Narayan Astra Mantra Ke Fayde Aur Lyrics, क्यों पढना चाहिए नारायण अस्त्र मन्त्र, किनके लिए बहुत फायदेमंद है | नारायण अस्त्र, भगवान विष्णु की कृपा से भक्तो की रक्षा करते हैं जो भी नारायण अस्त्र मंत्र का पाठ करते हैं उनकी रक्षा स्वयं नारायण करते हैं | ये मंत्र एक शातिशाली कवच है जिसको भेदना इस ब्रह्माण्ड में किसी के बस की बात नहीं है | इस मंत्र में भगवन श्री हरी से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाने के लिए प्रार्थना की गई है जैसे बीमारियाँ, सभी प्रकार के दोष, सभी प्रकार के बाधाएं आदि | इस मंत्र में शत्रुओं के नाश के लिए भी प्रार्थना की गई है | जीवन का ऐसा कोई संकट नहीं जो नारायण अस्त्र मंत्र के पाठ से दूर नहीं हो सकता हो | Narayan Astra Mantra Ke Fayde Aur Lyrics जो मनुष्य प्रतिदिन तीनो काल में नारायण अस्त्र का जाप करता है उसे दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन, विद्या, पराक्रम और हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है । इसके विधान में बताया गया है की - जो कोई भी इस मंत्र का भक्ति और संयम के साथ पाठ करता है वह विष्णु जी की कृपा से सुरक्षित हो जाता है, कोई भी विष उसका ...
vedic jyotish lesson 3 in hindi, 12 rashiyan aur unke swabhaav in details, how we can check zodiac by seeing he number in horoscope.
हम jyotish lesson 2 में ये देख चुके है की वैदिक महीनो के बारे में जिसका जिक्र हमे हिन्दू पंचांग में मिलता है , 9 ग्रह कौन से है और इनकी हेसियत क्या है ?, ग्रहों का सम्बन्ध कौन से तत्त्व से हैं ?, उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होते हैं? |
अब इस jyotish lesson 3 मे हम जानेंगे की-
इससे ये भी जान लेते हैं की कौन से भाव मे कौन सी राशि है. उदाहरण के लिए १ अंक मेष राशी को बताता है, ४ अंक कर्क को बताता है, 9 धनु को बताता है, १२ मीन राशी को बताता है आदि. इस पाठ मे आप इनके बारे मे पूर्ण जानकारी पायेंगे.
राशि चक्र मे हर राशी का अपना एक विशेष स्थान है और उसके लिए हम उसके डिग्री का अध्ययन करते हैं. इस पाठ मे हम इसके बारे मे भी पढेंगे.
हर राशी का एक स्वामी होता है जिसके बारे मे जानना भी आवश्यक है अगर कुंडली को पढना है. इससे भी बहुत कुछ पता चल जाता है.
यही नहीं हर राशि का अपना रंग, लिंग और वर्ण भी होता है. इन सभी के बारे मे हम ज्योतिष सीखिए के पाठ ३ मे पढेंगे.
हमारा स्वभाव राशि पर निर्भर करता है अतः ज्योतिष राशि को जानकार स्वभाव के बारे मे भी जान जाते हैं. इस पाठ को पढ़कर आप बहुत कुछ इस बारे मे जान जायेंगे.
ज्योतिष मे राशियों का बहुत महत्त्व है क्यूंकि हर व्यक्ति की एक राशी होती है जो की उस व्यक्ति के स्वाभाव को प्रभावित करती है. अतः किसी के राशी को जानकार हम उसके स्वभाव और व्यक्तित्त्व के बारे मे जान सकते हैं.
हम jyotish lesson 2 में ये देख चुके है की वैदिक महीनो के बारे में जिसका जिक्र हमे हिन्दू पंचांग में मिलता है , 9 ग्रह कौन से है और इनकी हेसियत क्या है ?, ग्रहों का सम्बन्ध कौन से तत्त्व से हैं ?, उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होते हैं? |
अब इस jyotish lesson 3 मे हम जानेंगे की-
- १२ राशियाँ कौन सी हैं और उनका स्वभाव क्या है, ये हम विस्तार से देखेंगे |
- कुंडली मे राशियों के लिए अंक लिखे होते हैं. ज्योतिष उन अंको को देख कर कैसे राशी बता देते हैं.
jyotish lesson part 3 |
इससे ये भी जान लेते हैं की कौन से भाव मे कौन सी राशि है. उदाहरण के लिए १ अंक मेष राशी को बताता है, ४ अंक कर्क को बताता है, 9 धनु को बताता है, १२ मीन राशी को बताता है आदि. इस पाठ मे आप इनके बारे मे पूर्ण जानकारी पायेंगे.
