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Latest Astrology Updates in Hindi

Shani Ka Paya Kaise Dekhen Naye Saal Mai

Shani ka paaya kaise dekhen, नए साल में शनि का राशि परिवर्तन कब होगा, शनि पाया कब बदलेंगे, किन लोगो को शनि मालामाल कर देंगे, किनके जीवन में संघर्ष बढेगा, 2025 में शनि का पाया और उसके प्रभाव  | शनि का पाया देखना बहुत जरुरी है क्यूंकि शनि ग्रह का सबसे ज्यादा असर हमे देखने को मिलता है जीवन में, जब भी शनि राशि बदलते हैं उसके साथ ही साड़े साती, ढैय्या  और पाया भी बदल जाता है जिसके कारण लोगो के जीवन में बड़े परिवर्तन देखने को मिलते हैं | कुछ लोगो को बहुत धन लाभ होता है, हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है और कुछ लोगो के जीवन में संघर्ष बढ़ने लगता है | Shani Ka Paya Kaise Dekhen Naye Saal 2025Mai सबसे पहले जानते हैं की शनि का पाया कैसे देखते हैं ? वैदिक ज्योतिष के अनुसार अगर शनि ग्रह चन्द्र राशि से पहले, छठे या ग्यारहवें (1, 6, 11) भाव में हो तो “सोने का पाया” होगा | ये संघर्षो को जन्म देता है | अगर जन्म राशि से शनि ग्रह दूसरे, पांचवे या नवे (2, 5, 9) भाव में हो तो “चांदी का पाया” होता है | ये बहुत ही अच्छा माना जाता है |  Shani ka paaya kaise dekhen अगर जन्म राशि से शनि ग्रह तीसरे,...

Bhartiya Jyotish Aur Mahine Bhag 2

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हम ज्योतिष सीखिए भाग -1 में ये देख चुके है की ज्योतिष के महत्त्व क्या है, इसे वैदिक ज्योतिष क्यों कहते हैं, इसके ३ भाग क्या है आदि |

अब दूसरे पाठ मे हम जानेंगे -
  1. वैदिक महीनो के बारे में जिसका जिक्र हमे हिन्दू पंचांग में मिलता है |
  2. हम देखेंगे की ९ ग्रह कौन से है और इनकी हेसियत क्या है ?
  3. ग्रहों का सम्बन्ध कौन से तत्त्व से हैं ?
  4. उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होते हैं?

इसके अलावा अगर आप 9 ग्रहों के बारे मे जानना चाहते हैं तो भी आप यहाँ जान सकते हैं. ग्रहों को कौन सी उपाधि प्राप्त है इसे भी आप इस पाठ मे जानेंगे अर्थात कौन सा ग्रह राजा है, कौन मंत्री है आदि.
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कुंडली को पढने के समय ग्रहों का तत्त्वों से सम्बन्ध भी ध्यान रखना पड़ता है. इसे भी आप यहाँ जान पायेंगे, ५ तत्त्व होते हैं वायु, अग्नि, प्रथ्वी, आकाश और जल, हर ग्रह का सम्बन्ध किसी न किसी तत्त्व से होता है. इसके आधार पर उसका प्रभाव भी होता है.

सूर्य पुरे साल मे १२ राशियों से गुजरता है और इसी के आधार पर उत्तरायण और दक्षिणायन होता है, इसको भी हम जानेंगे इस अध्याय मे. महुरत निकालने मे इनकी जरुरत पड़ती है.

ज्योतिषी सीखिए के अध्याय 2 को पढने के बाद आप जान पायेंगे १२ महीनो के बारे मे, महीनो के वैदिक नाम, ग्रह तत्त्वो का सम्बन्ध, उत्तरायण और दक्षिणायन.

ये एक मजेदार विज्ञान है जिससे जितना जाना जाता है रस्य खुलते जाते हैं.


