Shiv Suvarnmala Stuti Lyrics With Hindi Meaning, शिव स्वर्णमाला स्तुति अर्थ सहित, शंकराचार्य जी द्वारा रचित शिव स्तुति. आदिगुरु शंकराचार्य जी ने शिव स्वर्णमाला स्तुति की रचना की है जिसमे भगवान शंकर की आराधना की है. इसके पाठ से भगवान शिव की कृपा से हमारा जीवन सफल हो सकता है. Shiva Suvarnamala Stuti में भगवान शिव की महिमा का गान है. जो लोग भौतिक के साथ अध्यात्मिक सफलता चाहते हैं उनके लिए ये अति महत्त्वपूर्ण है, इसके पाठ से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. Shiv Suvarnmala Stuti Lyrics With Hindi Meaning सुनिए YouTube में Shiva Suvarnamala Stuti Lyrics – शिव स्वर्णमाला स्तुति ॥ शिव स्वर्णमाला स्तुति॥ अथ कथमपि मद्रसनां त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १ ॥ आखण्डलमदखण्डनपण्डित तण्डुप्रिय चण्डीश भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २ ॥ इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुरपहरणोज्ज्वलनयन भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३ ॥ ईश गिरीश नरेश परेश महेश बिलेशयभूषण भो । साम्ब सदाशिव शंभो शंकर शरणं मे ...
Dar Ke liye Kon se Grah jimmear hain jyotish anusar, Janiye kundli se apne bhay ke karan ko, dekhiye ek case study.
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DAR Ke liye Kon Se grah Jimmedar Ho Sakte Hai |
डर एक बहुत ही सामान्य लक्षण है जो हम बच्चों, युवाओं, वयस्कों और वृद्धों में भी देख सकते हैं। डर कई तरह के होते हैं और हर कोई किसी भी तरह से डर से बाहर आने की कोशिश कर रहा है, लेकिन गलत मार्गदर्शन के कारण हर एक के लिए डर की समस्या से उबरना संभव नहीं होता है। यहाँ इस लेख में हम जानेंगे कि वास्तव में डर क्या है और हम इस समस्या से कैसे उबर सकते हैं। हमारे कुंडली में कौन से ग्रह और योग के कारण हम डरने लगते हैं ?
डर क्या है?
एक बहुत ही सरल शब्द में हम कह सकते हैं कि यह एक ऐसी भावना है जिसके मूल में असुरक्षा की भावना रहती है । यह एक अप्रिय भावना है जो की किसी चीज के खोने के कारन पैदा होती है |
आइये जानते हैं की जब व्यक्ति डरता है तो क्या होता है?
सामान्य मानव में भय के समय कुछ विशेष प्रकार की प्रतिक्रियाएँ दिखने लगती है जैसे कि -
- हार्ट बीट में वृद्धि।
- पसीना आना।
- आँखों का विस्तार और कभी-कभी संकुचन।
- उच्च रक्तचाप।
- कंपकपी ।
- शक्ति की कमी।
- धुंधलापन
- भूख मर जाना आदि |
ज्योतिष की दृष्टि से भय का कारण:
हमारे दैनिक जीवन में यह भी देखा जाता है कि किसी व्यक्ति को 24 घंटे भय महसूस होता है लेकिन कुछ को यह किसी ख़ास समय पर महसूस होता है |
ज्योतिष के अनुसार हम कह सकते हैं कि -
- जब महादशा या प्रत्यंतरदशा में नकारात्मक ग्रह आता है तो इस प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है।
- अगर कोई काला जादू के संपर्क में आता है तो डर पैदा होता है।
- यदि कोई बुरी नज़र के प्रभाव में आ जाता है तो डर पैदा होता है।
- यदि कुंडली में नकारात्मक ग्रहों की शक्ति सकारात्मक से अधिक है तो व्यक्ति डर डर के जीने लगता है |
आइये इसे केस स्टडी के साथ समझते हैं:
एक व्यक्ति मेरे पास आया और उन्होंने कुंडली पढ़ने को कहा। जब मैंने उनकी कुंडली बनाई, तो मुझे निम्नलिखित चार्ट मिला:
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DAR Ke liye Kon Se grah Jimmedar Ho Sakte Hai |