राशि चक्र मे हर राशी का अपना एक विशेष स्थान है और उसके लिए हम उसके डिग्री का अध्ययन करते हैं. इस पाठ मे हम इसके बारे मे भी पढेंगे.
हर राशी का एक स्वामी होता है जिसके बारे मे जानना भी आवश्यक है अगर कुंडली को पढना है. इससे भी बहुत कुछ पता चल जाता है.
यही नहीं हर राशि का अपना रंग, लिंग और वर्ण भी होता है. इन सभी के बारे मे हम ज्योतिष सीखिए के पाठ ३ मे पढेंगे.
हमारा स्वभाव राशि पर निर्भर करता है अतः ज्योतिष राशि को जानकार स्वभाव के बारे मे भी जान जाते हैं. इस पाठ को पढ़कर आप बहुत कुछ इस बारे मे जान जायेंगे.
ज्योतिष मे राशियों का बहुत महत्त्व है क्यूंकि हर व्यक्ति की एक राशी होती है जो की उस व्यक्ति के स्वाभाव को प्रभावित करती है. अतः किसी के राशी को जानकार हम उसके स्वभाव और व्यक्तित्त्व के बारे मे जान सकते हैं.
know about 12 rashi in hindi |
आइये जानते है की कैसे जाने किसी के राशी को ?
किसी के राशी को जानने के लिए उसकी कुंडली बनाना जरुरी है, राशी को अंग्रेजी मे zodiac कहते हैं. सबसे पहले ये देखिये की चन्द्रमा कौन से भाव मे बैठा है और वह पे कौन सा अंक लिखा है. हर अंक एक राशी को बताता है. जो अंक चन्द्रमा के साथ होगा वही उस व्यक्ति की राशि होगी. उदाहरण के लिए अगर चन्द्रमा अंक ४ के साथ बैठा हो तो राशी होगी कर्क.
आइये अब जानते है कौन सा अंक कौन से राशी से सम्बन्ध रखता है :
- मेष राशी
- वृषभ राशि
- मिथुन राशी
- कर्क राशी
- सिंह राशी
- कन्या राशी
- तुला राशी
- वृश्चिक राशी
- धनु राशी
- मकर राशी
- कुम्भ राशी
- मीन राशी
आइये अब जानते हैं १२ राशियों के बारे मे विस्तार से :
1-मेष राशी –
- ये पहली राशी है और १ से 30 डिग्री तक का स्थान राशी चक्र मे इसका होता है. ये भेड़ जैसी दिखती है जिस प्रकार भेड़ लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है उसी प्रकार मेष राशी के लोग भी शक्तिशाली होते हैं और उग्रता नजर आ सकते हैं. अगर वातावरण बन जाए तो ये लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे.
- मेष राशी का स्वभाव बहुत चंचल होता है.
- मेष राशी का स्वामी ग्रह मंगल है.
- इससे सम्बंधित रंग लाल है.
- लिंग है पुरुष
- इसका निवास स्थान जंगल होता है.
- मेष राशी से सम्बंधित तत्त्व है अग्नि.
- वर्ण है क्षत्रिय
- इसका असर मुख्यतः सर पर होता है और व्यक्ति को निर्भीक, दोस्तों के प्रति इमानदार, गुस्सेल आदि बनता है. इससे व्यक्ति के अन्दर अहंकार भी पैदा होता है. मेष राशी रात को शक्तिशाली होती है.
2. वृषभ राशि :
- ये वृषभ जैसी दिखती है, राशी चक्र मे इसका स्थान 30 से ६० डिग्री तक होता है.
- ये राशी स्थिर स्वभाव की होती है और इसका स्वामी शुक्र होता है.
- इससे सम्बंधित रंग सफ़ेद है और इसका सम्बन्ध दक्षिण दिशा से है.
- लिंग है स्त्रीलिंग.
- वृषभ राशी का निवास जल स्थान, घास युक्त मैदान आदि मे होता है.
- इसका सम्बन्ध पृथ्वी तत्त्व से होता है.
- इसका असर मुख्यतः चेहरे और जबड़े मे रहता है.
- वृषभ राशी के कारन व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है, थोडा बहुत स्वार्थी भी होता है, बुद्धिमान भी होता है, सांसारिक कार्यो मे कुशल होता है. वृषभ राशी के लोग वृषभ जैसे शक्तिशाली होते हैं काम करने मे और रात्रि को ज्यादा शक्तिशाली होते हैं.
3-मिथुन राशी –
- राशी चक्र मे मिथुन राशी का स्थान ६० से ९० डिग्री तक होता है. इसका चिन्ह स्त्री और पुरुष के जोड़े जैसा होता है. इसका स्वभाव मिश्रित होता है.
