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Vrischik Rashi Mai Vakri Budh Ka 12 Rashiyo Par Prabhav

Vakri Budh November 2024, वक्री बुध का क्या प्रभाव होगा 12 राशियों पर, बुध की उलटी चाल से किनको रहना होगा सावधान ?, किनकी बदलेगी किस्मत ?, Reverse movement of Mercury Impacts on 12 zodias. हिन्दू पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजकुमार बुध 26 नवंबर 2024 को वृश्चिक राशि में वक्री होंगे और 16 दिसंबर 2024 तक वक्री अवस्था में रहेंगे। वक्री बुध के कारण बहुत से लोगो को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और कुछ लोगो को काफी लाभ होने वाला है |  Vakri Budh November 2024:  बुध ग्रह का सम्बन्ध बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता, व्यापार, मित्र आदि से होता है इसी कारण जब भी गोचर कुंडली में बुध की चाल बदलती है या फिर राशि बदलती है तो इसका असर हमे सभी तरफ देखने को मिलता है |  Vrischik Rashi Mai Vakri Budh Ka 12 Rashiyo Par Prabhav आइये जानते हैं वृश्चिक राशि में जब बुध वक्री होंगे तो 12 राशियों पर क्या प्रभाव होगा ? मेष राशिफल : 26 नवंबर 2024 को वृश्चिक राशि में बुध के वक्री होने पर मेष राशि के लोगो को अपने सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरुरत होगी साथ ही जीवनसाथी के साथ भी मन मुटाव संभव है, आपको अ

Mahakal Kawacham || महाकाल कवच

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच ||

इस लेख में अति गोपनीय, दुर्लभ, शक्तिशाली कवच के बारे में बता रहे हैं जिसे की विश्वमंगल कवच भी कहते हैं।

कवच शब्द का शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा करने वाला | जिस प्रकार एक योद्धा युद्ध में जाने से पहले ढाल या कवच धारण करता है, उसी प्रकार रोज हमारे जीवन में नकारात्मक्क शक्तियों से सुरक्षा के लिए महाकाल कवच ढाल बना देता है |

जब भी कवच का पाठ किया जाता है तो देविक शक्ति दिन भर हमारी रक्षा करती है | 

कवच के पाठ करने वाले को अनैतिक कार्यो से बचना चाहिए, मांसाहार नहीं करना चाहिए, किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करना चाहिए |

Mahakal Kavach का विवरण रुद्रयामल तंत्र में दिया गया है और ये अमोघ रक्षा कवच है |

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच ||
Mahakal Kawacham || महाकाल कवच 

किसी भी प्रकार के रोग, शोक, परेशानी आदि से छुटकारा दिला सकता है महाकाल कवच का पाठ |

इस शक्तिशाली कवच के पाठ से हम बुरी शक्तीयो से बच सकते हैं, भूत बाधा, प्रेत बाधा आदि से बच सकते हैं |

बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के लिए ये एक बहुत ही फायदेमंद है |

बाबा महाकाल के भक्तो के लिए ये mahakal kawach वरदान है | 


|| अथ श्री महाकाल कवचम ||

ॐ श्रीगणेशाय नमः ।

श्रीभैरव उवाच

अथ वक्ष्यामि देवेशि कवचम् मन्त्रगर्भकम् ।

मूलमन्त्रस्वरूपं च विश्वमङ्गलकाभिधम् ।।१।। (विश्वमंगलकाभिधम)


सर्वसम्पत्प्रदं चैव महाकालस्य पार्वति ।

गुह्यातिगुह्यपरमं मूलविद्यामयं ध्रुवम् ।।२।।


परमार्थप्रदं नित्यं भोगमोक्षैककारणम् ।

महाभयहरं देवि महैश्वर्यप्रदं शिवे ।।३।।


कवचस्यास्य देवेशि ऋषिर्भैरव ईरितः।

अनुष्टुप्छन्द इत्युक्तं महाकालश्च देवता ।।४।।


कूर्चबीजं पराशक्तिस्तारं कीलकमीरितम् ।

धर्मार्थकाममोक्षार्थे विनियोगः प्रकीर्तितः।।५।।

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच ||

अथ ध्यानम् ।

श्यामवर्णं महाकायं महाकालं त्रिलोचनम् ।

नीलकण्ठं स्वतेजस्कं नेत्रत्रयविभूषितम् ।।६।।


खट्वाङ्गचर्मधरं देवं वरदाभयपाणिकम् । (खटवांग)