आगे बढ़ने से पहले, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह व्यक्ति एक बहुत ही अमीर व्यापारी है, लेकिन इसके बावजूद, मैंने कुछ ऐसे बिंदु इनके सामने रखे जिसे सुनके इन्हें ज्योतिष शाश्त्र पर विश्वास करने के लिए मजबूर होना पड़ा । जब मैंने उनसे सवाल पूछा की आप क्या दिखाना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा की बस ऐसे ही देख लीजिये, मुझे कोई समस्या नहीं है।
फिर मैंने निम्नलिखित बातें कही:
- कुंडली देखने के बाद, मैंने उनसे कहा है कि आप वित्तीय समस्या के कारण भय से गुजर रहे हैं। वह सहमत हुए ।
- मैंने उससे कहा कि आप उस समय चरम पर थे , जब आपके पिता जीवित थे, वह सहमत थे।
- मैंने उससे कहा कि आप सट्टे या जुए में बहुत नुक्सान खा चुके हैं , उन्होंने गर्दन हिला दिया ।
अब मैंने उनकी कुंडली को पढ़कर किस तरह डर का अनुमान लगाया, आइए इसे देखें:
- अभी, राहू अपनी महादशा में चल रहा है और अंतर्दशा मंगल में है। दोनों अंगारक योग बना रहे हैं। यह एक दुर्घटना से सम्बंधित योग है और जीवन में नकारात्मक बदलाव लाता है । इनके कुंडली में राहु अपने शत्रु राशि में में बैठा है।
- साथ ही खराब शनि लग्न में बैठा है और वर्तमान में साड़े साती चल रही है।
- भाव चालित कुंडली में, शत्रु का मंगल, केतु के साथ बैठे हैं और फिर से अंगारक योग का निर्माण कर रहे हैं। वो भी आय भाव में.
- और मित्र राशि का सूर्य 10 वें घर का स्वामी होक लग्न में बैठा है ।
अब आप देख सकते हैं कि मेरी उपरोक्त सभी भविष्यवाणियां इन ग्रहों की स्थिति और महादशा, अन्तर्दशा पे आधारित थी ।
इसलिए जैसा कि मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जब नकारात्मक ग्रह महादशा या प्रत्यंतर में आते हैं तो जीवन में भय उत्पन्न होता है। और इस कुंडली में आप इस तथ्य को जांच सकते हैं। और चालित कुंडली में चूंकि आय स्थान में ख़राब प्रभाव पैदा हो रहा है इसीलिए मैंने ये अनुमान लगाया की इन्हें वित्तीय समस्या के कारण ही जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है |
इसलिए हम अपने जीवन में ग्रहों के प्रभाव को नकार नहीं सकते। कुंडली का गहन अध्ययन करके हम जीवन की वास्तविकता को जान सकते हैं। कोई संदेह नहीं कि कुंडली जीवन का दर्पण है।
अपने डर को कैसे जीते?
अपने डर को कैसे जीते?
डर के उपाय क्या हो सकते हैं ?
यदि कोई व्यक्ति डर से पीड़ित है तो उसे ठीक करने के लिए कई तरीके हैं।
- सबसे पहले डर या भय के वास्तविक कारणों को खोजने के लिए जन्म कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक है।
- इसके बाद हम उन्हें सिद्ध कवच का पाठ करने के लिए कह सकते हैं जो उनके लिए उपयुक्त हो |
- कुछ जानकार इसके लिए विशेष ताबीज भी बनाते हैं।
- कुंडली देखके रत्न चिकित्सा का भी प्रयोग किया जा सकता है |
- जिस ग्रह के कारण डर उत्पन्न हुआ है उसकी शान्ति भी की जाती है |
- कई बार प्राकृतिक चिकित्सा का प्रयोग करके भी डर को दूर किया जा सकता है, ये तब ज्यादा जरुरी होता है जब डर के कारण डिप्रेशन में व्यक्ति चला गया हो ।
डर एक ऐसी भावना है जो बच्चे या व्यक्ति के विकास को रोक देती है। इसलिए अगर डर आपके जीवन में है तो इसका मतलब है कि आप अपने जीवन में अच्छा नहीं कर रहे हैं। सफलता आपसे दूर है, और इस प्रकार एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना बहुत आवश्यक है ।
ज्योतिष संसार आपकी मदद कैसे करता है?
यहां उचित विश्लेषण किया जाता है और फिर यह पता लगाया जाता है कि डर से पीड़ित व्यक्ति या बच्चे को कैसे ठीक कर सकते हैं । एक उचित मार्ग दर्शन आपको आपके जीवन में सफलता दिला सकता है |
Dar Ke liye Kon se Grah jimmear hain jyotish anusar, Bhay Naivarak prayog, Janiye kundli se apne bhay ke karan ko, dekhiye ek case study.
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