- मिथुन राशी का स्वामी बुध ग्रह होता है.
- इससे सम्बंधित रंग हरा होता है.
- इसका सम्बन्ध पश्चिम दिशा से होता है.
- लिंग पुरुष होता है.
- मिथुन राशी का निवास स्थान शयन कक्ष, बगीचा, जुआ खाना अदि मे होता है.
- इसका सम्बन्ध वायु तत्त्व से होता है.
- वर्ण शुद्र होता है.
- इसका प्रभाव मुख्यतः फेफड़ो, गला, बाहों, और स्वशन प्रणाली पर होता है.
- मिथुन राशी दिन मे शक्तिशाली होता है.
- ये व्यक्ति को बुद्धिमान और कलाकार बनता है.
4-कर्क राशि –
- ये चौथी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान ९० से १२० डिग्री तक है. कर्क राशी का स्वामी चन्द्रमा होता है.
- इसका स्वभाव गतिशील होता है.
- इसका सम्बंधित रंग सफ़ेद या गुलाबहि होता है.
- कर्क राशी की दिशा उत्तर होती है.
- इसका निवास स्थान तालाब, नदी का किनारा, बालू स्थान अदि होता है.
- इससे सम्बंधित तत्त्व जल है.
- वर्ण शुद्र होता है.
- कर्क राशी का मुख्य प्रभाव पेट, किडनी, ह्रदय, ब्रैस्ट आदि पर होता है.
- इस राशी के लोग सांसारिक सुख को प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करते हैं, ये शर्मीले भी होते हैं पर बुद्धिमान होते हैं,समय के पाबंद होते हैं, बहार से कठोर दीख सकते हैं परन्तु अन्दर से कोमल स्वभाव के होते हैं.
5- सिंह राशी –
- ये राशी का चिन्ह शेर जैसा होता है और पांचवी राशी है. राशी चक्र मे इसका स्थान १२० से १५० डिग्री तक होता है. इसका स्वामी ग्रह सूर्य है.
- ये स्थिर स्वाभाव की राशी है और सम्बंधित रंग पिला है.
- इसकी दिशा पूर्व है.
- लिंग पुरुष है.
- सिंह राशी पहाड़ो, गुफा, जंगल आदि मे निवास करती है.
- इसका प्रभाव मुख्यतः पेट, पाचन तंत्र, ह्रदय आदि मे होता है.
- इस राशी के स्वामी स्वस्थ, परोपकारी, घुम्मकड़ स्वाभाव के हो सकते हैं.
6-कन्या राशी –
- ये छठी राशी है और इसका चिन्ह नाव चलाती हुई लड़की जैसा होता है. राशी चक्र मे इसका स्थान १५० से १८० डिग्री तक है.
- इसका स्वभाव स्थिर नहीं रहता है और इसका स्वामी ग्रह है बुध.
- सम्बंधित रंग है हरा.
- लिंग है स्त्री.
- कन्या राशी का निवास स्थान है घास युक्त मैदान.
- इससे सम्बंधित तत्त्व है पृथ्वी.
- वर्ण है शुद्र.
- शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः कमर, अंतड़ियों पर और पेट से निचे के भाग पर होता है.
- ऐसे लोग स्व-सम्मान का ख्याल रखते हैं और ज्ञान पाने के लिए लालायित रहते हैं अपने आपको बढाने के लिए.
- ये राशी रात्रि को ताकतवर होती है.
7- तुला राशी –
- ये सातवी राशी है और इसका चिन्ह हाथ मे तराजू लिए जैसा दीखता है. राशी चक्र मे इसका स्थान १८० से २१० डिग्री तक है. इसका स्वाभाव अस्थिर है. तुला राशी का स्वामी शुक्र ग्रह है. सम्बंधित रंग थोडा कालापन लिए है.
- सम्बंधित दिशा पश्चिम है.
- लिंग पुरुष है.
- इसका निवास स्थान व्यापारिक जगह होती है.
- तुला राशी का सम्बन्ध वायु तत्त्व से होता है.
- वर्ण शुद्र है.
- शारीर मे मुख्यतः ये नाभि के निचे के भाग पर प्रभाव रखता है.
- शुक्र ग्रह से सम्बन्ध होने के कारण व्यक्ति का रुझान काला की तरफ होता है, चकाचौंध की तरफ होता है.
- ये राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.
8 - वृश्चिक राशी –
- इसका चिन्ह वृश्चिक जैसा होता है और राशी चक्र मे इसका स्थान आठवां है २१० से २४० डिग्री तक.
- ये स्थिर राशी है
- इसका स्वामी ग्रह मंगल है.
- इससे सम्बंधित रंग सफ़ेद और सुनहरा है.
- इससे सम्बंधित दिशा उत्तर है.