शूलहस्तं च खट्वाङ्गधारिणं मन्त्रनायकम् ।।७।।


पिनाकहस्तं देवेशं तोमरं बिभ्रतं विभुम् ।

प्रातः पठेत्सहस्रं वै भैरवं तु सदा स्मरेत् ।

एवं विधेन ध्यानेन मनसा चिन्तयेद्विभुम् ।।८।।

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच ||

अथ कवचम् ।

ॐ ह्रं शिरः पातु मे कालः ललाटे ह्रीं सदा मम ।

ह्रं कारकं प्रतीच्यां मे बीजद्वयस्वरूपिणी ।।१।।


ह्रीं पातु लोचनद्वन्द्वं मुखं ह्रीम्बीजरूपिणि ।

ह्रीं कारकं कण्ठदेशे ह्रीं पातु स्कन्धयोर्मम ।।२।।


महाकालः सदा पातु भुजौ सव्ये नसौ मम ।

ह्रीङ्कारं हॄदयं पातु ह्रं मेऽव्यादुदरं सदा ।।३।।


ह्रीं नाभिं पातु सततं देवी ह्रीङ्काररूपिणी ।

अव्यान्मे लिङ्गदेशं च ह्रीं रक्षेद्गुह्यदेशके ।।४।। (लिंगदेशं)


कूर्चयुग्मं पातु पादौ स्वाहा पादतलं मम ।

श्रीषोडशाक्षरः पातु सर्वाङ्गे मम सर्वदा ।। ५।।


अन्तर्वह्निश्च मां पातु देवदत्तश्च भैरवः। (अंतरवन्हिश्च)

नगलिङ्गामृतप्रीतः सर्वसन्धिषु रक्षतु ।।६।। (नगलिंगामृतप्रीतहा)


महोग्रो मां सदा पातु ममेन्द्रियसमूहकम् ।

शिवो ममेन्द्रियार्थेषु रक्षयेद्दक्षिणेष्वपि ।।७।।


महाकालः पश्चिमेऽव्याद्दक्षिणे देवदत्तकः।

भगलिङ्गामृतं प्रीतो भगलिङ्गस्वरूपकः।।८।।


उदीच्यामूर्ध्वगः पातु पूर्वे सम्हारभैरवः।

दिगम्बरः श्मशानस्थः पातु दिक्षु विदिक्षु च ।।९।।

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच ||

फलश्रुतिः ।

शतलक्षं प्रजप्तोऽपि तस्य मन्त्रं न सिध्यति ।

स शास्त्रज्ञानमाप्नोति सोऽचिरान्मृत्युमाप्नुयात् ।।१०।।


मन्त्रेण म्रियते योगी रक्षयेत् कवचं ततः ।

त्रिसन्ध्यं पठनादस्य कवचस्य तु पार्वति ।।११।।


सिद्धयोऽष्टौ करे तस्य महेश इव चापरः ।

रूपेण स्मरतुल्येष्टो कामिनीनां प्रियो भवेत् ।।१२।।


तस्मादेतत्सुकवचं न देयं यस्यकस्यचित् ।

भक्तियुक्ताय शान्ताय दानशीलाय धीमते ।।१३।।


यो ददाति सुशिष्येभ्यो वश्ये तस्य जगद्भवेत् ।

गुह्याद्गुह्यतरं गुह्यं महारुद्रेण भाषितम् ।।१४।।


रवौ भूर्जे लिखेद्वर्म स्वयम्भूः कुसुमस्त्रजा ।

कुङ्कुमेनाष्टगन्धेन रक्तेन निजरेतसा ।।।१५।।


धारयन्मूर्ध्नि वा बाहौ प्राप्नुयात्परमां गतिम् ।

धनकामो लभेद्वित्तं पुत्रकामो लभेत्प्रजाम् ।।१६।।


सर्वान् रिपून् रणे जित्वा कल्याणी गृहमाविशेत् ।

यस्य कण्ठगतं तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः।।१७।।


श्रीविश्वकवचं नाम कवचं न प्रकाशयेत् ।

रहस्यातिरहस्यं च गोपनीयं स्वयोनिवत् ।।१८।।


|| इति श्रीरुद्रयामले तन्त्रे विश्वमङ्गलं नाम महाकालकवचं सम्पूर्णम् ||


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