April 2025 Poornima Ka Jyotish Prabhav, 12 Rashiyo Par Kya Asar Hoga Purnima ka, पूर्णिमा के उपाय. अप्रैल 2025 पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व: अप्रैल 2025 में पूर्णिमा अपने साथ ब्रह्मांडीय ऊर्जा, आत्मनिरीक्षण और परिवर्तन का एक शक्तिशाली मिश्रण लेकर आएगी। भारतीय पंचांग के अनुसार अप्रैल पूर्णिमा "12 अप्रैल, 2025, शनिवार" की रात को होगी और गोचर कुंडली में चंद्रमा "कन्या" राशि में 13 अप्रैल की सुबह 7:49 बजे तक रहेगा और फिर चंद्रमा "तुला" राशि में प्रवेश करेंगे जो रिश्तों, प्रेम, न्याय और आंतरिक संतुलन को बढ़ाने में मदद करेगा। April 2025 Poornima शुक्र द्वारा शासित तुला राशि प्रेम, साझेदारी, सौंदर्य और कूटनीति को नियंत्रित करती है। जब चन्द्रमा इस राशि में हो तो ब्रह्मांड हमें अपने व्यक्तिगत जीवन और कामकाजी जीवन में संतुलन की जांच करने के लिए प्रेरित करता है, हमें दूसरों के साथ और खुद के भीतर सामंजस्य की ओर धकेलती है। April 2025 Poornima Ka Jyotish Prabhav Watch Video Here आइये जानते हैं की १२ राशियों पर पूर्णिमा का क्या प्रभाव होगा? मेष राशि: अप्रैल 2025 पू...
क्या होता है पितृ दोष, क्यों होता है पित्र दोष, कैसे मुक्ति पायें पितृ दोष से, कैसे पायें सफलता जीवन में ज्योतिष द्वारा.
कुंडली में पितृ दोष एक महत्वपूर्ण दोष होता है और इसके कारण जातक को बहुत गंभीर परिणाम भुगतने होते हैं. पितर दोष के कारण जीवन में हर क्षेत्र में संघर्ष बढ़ जाता है अतः ये जरुरी है की इसके निवारण के उपाय किये जाए समय समय पर.
इससे पहले ले उपाय करे , ये जरुरी है की हम समझे की पितृ दोष वास्तव में होता क्या है और कैसे इससे मुक्ति पाई जाए.
आइये जानते हैं पितर दोष क्या होता है?
मृत्यु एक सच है जिसको किसी भी हालत में नकार नहीं सकते हैं और अगर कोई अपनी जिन्दगी पूर्ण रूप से जी कर, समस्त इच्छाओं को पूर्ण करके शांति से शारीर छोड़ता है तो उसकी सद्गति होती है परन्तु इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति अशांत रहता है, परेशान रहता है, किसी प्रकार के व्याधि से ग्रस्त रहता है, बहुत सारी अधूरी इच्छाएं रह जाती है और ऐसे समय में शारीर छोड़ता है तो उसकी मुक्ति संभव नहीं रहती है , ऐसी आत्मा भटकती रहती है और उसके कारण उनके वंसज को भी परिणाम भुगतना होता है.
ये हमारा कर्तव्य है की हम अपने पितरो के नाम से श्राद्ध करें, तर्पण करे और उनके उच्च गति के लिए प्रार्थना करे अन्यथा उनके श्राप का असर जीवन में दिखाई देता है.
Watch video here:कुंडली में पितृ दोष:
अब जानते हैं की किस प्रकार कुंडली में पितृ दोष को देखा जाता है. वैदिक ज्योतिष के हिसाब से सूर्य पिता कारक ग्रह है और अगर ये सूर्य कुंडली में पीड़ित हो जाए किसी वजह से तो पितर दोष कुंडली में बन जाता है. इसके कारण बहुत से गंभीर परिणाम जातक को भोगना होता है.
- अगर कुंडली में सूर्य नीच का हो जाए तो ऐसे में पितृ दोष बनेगा |
- जन्म कुंडली में अगर सूर्य शत्रु का हो या फिर राहू या केतु के साथ बैठ जाए तो भी पितृ दोष बनेगा |
पितृ दोष के परिणाम क्या हो सकते हैं?
- इसके कारण व्यक्ति को बार बार जीवन में कठिनाइयो का सामना करना पड़ सकता है.
- इसके कारण व्यक्ति को गंभीर बिमारी से ग्रस्त भी होना पड़ सकता है.
- इसके कारण व्यक्ति को शादी शुदा जीवन में समस्याए आ सकती है.
- शिक्षा प्राप्त करने में समस्या आ सकती है.
- अच्छी नौकरी प्राप्त करने में समस्या आ सकती है.
- व्यापार में सफलता नहीं मिल पाती है.
- संतान समस्याएं उत्पन्न हो जाती है.
- विवाह में विलम्ब हो सकता है या फिर बार बार रिश्ते टूटने लगते हैं.
- घर में कलह की स्थिति बनी रहती है. आदि
हर क्षेत्र में संघर्ष करना पड़ सकता है अतः ये जरुरी है की इसका निवारण शीघ्रातिशीघ्र किया जाए.
आइये अब जानते हैं पितृ दोष निवारण के उपाय:
- श्राद्ध पक्ष में पिंड दान और तर्पण जरुर करना चाहिए अपने पितरो के निमित्त.
- पितृ पक्ष में पितरो के नाम से अन्न और जल जरुर दान करना चाहिए और साथ ही गाय, कुत्ते, कौओ, भिक्षुकों को भोजन और जरुरत की चीजे दान करना चाहिए.
- हर महीने अमावस्या पर तर्पण जरुरु करना चाहिए.
- किसी भी शुभ कार्यक्रम या उत्सव से पहले पितरो का आशीर्वाद जरुर लेना चाहिए.
- घर में बड़ो को हमेशा सम्मान दे और उनका आशीर्वाद लेते रहे इससे भी लाभ होता है, घर में शान्ति बनी रहती है.
- शिव पूजा रोज करना चाहिए और पितर शांति हेतु प्रार्थना करना चाहिए.
कई बार समस्याओं का कारण कोई और गंभीर दोष भी हो सकता है अतः अच्छे ज्योतिष से सलाह लेके उपायों को श्रद्धा पूर्वक करते रहना चाहिए.
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