Shiv Suvarnmala Stuti Lyrics With Hindi Meaning, शिव स्वर्णमाला स्तुति अर्थ सहित, शंकराचार्य जी द्वारा रचित शिव स्तुति. आदिगुरु शंकराचार्य जी ने शिव स्वर्णमाला स्तुति की रचना की है जिसमे भगवान शंकर की आराधना की है. इसके पाठ से भगवान शिव की कृपा से हमारा जीवन सफल हो सकता है. Shiva Suvarnamala Stuti में भगवान शिव की महिमा का गान है. जो लोग भौतिक के साथ अध्यात्मिक सफलता चाहते हैं उनके लिए ये सत्ती अति महत्त्वपूर्ण है, इसके पाठ से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. Shiv Suvarnmala Stuti Lyrics With Hindi Meaning Shiva Suvarnamala Stuti Lyrics – शिव स्वर्णमाला स्तुति ॥ शिव स्वर्णमाला स्तुति॥ अथ कथमपि मद्रसनां त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १ ॥ आखण्डलमदखण्डनपण्डित तण्डुप्रिय चण्डीश भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २ ॥ इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुरपहरणोज्ज्वलनयन भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३ ॥ ईश गिरीश नरेश परेश महेश बिलेशयभूषण भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४ ॥ ...
Akshay navmi kab hai 2022, क्या करे अक्षय नवमी को सफलता के लिए?, आसान पूजा विधि, आंवला नवमी, आंवला वृक्ष पूजन, Amla Navami.
धन, पारिवारिक सुख, स्वास्थ्य, मुसीबतों से छुटकारे के लिए ख़ास है अक्षय नवमी.
कार्तिक का महिना ज्योतिष के हिसाब से बहुत महत्त्व रखता है, धन सम्बन्धी क्रियाओं के साथ ही जीवन को सफल बनाने के लिए पूजा पाठ के लिए कार्तिक मास का बहुत महत्त्व है.
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को बहुत ही ख़ास पूजा होती है और ये पूजा आंवला के वृक्ष की होती है, इसीलिए इस दिन को आंवला नवमी भी कहा जाता है, यही दिन अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता के अनुसार अक्षय नवमी से लेके कार्तिक पूर्णिमा तक विष्णु जी का वास आंवला के पेड़ पर होता है इसी कारण लोग इन दिनों आंवले के पेड़ के साथ विष्णु जी की पूजा करते हैं.
आइये जानते हैं अक्षय नवमी से जुड़ी कुछ रोचक बातें:
- इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है.
- इस दिन किया हुआ दान, पुण्य अक्षय रहता है अर्थात इस दिन अगर आप कोई पूजा करते हैं , दान करते हैं तो उसका फल हमेशा प्राप्त होता रहता है.
- इस दिन विष्णु जी की पूजा भी आंवले के पेड़ के निचे की जाती है. इससे अनेक प्रकार के आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
- कुछ लोगो इस दिन सोना चांदी भी खरीदते हैं जिससे की वो अक्षय बना रहे.
- इस दिन अन्न के दान से जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं आती है.
- इस दिन मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी की जाती है श्री कृष्ण को याद करते हुए.
- ज्योतिष के अनुसार इसी दिन द्वापर युग का भी आरंभ हुआ था
- आंवले के पेड़ में तुलसी और बेल दोनों के गुण होते हैं, ऐसा माना जाता है.
- इस दिन लोग आंवले के पेड़ के निचे बैठ कर भोजन करते हैं और यदि उनके थाली में आंवले के पत्ते गिर जाए तो ये भाग्योदय का संकेत समझा जाता है.
- इस दिन विष्णु जी की पूजा अगर आंवले के वृक्ष के निचे की जाए तो संतान हीन को संतान की प्राप्ति होती है और पति पत्नी के रिश्तो में मधुरता बढती है.
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आइये जानते हैं की आंवला नवमी को कैसे करे पूजन ?
- अक्षय नवमी को प्रातः काल दैनिक क्रिया से निपट के आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
- इसके लिए पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए, हल्दी, कुम-कुम, पुष्प, अक्षत चढ़ा के धुप दीप दिखाना चाहिए, भोग लगाना चाहिए और भगवान् विष्णु का ध्यान करना चाहिए.
- फिर वृक्ष की १०८ परिक्रमा लगाना चाहिए. इससे रोग शोक से मुक्ति मिलती है, मनोकामना पूरी होती है.
- अपनी क्षमता अनुसार आंवले के पेड़ के नीचे पीताम्बर वस्त्र धारण किये ब्राहमणों को सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं, दक्षिणा देके आशीर्वाद ले.
- दाम्पत्य जीवन के सफलता के लिए महिलाए श्रृंगार का सामान भी पूजन के समय चढ़ाए जिसमे की चूड़ी, बिंदी, नथ, बिछिया, सिन्दूर शामिल करे, पूजन के बाद श्रृंगार का सामान किसी जरूरतमंद महिला को दान करे.
- इस दिन शाम को कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इससे अप्पर धन संपदा की प्राप्ति होती है |
पौराणिक मान्यता अनुसार आंवला नवमी को अगर व्रत रखके पूजा अर्चना की जाए विधिवत तो पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है, जातक जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है भगवान् विष्णु की कृपा से.
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