पिछले पाठ मे हमने देखा ज्योतिष क्या है और इसका महत्त्व क्या है. इस ज्योतिष के पाठ मे हम जानेंगे महीनो के बारे मे और ग्रहों से सम्बंधित कुछ जानकारियां.

चन्द्र मॉस के हिसाब से १२ महीने होते हैं जिसकी गणना शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से की जाती है.

You Tube में देखिये 

सूर्य मास के हिसाब से भी १२ महीने होते हैं जिसकी गणना मेष संक्रांति से होती है अर्थात जब सूर्य मेष राशि मे प्रवेश करता है उस समय से.

आइये अब जानते है १२ महीनो के नाम :

चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठा, आशाद, श्रवण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन.

आइये अब जानते हैं इन महीनो के वैदिक नाम :

मधु, माधव, शुक्र, शुची, नभ, नमस्य , इश, उर्ज, सह, शस्य, तप तपस्या

आइये अब जानते हैं कुछ ग्रहों के बारे मे:

ज्योतिष के हिसाब से 7 तो मुख्य ग्रह है और 2 छाया ग्रह है, इनके नाम है –
सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतु .

आइये अब जानते हैं की कौन से ग्रह की क्या हेसियत होती है:

  • सूर्य को ग्रहों के रजा के रूप मे मान्यता प्राप्त है.
  • चन्द्र को रानी के रूप मे लिया जाता है.
  • मंगल को सेनापति के रूप मे जानते हैं.
  • बुध को कुमार के रूप मे जानते हैं.
  • गुरु और शुक्र को मंत्री का पद प्राप्त है.
  • शनि को नौकर के रूप मे लिया जाता है.
व्यक्ति का व्यक्तित्त्व इस बात पर निर्भर करता है की जन्म के समय कौन से ग्रह का बल ज्यादा है. उदाहरण के लिए सूर्य और चन्द्र का बल ज्यादा होने पर व्यक्ति के अन्दर राजशाही अंदाज मे जीने की ख्वाहिश होती है. शक्तिशाली शनि व्यक्ति को अच्छा, ईमानदार और शक्तिशाली काम करने वाला बनता है, मंगल व्यक्ति को स्वतंत्र जीवन जीने की शक्ति देता है, अच्छा बुध व्यक्ति को राजकुमार जैसे जीवन दे सकता है.अतः भविष्यवाणी के समय इन सब चीजो को ध्यान मे रखना होता है.

आइये अब जानते हैं की ग्रहों का पांच तत्त्वों से क्या सम्बन्ध है?

  1. सूर्य का सम्बन्ध अग्नि तत्त्व से होता है.
  2. चन्द्र का सम्बन्ध जल से होता है.
  3. मंगल का सम्बन्ध अग्नि से होता है.
  4. बुध का सम्बन्ध प्रथ्वी तत्त्व से होता है.
  5. गुरु का सम्बन्ध आकाश तत्त्व से होता है.
  6. शुक्र का सम्बन्ध जल तत्त्व से होता है.
  7. शनि का सम्बन्ध वायु तत्त्व से होता है.

आइये अब उत्तरायण और दक्षिणायन के बारे मे जाने वैदिक ज्योतिष मे :

हर साल सूर्य १२ राशियों से गुजरता है. सूर्य एक राशि मे करीब १ महीने के लिए रहता है. सूर्य का १२ राशियों मे गुजरने को 2 भागो मे बात सकते है –
  1. जब सूर्य मकर से मिथुन राशी से गुजरता है तो उस समय को उत्तरायण कहते हैं.
  2. जब सूर्य कर्क से धनु राशी तक गुजरता है तो उसे दक्षिणायन कहते हैं.
अब इस jyotish lesson 3 मे हम जानेंगे की-
  1. १२ राशियाँ कौन सी हैं और उनका स्वभाव क्या है, ये हम विस्तार से देखेंगे |
  2. कुंडली मे राशियों के लिए अंक लिखे होते हैं. ज्योतिष उन अंको को देख कर कैसे राशी बता देते हैं.
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