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Latest Astrology Updates in Hindi

March Mahine Ki Purnima Ka 12 Rashiyo Par Prabhav

March Mahine Ki Purnima Ka 12 Rashiyo Par Prabhav, मार्च पूर्णिमा का 12 राशियों पर प्रभाव, ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित करेगी। ज्योतिषीय दृष्टि से, पूर्णिमा जीवन को ठीक करने, व्यवस्थित करने और संतुलित करने में मदद करती है। पूर्णिमा मन में स्पष्टता बढ़ाती है और भावनाओं को बढ़ाती है। मार्च 2025 में 14 मार्च को पूर्णिमा है और चन्द्रमा अपने पूर्ण आभा से चमकेगा. इसके साथ ही चंद्र ग्रहण होगा और इसलिए हम मूड, सोच प्रक्रिया, भावनाओं आदि में बड़े बदलाव देखेंगे। March Mahine Ki Purnima Ka 12 Rashiyo Par Prabhav ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा का सम्बन्ध मन, समुद्री सामग्री, औषधीय पौधों, मनोरंजन, यात्रा, जल, मोती, दूध उद्योग, अंतर्ज्ञान, भावनाओं और अवचेतना आदि से होता है |  आइये जानते हैं की 14 मार्च को पूर्णिमा के साथ चन्द्र ग्रहण का क्या प्रभाव होगा १२ राशियों पर ? मेष राशि : मार्च महीने की पूर्णिमा और ग्रहण जहाँ मेष राशि के लोगो को काम काज और पारिवारिक जीवन में चुनौतियों सामना करना पड़ेगा वहीँ अध्यात्मिक अभ्यास करने वालो के लिए आगे बढ़ने के नए द्वार खोलेगा....

Kaise Kare Tarpan In Hindi

कैसे करे तर्पण,  किस मन्त्र से करे प्रयोग, जानिए कैसे करे घर में तर्पण आसानी से पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए. 

तर्पण मंत्र और विधि:

इससे पहले के लेख में हमने जाना की तर्पण क्या होता है? , तर्पण का महत्त्व, तर्पण के प्रकार आदि. इस लेख में हम जानेंगे की तर्पण के लिए कौन से मंत्रो का प्रयोग करना चाहिए. इन मंत्रो का प्रयोग करके कोई भी अपने घर पर भी तर्पण प्रयोग कर सकते हैं और पितरो की कृपा प्राप्त कर सकते हैं. 
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पहला कदम:

सबसे पहले यम देवता का ध्यान करते हुए दक्षिण दिशा में चावल के ढेर पर दीपक प्रज्वलित करना चाहिए क्यूंकि वो मृत्यु के देवता है. 
नोट: किसी भी आवाहन मंत्र का प्रयोग करने से पहले हाथ में थोडा चावल के दाने रखना चाहिए और आवाहन के बाद दीपक पर छोड़ देना चाहिए. 

यम देवता के नाम से दीप दान के समय निम्न आवाहन मंत्र का जप करना चाहिए –
“ॐ यमाय नमः | आवाहयामी, स्थापयामी, ध्यायामी | ततो नमस्कार करोमि.”
इसके बाद कुछ समय तक यम मंत्र का जप करे “ॐ यमाय नमः ”

दूसरा कदम:

अब एक काले तिल के ढेरी पर पितरो के नाम से दीपक जलाए और निम्न आवाहन मंत्र का जप करे.
“ॐ पितृभ्यो नमः | अवाह्यामी , स्थाप्यामी, ध्यायामी |”

आइये जानते हैं की तर्पण के लिए जल कैसे बनाए:

तर्पण के लिए गंगा जल ले, उसमे थोडा काला तिल डाले, चन्दन पावडर डाले, कपूर डाले, दूध डाले, चावल के दाने डाले, फूल डाले और मिला दे.
अब हम तर्पण के लिए तैयार है.

आइये अब जानते हैं तर्पण मंत्र :

तर्पण शुरू करने से पहले अपने दोनों अनामिका ऊँगली में कुशा का छल्ला बना के धारण करे या फिर सोने की रिंग पहने. 

देव तर्पण :
देव तर्पण के लिए उँगलियों के अग्र भाग से जल छोड़ा जाता है मंत्रो को पढ़ते हुए.

