सर्प सूक्तम लाभ, कालसर्प दोष का शक्तिशाली उपाय, नाग देवता को प्रसन्न करने का मंत्र, जहरीले प्रभाव से बचाव, जीवन की बाधाओं को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय।
ज्योतिष में जब कुंडली का अध्ययन किया जाता है तो विभिन्न प्रकार के दोषों का अध्ययन भी किया जाता है जिसके कारण जातक को अनेक प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है जैसे पितृ दोष, प्रेत दोष, बंधन दोष, कालसर्प योग आदि |
सर्प सूक्त बहुत ही प्रभावशाली है जिसका उपयोग कुंडली / जन्म कुंडली में कालसर्प योग के हानिकारक प्रभावों को दूर करने के लिए किया जाता है।
sarp sukt in hindi |
यदि आप निम्न प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो SARP SUKT का पाठ करना शुरू करें और जीवन में बदलाव देखें:
- अगर आपको नियमित रूप से सर्प के सपने दिख रहे हैं तो सर्प सूक्त का पाठ करें |
- अगर स्वप्न में लगातार पितृ दिख रहे हैं तो भी इसका पाठ लाभदायक है |
- अगर हर कार्य में रुकावटें आ आ रही है |
- जीवन के हर क्षेत्र में असफलता मिल रही हो ।
- हर समय अवांछित भय बना रहता हो ।
- सांप के काटने का सपना बार बार आता हो ।
- शत्रु बहुत परेशान कर रहे हो |
- कुंडली में कालसर्प योग के कारण विवाह में देरी हो रही हो ।
- परिवार में कलह बना रहता हो ।
तो सर्प सूक्त जीवन में कई समस्याओं का समाधान है। यदि कोई श्रद्धापूर्वक इस दिव्य सूक्त का जाप करे और सर्प की पूजा करे तो निस्संदेह जीवन जादुई रूप से बदल जाएगा।
सर्प सूक्त का पाठ कब और कैसे करें?
- नागपंचमी में, सर्प दोष या कालसर्प दोष से उबरने के लिए इस दिव्य सूक्त का पाठ करना अच्छा होता है।
- हर पंचमी तिथि को हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसका पाठ करना चाहिए।
- यदि आप बहुत अधिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो इसे सुबह और सोने से पहले 12 बार पाठ करें और बाधा मुक्त जीवन के लिए प्रार्थना करें।
- अगर कर्ज दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है तो भी यह सर्प सुक्तम बहुत फायदेमंद है।
- यदि किसी की जन्म कुंडली में राहु और केतु अशुभ हो तो sarp sukt बहुत फायदेमंद होता है।
- यदि कोई सावन मास में प्रतिदिन इस सर्प सूक्तम का पाठ करे तो निश्चय ही भगवान शिव की कृपा से उसका जीवन सुखमय हो जाएगा।
।। श्री सर्प सूक्त ।।
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ||1||
ॐ नमः शिवाय
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।2||
ॐ नमः शिवाय
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।। 3||
ॐ नमः शिवाय
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।4||
ॐ नमः शिवाय
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।5||
ॐ नमः शिवाय
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला: ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।6||
|| इति श्री सर्प सूक्तं स्तोत्र ||
सभी अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं sarp sukt के पाठ से | भक्ति से पूर्ण विश्वास से इसका पाठ सुने और करे फिर देखे जीवन में कैसे बदलाव होते हैं |
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