विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् , Vishnu Stotra १ करोड़ गौ दान, १०० अश्वमेध यज्ञ, १००० कन्यादान का फल, Vishnu ji ke 28 Names. अर्जुन ने महामयावी श्री कृष्ण से पूछा की मनुष्य आपके १००० नामों का जप कब तक करेंगे । आप मुझे अपने दिव्य नाम बताएं जिसके जाप से मनुष्य को असंख्य फल प्राप्त हो सके। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने 28 दिव्य नाम बताये जिसके जाप से कोई भी पापों से मुक्त हो सकता है, इन 28 नामो का जप रोज करने से व्यक्ति को एक करोड़ गौ दान, सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त होता है। अतः रोज इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए और जो रोज नहीं कर सकते हैं वे एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या को तो कर ही सकते हैं | Vishnurashtavinshatinam Strotram विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् आइये पाठ करते हैं दिव्य और भक्तिप्रदान करने वाले विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् का : Listen On YouTube अर्जुन उवाच किं नु नाम सहस्राणि जपते च पुनः पुनः यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव श्रीभगवानुवाच मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम्...
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Dhanu Raashi Rahasya |
- धनु राशि का स्वामी ग्रह है गुरु और इसका सम्बन्ध अग्नि तत्व से है. इसके द्वारा हम इमानदारी, स्वतन्त्रता, दबाने की शक्ति आदि का अध्यन करते हैं.
- धनु से सम्बंधित रत्न है पीला पुखराज, पीला हकिक.
- गुरुवार या Thursday इसका दिन है.
- आपके लिए शुभ दिशा है पूर्व.
- इसकी मित्र राशिय हैं – मेष, तुला, कुम्भ और सिंह.
- बेमेल राशियाँ है- वृषभ, कर्क , तुला, कन्या और मकर.
- जानिए धनु राशि का मंत्र कौन सा है ?
कुछ मुख्य बातें जानिये धनु राशि वालो के बारे में:
- इसका स्थान नवां है राशि चक्र में और ये गुरु ग्रह द्वारा नियंत्रित होता है. इसके कारण इस जातक को उत्साह, विश्वसनीयता, आत्मशक्ति, किस्मत, ज्ञान आदि की प्राप्ति सहज में ही हो जाती है.
- कभी कभार ऐसे जातक ज्यादा पद लेने के कारण अहंकार के वशीभूत भी हो जाता हैं.
- इनके पास सकारात्मक शक्ति होती है और दुसरो को भी ये सकारात्मक कर सकते हैं.
- समाज ये लोग अपनी विद्वता के कारण जाने जाते हैं.
- ये अपने समय का सदुपयोग करने में भी माहिर होते हैं. खोज करना भी इनकी एक आदत है और इसीलिए इनको घूमना भी पसंद होता है.
- काम में ये किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करते हैं.
चूँकि धनु राशी का स्वामी ग्रह गुरु है अतः कुंडली में इसकी स्थिति के अनुसार ही जातक का व्यक्तित्त्व होता है. अगर जन्म पत्रिका में गुरु शुभ अवस्था में है तो निश्चित ही जातक जीवन में बहुत तरक्की करता है अपने व्यक्तित्त्व के कारण वहीँ अगर कुंडली में गुरु अशुभ अवस्था में हो तो जातक के गुणों में कमी लाता है और जीवन में संघर्ष बढ़ता है |
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