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Vishnurashtavinshatinam Strotram विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम्

विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् , Vishnu Stotra १ करोड़ गौ दान, १०० अश्वमेध यज्ञ, १००० कन्यादान का फल, Vishnu ji ke 28 Names. अर्जुन ने महामयावी श्री कृष्ण से पूछा की मनुष्य आपके १००० नामों का जप  कब तक करेंगे । आप मुझे अपने दिव्य नाम बताएं जिसके जाप से मनुष्य को असंख्य फल प्राप्त हो सके।  तब  श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने 28 दिव्य नाम बताये जिसके जाप से कोई भी पापों से मुक्त हो सकता है, इन 28 नामो का जप रोज करने से व्यक्ति को एक करोड़ गौ दान, सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त  होता है।  अतः रोज इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए और जो रोज नहीं कर सकते हैं वे एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या को तो कर ही सकते हैं |  Vishnurashtavinshatinam Strotram विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् आइये पाठ करते हैं दिव्य और भक्तिप्रदान करने वाले विष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् का : Listen On YouTube अर्जुन उवाच किं नु नाम सहस्राणि जपते च पुनः पुनः यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव श्रीभगवानुवाच मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम्...

Rukmani Ashtmi Ka Mahattw In Hindi

Rukmani ashtmi kab hai 2024 mai, रुक्मणी अष्टमी का महत्त्व , कौन है रुक्मणी हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्या करे इस दिन सफलता के लिए, कब मनाया जाता है रुक्मणी अष्टमी?

जीवन में प्रेम रस और प्रेम संबंधो को बढाने के लिए एक ख़ास दिन, विवाह में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए भी एक ख़ास दिन है और वो है पौष महीने की अष्टमी |

2024 में 4 जनवरी गुरुवार को रुक्मणि अष्टमी मनाई जायेगी 

हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष महीने में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ रुक्मणी अष्टमी मनाई जाती है. भक्तगण इस दिन कृष्ण और रुक्मणी जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
Rukmani ashtmi kab hai 2024 mai, रुक्मणी अष्टमी का महत्त्व , कौन है रुक्मणी हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्या करे
Rukmani Ashtmi Ka Mahattw In Hindi

मान्यता के अनुसार रुक्मणी जी माता लक्ष्मी का अवतार थी और भगवान् कृष्ण जो की विष्णु जी के अवतार थे  की पहली पत्नी थी. रुक्मणी अष्टमी के दिन हम कृष्ण मंदिरों में , इस्कोन मंदिरों में, मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन आदि में भक्तो की भीड़ को देख सकते हैं.

रुक्मणी जी राजा भिश्मिका जो की विधर्भ पर राज करते थे की पुत्री थी. उनको श्री कृष्ण से प्रेम हो गया था और वो उनसे विवाह करना चाहती थी , उनके माता पिता भी तैयार थे परन्तु भाई राजी नहीं थे. अतः कृष्ण जी ने उन्हें मंदिर से ही अपने साथ ले गए.

आइये जानते हैं रुक्मणी अष्टमी का महत्त्व :

ऐसी मान्यता है की रुक्मणी जी का जन्म पौष महीने में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था अतः माता लक्ष्मी के अवतार के याद में ये दिन आज भी हर्सोल्लास से मनाया जाता है.
 
भक्तो का विश्वास है की अगर इस दिन व्रत/उपवास करके पूजा की जाए तो माता की कृपा जरुर प्राप्त होती है जीवन में शांति और सम्पन्नता आती है. अतः भक्तगण रात और दिन कृष्ण और रुक्मणी जी के मंत्रो का पाठ और भजन गाते हैं. 

जानिए रुक्मणी अष्टकम के फायदे 

आइये जानते हैं की रुक्मणी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या कर सकते हैं ?

वास्तव में रुक्मणी जी को अकेले पूजना ठीक नहीं होता है , हमेशा कृष्ण जी को उनके साथ पूजना सही होता है. भक्तगण इस दिन विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करते हैं, धुप देते हैं, दीप जलाते हैं और भजन गाते हैं, मन्त्र पाठ करते हैं दिन-रात. कुछ लोग कृष्ण मंदिरों में मिठाइयाँ बाटते हैं रुक्मणी जी के जन्मदिन के ख़ुशी में.
 
अगर आप भी रुक्मणी जी को मानते हैं तो इस दिन उपवास करे और किसी भी कृष्ण या फिर रुक्मणी जी के मंत्र का जप करे और प्रार्थना करे सुख-शांति और सम्पन्नता के लिए. हो सके तो षोडशोपचार पूजा करे, प्रसाद का वितरण करे, आनंद करे.

आइये जानते हैं की क्या फायदे हो सकते हैं रुक्मणी अष्टमी की पूजा के ?

  1. जिन लोगो को विवाह के लिए जीवन साथी की तलाश हो और कठिनाई आ रही हो उनको रुक्मणी जी और कृष्ण जी की साथ में पूजा करनी चाहिए. ये दोनों सच्चे प्रेम की निशानी है और इनकी कृपा से निश्चित ही सफल विवाह हो सकता है.
  2. जो लोग जीवन में सम्पन्नता चाहते हैं उनके लिए भी इस दिन विशेष पूजा अर्चना करने का समय होता है.
  3. जो लोग जीवन में प्रेम के लिए तरस रहे हैं उन्हें रुक्मणि अष्टमी के दिन जरुर कृष्ण जी के साथ रुक्मणि जी की पूजा करनी चाहिए |
  4. जो लोग मन पसंद की शादी करना चाहते हैं उन्हें भी इस दिन कृष्ण और रुक्मणि जी से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए | 

आइये जानते हैं पूजन का आसान तरीका :

  1. सबसे पहले पूजन स्थल को साफ़ करे और पवित्र जल से पोछा लगा दे |
  2. अब वहां पे एक चौकी पे भगवन श्री गणेश, श्री कृष्ण और माता रुक्मणि का फोटो स्थापित करे |
  3. सबसे पहले श्री गणेश का पूजन करे और फिर कृष्णजी और माता रुक्मणि जी का पूजन करे | आप पंचोपचार पूजन कर सकते हैं |
  4. किसी भी कृष्ण और रुक्मणि जी के मन्त्र का जप कर सकते हैं जैसे आप कृष्ण गायत्री मन्त्र का जप कर सकते हैं |


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