत्र, साधना को सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसी कारण तांत्रिक, अघोरी लोग, साधक गण मान्त्रिक इस रात का पुरे वर्ष इन्तेजार करते हैं.
  3. इस रात्रि को वशीकरण क्रियाओं को भी सिद्ध किया जाता है.
  4. साधारण लोग भी इस रात का उपयोग दिव्य कृपा को प्राप्त करने के लिए करते हैं और इसके लिए नाम जप और संकीर्तन का सहारा लेते हैं.
  5. जन्माष्टमी की रात्रि एक दिव्य रात्रि है और पूरा वातावरण कृष्णमय हो जाता है इस दिन और रात को. भगवान् कृष्ण का जन्म धरती पर से पापियों के नाश के लिए हुआ था और उन्होंने ये काम बहुत अच्छी तरह से किया , इसी कारण लोग उनको आज भी पूजते हैं जिससे की उनके जीवन से भी नकारात्मकता का नाश हो.

दही-हांडी के खेल का महत्तव जन्माष्टमी को :

कृष्ण जन्म के अवसर पर एक विशेष आयोजन होता है और उसे कहते हैं दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता, इसके अंतर्गत एक निश्चित ऊँचाई पर एक हांडी या मटकी में दही भर के लटका दिया जाता है और लोगो को आमंत्रित किया जाता है इसे फोड़ने के लिए , जो फोड़ता है उसे इनाम भी मिलता है. इसको देखने के लिए लोगो की भीड़ लगी रहती है.
वास्तव में ये प्रतियोगिता कृष्ण जी के नटखट स्वभाव को याद करने के लिए किया जाता है, कृष्ण जी जब छोटे थे तो माखन चुरा के खा लिए करते थे, और गोपियों की मटकी फोड़ दिया करते थे. आज भी लोग उनकी शैतानियों को याद करके खुश होते हैं और विभिन्न आयोजन करते हैं.

2024 के कृष्ण जन्माष्टमी को गोचर कुंडली में ग्रहों की स्थिति :

इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त सोमवार को आ रही है और कृष्ण जी के पूजा के समय ग्रहों की स्थिति इस प्रकार की रहेगी -
  • गोचर कुंडली में गजकेसरी योग बना रहेगा |
  • चन्द्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में रहेंगे |
  • मंगल अपने शत्रु राशी मिथुन में रहेंगे |
  • बुध अपने शत्रु राशी कर्क में रहेंगे |
  • बृहस्पति अपने शत्रु राशी वृषभ में रहेंगे |
  • शुक्र अपने नीच राशि कन्या में रहेंगे |
  • शनि स्व राशि कुम्भ में रहेंगे |
  • राहू अपने मित्र राशी मीन में रहेंगे |
  • केतु अपने मित्र राशि कन्या में रहेंगे |
जन्माष्टमी को पूजा अर्चना करके विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है.

घर में जन्माष्टमी उत्सव मनाने का आसान तरीका :

  1. घर में किसी जगह को साफ़ करे और पवित्र जल छिड़क कर जगह को शुद्ध भी करे.
  2. वहाँ पर झुला लगाएं, बाल गोपाल जी की मूर्ति या फोटो लगाए और अपनी क्षमता के अनुसार आकर्षक सजाये.
  3. वहाँ पर पंचामृत, कपडे, भोग, धूप , दीप, शंख,  फूल,फल आदि रखे |
  4. ठीक अर्ध रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करे, इसके लिए उनका अभिषेक करे, उन्हें नए वस्त्र पहनाये फिर उनका पूजन कर भोग अर्पित करे , आरती करे और जीतना हो सके कृष्ण मंत्र जपे. फिर स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करे.
  5. फिर प्रसाद बांटे घर के लोगो में, पड़ोसियों में, भक्तो में.
इस प्रकार से कोई भी बहुत आसान तरीके से घर में भी पूजन कर सकते हैं बाल गोपाल का.
  • जन्माष्टमी की पूजा से स्वास्थ्य और सम्पन्नता प्राप्त किया जा सकता है.
  • जन्माष्टमी की पूजा से काले जादू के असर को भी ख़त्म किया जा सकता है.
  • बुरी नजर की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है.
  • बाल गोपाल की कृपा से भाग्योदय होता है |
  • जो लोग संतान समस्या से गुजर रहे हैं, वे लोग भी लाभ ले सकते हैं |
अतः इस पवित्र और शक्तिशाली रात्री का स्तेमाल करे और बनाए अपने जीवन को धन्य.

||आप सबको जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं || जय श्री कृष्णा ||

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