- लिंग स्त्री है.
- इसका निवास स्थान है पथरीला इलाका, गुफा आदि.
- इससे सम्बंधित तत्त्व है जल.
- वृश्चिक राशी का सम्बन्ध ब्राह्मण वर्ण से है.
- शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः सेक्स अंगो पर रहता है.
- ये व्यक्ति को जिद्दी, सीधे बात करने वाला, आत्मशक्ति वाला बनाता है.
- वृश्चिक राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.
9-धनु राशी –
- इस राशी का चिन्ह आधा घोड़ा और आधा आदमी हाथ मे धनुष लिए होता है. ये नवी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान २४० से २७० डिग्री तक होता है.
- इसका स्वभाव मिश्रित होता है.
- इससे सम्बंधित रंग सुनहरा होता है.
- धनु राशी का स्वामी गुरु होता है
- दिशा है पूर्व.
- लिंग है पुरुष.
- इसका निवास स्थान महल, घुद्शाल आदि.
- इससे सम्बंधित तत्त्व है अग्नि.
- धनु राशी का वर्ण है क्षत्रिय.
- शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः लीवर/यकृत, धमनियों और नसों मे होता है.
- ऐसे लोग ताकतवर होते हैं और उनकी नियंत्रण करने की शक्ति भी अच्छी होती है.
10 - मकर राशी –
- इसका चिन्ह मगरमच्छ का शारीर और हिरन का मुह लिए होता है. ये दसवीं राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान २७० से ३०० डिग्री तक होता है.
- इसका स्वभाव चंचल और अस्थिर होता है.
- मकर राशी का स्वभाव चंचल होता है और इसका स्वामी शनि है.
- लिंग पुरुष है.
- मकर राशी का निवास स्थान जल से सम्बंधित इलाके होते हैं और जंगल.
- मकर राशी से सम्बंधित तत्त्व है पृथ्वी
- वर्ण है वैश्य.
- शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः घुटना, हड्डी और जोड़ो पर होता है.
- ऐसे लोग किसी ख़ास लक्ष्य को रखते हैं, अच्छा शारीर भी होता है और लगातार तरक्की चाहते हैं.
- मकर राशी रात्रि को शक्तिशाली होती है .
11- कुम्भ राशी –
- इसका चिन्ह बाँहों मे मटका लिए जैसा है. ये ग्यारहवी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान ३०० से ३३० डिग्री तक है.
- कुम्भ राशी का स्वभाव स्थिर रहता है.
- इसका स्वामी शनि है.
- रंग है चितकबरा.
- इस राशी की दिशा है पश्चिम.
- लिंग है पुरुष.
- कुम्भ राशी का निवास जल के पास और कुम्हार के यहाँ होता है.
- इससे सम्बंधित तत्त्व है वायु.
- वर्ण है शुद्र.
- इसका प्रभाव मुख्यतः खून/रक्त मे होता है.
- ऐसे लोग धार्मिक होते हैं, शांत प्रकृति के हो सकते हैं, उत्साहित और शोध करने मे विश्वास रखते हैं.
- ये राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.
12 - मीन राशी –
- इसका चिन्ह 2 मछलियाँ अपनी पूछ की तरफ देखते हुए है. राशी चक्र मे इसका स्थान बारहवा है और ३३० से ३६० डिग्री तक है.
- मीन राशी का स्वाभाव मिश्रित होता है.
- इसका स्वामी गुरु ग्रह है.
- सम्बंधित रंग मिश्रित है.
- मीन राशी की दिशा उत्तर है.
- लिंग है स्त्री.
- मीन राशी का निवास जल, नदी, तालाब, समुन्दर आदि मे है.
- सम्बंधित तत्त्व जल है.
- इसका वर्ण ब्राह्मण है
- शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः पाँव पर होता है, कफ पर भी होता है.
- ऐसे व्यक्ति उदार और अच्छे व्यवहार के होते हैं.
- मीन राशी रात्रि मे ताकतवर होती है.
तो इस पाठ मे हमने जाना १२ राशियों के बारे मे, उम्मीद करते हैं की इससे बहुत कुछ पाठको को लाभ हुआ होगा. जुड़े रहिये और जानते रहिये ज्योतिष के बारे मे रोज और लगातार.
अगले jyotish lesson4 में हम और जानेंगे
१२ राशियाँ वैदिक ज्योतिष मे भाग ३, बारा राशियों का स्वाभाव और प्रभाव हिंदी मे ज्योतिष द्वारा,vedic jyotish lesson 3 in hindi, 12 rashiyan aur unke swabhaav in details, how we can check zodiac by seeing he number in horoscope.
अगले jyotish lesson4 में हम और जानेंगे
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