देव आवाहन मंत्र:
ॐ आगछन्तु महाभागा, विश्वेदेवा महाबलाः |
ये तर्पनेsत्र विहिताः , सावधाना भवन्तु ते ||
ॐ ब्रह्मादयो देवाः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ विष्णुस्तृप्यताम |
ॐ रुद्रस्तृप्यताम |
ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम |
ॐ देवास्तृप्यताम |
ॐ छान्दांसी तृप्यन्ताम |
ॐ वेदासतृप्यन्ताम |
ॐ ऋषयसतृप्यन्ताम |
ॐ पुरानाचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ गन्धर्वासतृप्यन्ताम |
ॐ इत्रचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ संवत्सरः सावयवस्तृप्यताम |
ॐ देवसतृप्यन्ताम |
ॐ अप्सरसतृप्यन्ताम |
ॐ देवानुगासतृप्यन्ताम |
ॐ नागासतृप्यन्ताम |
ॐ सागरासतृप्यन्ताम
ॐ पर्वतासतृप्यन्ताम |
ॐ मनुष्यासतृप्यन्ताम |
ॐ सरितासतृप्यन्ताम |
ॐ रक्षांसी तृप्यन्ताम |
ॐ यक्शासतृप्यन्ताम |
ॐ पिशाचासतृप्यन्ताम |
ॐ सुपर्नासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतानि तृप्यन्ताम |
ॐ पशवसतृप्यन्ताम |
ॐ वनस्पतयसतृप्यन्ताम |
ॐ ओशाधायासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतग्रामः चतुर्विधसतृप्यन्ताम |

ऋषि तर्पण मंत्र:

ऋषि आवाहन मंत्र-
ॐ मरिच्यादी दशऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान्जलान्जलीन |
ॐ मरिचिसतृप्यताम |
ॐ अत्रिसतृप्यताम |
ॐ अंगीराह तृप्यताम |
ॐ पुलस्त्यसतृप्यताम |
ॐ पुल्हसतृप्यताम |
ॐ क्रतुसतृप्यताम |
ॐ वसिष्ठसतृप्यताम |
ॐ प्रचेतासतृप्यताम |
ॐ भ्रिगुसतृप्यताम |
ॐ नरदसतृप्यताम |

दिव्य मनुष्य तर्पण:

इस तर्पण को करने के लिए कनिष्ठिका ऊँगली के जड़ से जल छोड़ना चाहिए मंत्रो को पढ़ते हुए. उत्तर दिशा की और मुख करके करे.
ॐ सनाकादयः सप्तऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ सनकसतृप्यताम |
ॐ सनन्दनसतृप्यताम |
ॐ सनातानसतृप्यताम |
ॐ कपिलसतृप्यताम |
ॐ आसुरिसतृप्यताम |
ॐ पञ्चशिखसतृप्यताम |

दिव्य पितृ तर्पण :
दक्षिण दिशा की और मूह करके ये तर्पण करे और अंगूठे का प्रयोग करे जल छोड़ने के लिए.
ॐ कव्यवाडादयो दिव्य पितरः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन|
 ॐ कव्यवाडनलसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ यमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अर्यमा तृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अग्निश्वाताः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमपाः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ बर्हिशदः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |

यम तर्पण:

ॐ यमादिचतुर्दशदेवाः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ यमाय नमः |
ॐ धर्मराजाय नमः |
ॐ मृत्यवे नमः |
ॐ अन्तकाय नमः |
ॐ वैवस्वताय नमः |
ॐ कालाय नमः |
ॐ भूतक्षयाय  नमः |
ॐ औदुम्बराय नमः |
ॐ दध्नाय नमः |
ॐ नीलाय नमः |
ॐ परमेष्ठिने नमः |
ॐ वृकोदराय नमः |
ॐ चित्राय नमः |
ॐ चित्रगुप्ताय नमः |

इस प्रकार तरपान करने के बाद अपने पितरो के उन्नति और उच्चगति के लिए प्रार्थना करे और अपने जीवन को सफल बनाए.

सभी लोग अपने पितरो की कृपा प्राप्त करे |
ॐ पितृभ्यो नमः |

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