Pitru Stotra ke fayde, पितृ स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित, पितृ दोष निवारण(pitru dosh nivaran) के कुछ उपाय, पितृ स्तोत्र का पाठ करने की विधि क्या है ?|
जब कुंडली में पितृ दोष हो तो ऐसे में जीवन में हर क्षेत्र में बाधाएं आती है जैसे की शादी में देरी हो सकती है, नौकरी में तरक्की नहीं मिलती, लव लाइफ में असफलता मिलती है, बार बार रोग होता है, धन एकत्रित करने में परेशानी आती है आती तो ऐसे में ये जरुरी है की पितरो की प्रसन्नता के लिए कुछ उपाय करें |
Pitru Strot Ke faayde पितृ स्त्रोत के फायदे in hindi jyotish |
आइये जानते हैं पितृ दोष निवारण(pitru dosh nivaran) के कुछ उपाय :
- अगर कुंडली में पितर दोष हो तो ऐसे में हम कुछ आसान घरेलु उपाय द्वारा अपने जीवन को सुखी कर सकते हैं पितरो के आशीर्वाद प्राप्त करके |
- रोज सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए इससे pitru dosh के प्रभाव कम होते हैं |
- रोज बुजुर्गो का आशीर्वाद लेना चाहिए |
- बुजुर्गो की सेवा करना चाहिए |
- भगवन विष्णु के मन्त्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए नित्य |
- पितृ गायत्री मंत्र का जप भी रोज करें तो बहुत लाभ होता है |
- पितरो के मंत्र से रोज उन्हें नमस्कार करें ॐ पितृ देवताभ्यो नमः |
- इसके अलावा पितृ स्त्रोत भी एक शक्तिशाली उपाय है पितृ दोष निवारण के लिए |
कब कब करना चाहिए पितृ स्त्रोत का पाठ :
- अगर कुंडली में पितृ दोष हो तो pitru strot का पाठ करन लाभदायक होता है |
- अगर स्वप्न में बार बार पितृ दिख रहे हों तो ऐसे में भी pitru strot का पाठ फायदा देता है |
- जब किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को करना हो तो ऐसे में पित्र स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इससे पितरो का आशीर्वाद मिलता है और कार्य सफल होता है |
- चौदस और अमावस्या को तो जरुर करना चाहिए सभी को |
- अगर घर में बरकत नहीं हो रही हो, रोग बना रहता हो, झगडे होते रहते हो तो ऐसे में pitru strot का पाठ जरुर करना चाहिए |
आईये जानते हैं की पितृ स्तोत्र का पाठ करने की आसान विधि :
- स्नान करके सफ़ेद वस्त्र धारण करें |
- घर में दक्षिण दिशा की और मुंह करके बैठे किसी सफ़ेद ऊनि आसन |
- पितरो के नाम पे धुप, दीप और भोग लगाएं |
- अब पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से पितृ स्त्रोत (pitru strot ) का पाठ करें |
- चौदस अमावस्या को ब्राहमण भोज भी करवाएं |
PITRU STROT/पितृ स्त्रोत निचे दिया जा रहा है :
इसमें कुल 10 श्लोक हैं जिनका हमे पाठ करना है और इसमें पितरो की शक्ति के बारे में बताया गया है और हम उन्हें बार बार नमस्कार करते हैं |
।। अथ पितृस्तोत्र ।।
1- अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
हिन्दी अर्थ– जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ ।
2- इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।
हिन्दी अर्थ– जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले हैं उन पितरो को मैं नमस्कार करता हूँ ।
3- मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
हिन्दी अर्थ– जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ ।
4- नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर नमस्कार करता हूँ ।
5- देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर नमस्कार करता हूँ ।
6- प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर नमस्कार करता हूँ ।
7- नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
हिन्दी अर्थ– सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को नमस्कार करता हूँ ।
8- सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
हिन्दी अर्थ– चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं नमस्कार करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ ।
9- अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः।।
हिन्दी अर्थ– अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है ।
10- ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
हिन्दी अर्थ– जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ । उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों ।
।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त ।।
जब कुंडली में पितृ दोष हो तो ऐसे में जीवन में हर क्षेत्र में बाधाएं आती है जैसे की शादी में देरी हो सकती है, नौकरी में तरक्की नहीं मिलती, लव लाइफ में असफलता मिलती है, बार बार रोग होता है, धन एकत्रित करने में परेशानी आती है आती तो ऐसे में ये जरुरी है की पितरो की प्रसन्नता के लिए कुछ उपाय करें |
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Pitru Stotra ke fayde, पितृ स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित, पितृ स्तोत्र का पाठ करने की विधि क्या है ?, Remedies of pitru dosha by pitru strotram.|
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