श्री गणेश अष्टकम लाभ हिंदी में, श्री गणेशाष्टकम् - हिंदी अर्थ और संस्कृत गीत के साथ, shree ganesh ashtak benefits in hindi with lyrics.
गणेश अष्टकम हिन्दुओं में बहुत लोकप्रिय है | यह गणपति अष्टकम भगवान गणेश के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
इसमें आठ श्लोक हैं जो भगवान गणेश की महानता और सभी देवताओं के बीच उनकी अद्वितीय सर्वोच्चता का गुणगान करते हैं। यह श्री गणेश अष्टकम भक्तो द्वारा गणपति के अनुष्ठान पूजा और प्रार्थना के लिए उपयोग किया जाता है।
Ganesh Ashktam (गणेश अष्टकम) के लाभ:
इस अष्टकम का जाप करने से सफलता, समृद्धि और विपत्ति से सुरक्षा मिलती है। इस शक्तिशाली अष्टकम के फलश्रुति में इसके लाभ बताये गए हैं -
जो मनुष्य 3 दिनों तक तीनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र का पाठ करेगा उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाएंगे |
जो 8 दिनों तक इन 8 श्लोकों का एक बार पाठ करेगा और चतुर्थी तिथि को आठ बार स्त्रोत्र का पाठ करेगा वह आठों सिद्धियों को प्राप्त कर लेगा |
जो 1 माह तक प्रतिदिन 10-10 बार इस स्तोत्र का पाठ करेगा वह कारागार में बंधे हुए तथा राजा के द्वारा मृत्यु दंड पाने वाले कैदी को भी छुड़ा लेगा इसमें संशय नहीं है|
इस स्त्रोत्र का 21 बार पाठ करने से विद्यार्थी विद्या को, पुत्रार्थी पुत्र को तथा का कामार्थी समस्त मनोवांछित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है |
जो मनुष्य परा भक्ति से स्त्रोत्र का जप करते हैं वह गजानन के परम भक्त हो जाते है |
किन लोगो को गणेश अष्टकम/ganesh ashtkam का जाप करना ही चाहिए :
- जिनके कार्य में बार बार बाधाएं आ रही है उन्हें इसका पाठ करना चाहिए रोज|
- जिनका भाग्योदय नहीं हो रहा है उन्हें इसका पाठ रोज 3 समय करना चाहिए |
- जिन्हें यश प्राप्ति की ईच्छा हो उन्हें भी इसका पाठ करना चाहिय |
- जो लोग सफल है और आने वाले बाधाओं का नाश करना चाहते हैं उन्हें भी इसका पाठ नियमित करना चाहिए |
Shree Ganesh Ashtkam benefits in Hindi |
श्री गणेश मन की शक्ति, ज्ञान, चतुराई के स्वामी हैं और इसलिए जीवन की बाधाओं को आसानी से दूर करने में सक्षम हैं। प्रतिदिन गणेश अष्टकम का जाप या पाठ करने से जीवन की बाधाओं को आसानी से दूर करने में मदद मिलती है।
व्यक्तिगत, पेशेवर और आध्यात्मिक जीवन में हर बाधा को दूर करने के लिए शक्तिशाली और दिव्य ऊर्जा यानी भगवान गणेश का आह्वान करने का यह एक शक्तिशाली तरीका है। विघ्नहर्ता यानि श्री गणेश की पूजा से धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और जीवन में सफलता आसानी से आ जाती है।
कोई भी बिना किसी झिझक के इस दिव्य और शक्तिशाली मंत्र का जाप कर सकते हैं।
Read in english about Benefits of Shree ganesh Ashtakam
गणेश अष्टकम (गणेश अष्टकम) के क्या लाभ हैं:
- अगर किसी को नौकरी या व्यापार में परेशानी हो रही है तो इसे रोजाना करें और भगवान से बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।
- यदि आप कोई नया व्यवसाय या काम शुरू कर रहे हैं तो गणेश पूजा करें और श्री गणेश अष्टकम का पाठ करें।
- यदि किसी छात्र को शिक्षा में समस्या आ रही है तो इस शक्तिशाली और दिव्य श्री गणेश अष्टक का पाठ करना अच्छा होता है।
- यदि किसी के विवाह में देरी हो रही है तो अन्य पूजा करने से पहले पहले गणेश पूजा करें और फिर गणेश अष्टक का पाठ करें।
- साधना में बाधाओं को दूर करने के लिए भी यह बहुत अच्छा है।
- यदि किसी को भय की समस्या है तो भी इसका प्रतिदिन पाठ करें। इससे आपको जबरदस्त फायदा होगा।
शांत मन से श्री गणेश अष्टकम का पाठ करना, स्वयं को भगवान के चरणों में समर्पित करना निश्चित रूप से जीवन में स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि लाता है। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर पुण्य का हिस्सा बनें और दूसरों को भी इसका लाभ उठाने का मौका दें।
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गणेश अष्टक का पाठ करने के लिए सबसे अच्छे दिन कौन से हैं?
- गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी को इस दिव्य अष्टक का अभ्यास शुरू करने के लिए सबसे अच्छे दिन हैं।
- इसे दिन में 3 बार यानि सुबह, दोपहर और शाम को पढ़ना अच्छा होता है।
॥ अथ श्री गणेशाष्टकम् / Ganesha Ashtakam ॥
श्री गणेशाय नमः।
सर्वे उचुः।
यतोऽनन्तशक्तेमरनन्ताश्च जीवायतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥१॥
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥२॥
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च यतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घा सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥३॥
यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घायतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्चसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥४॥
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतःसम्पदो भक्तभसन्तोषिकाः स्युः।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥५॥
यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थोयतोऽभक्तेविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।
यतः शोकमोहौ यतः काम एवसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥६॥
यतोऽनन्तशक्तिःः स शेषो बभूवधराधारणेऽनेकरूपे च शक्तःा।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नानासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥७॥
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिःसदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥८॥
॥ फल श्रुति ॥
श्रीगणेश उवाच।
पुनरूचे गणाधीशःस्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्यसर्वं कार्यं भविष्यति॥९॥
यो जपेदष्टदिवसंश्लोकाष्टकमिदं शुभम्।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तुसोऽष्टसिद्धिरवानप्नुयात्॥१०॥
यः पठेन्मासमात्रं तुदशवारं दिने दिने।
स मोचयेद्वन्धगतंराजवध्यं न संशयः॥११॥
विद्याकामो लभेद्विद्यांपुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।
वाञ्छितांल्लभतेसर्वानेकविंशतिवारतः॥१२॥
यो जपेत्परया भक्त्यागजाननपरो नरः।
एवमुक्त्वा ततोदेवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः॥१३॥
Meaning of Shree Ganesh Ashtakam In English:
- सब भक्तों ने कहा – जिन अनन्त शक्ति वाले परमेश्वर से अनन्त जीव प्रकट हुए हैं, जिन निर्गुण परमात्मा से असंख्य गुणों की उत्पत्ति हुई है, सात्विक, राजस और तामस – इन तीनों भेदों वाला यह सम्पूर्ण जगत् जिनसे प्रकट एवं भासित हो रहा है, उन गणेश को हम नमन एवं उनका भजन करते हैं।
- जिनसे इस समस्त जगत् की उत्पत्ति हुई है, जिनसे कमलासन ब्रह्मा, विश्वव्यापी विश्व रक्षक विष्णु, इन्द्र आदि देव-समुदाय और मनुष्य प्रकट हुए हैं,उन गणेश को हम सदा ही नमन एवं उनका भजन करते हैं।
- जिनसे अग्नि और सूर्य का प्राकट्य हुआ, पृथ्वी, जल, समुद्र, चन्द्रमा, आकाश और वायु का प्रादुर्भाव हुआ तथा जिनसे स्थावर-जंगम और वृक्ष समूह उत्पन्न हुए हैं, उन गणेश को हम नमन एवं भजन करते हैं।
- जिनसे दानव, किन्नर और यक्ष समूह प्रकट हुए, जिनसे हाथी और हिंसक जीव उत्पन्न हुए तथा जिनसे पक्षियों, कीटों और लता-बेलों का प्रादुर्भाव हुआ, उन गणेश का हम सदा ही नमन और भजन करते हैं।
- जिनसे मुमुक्षु को बुद्धि प्राप्त होती है और अज्ञान का नाश होता है, जिनसे भक्तों को संतोष देने वाली सम्पदाएँ प्राप्त होती हैं तथा जिनसे विघ्नों का नाश और समस्त कार्यों की सिद्धि होती है, उन गणेश को हम सदा नमन एवं भजन करते हैं।
- जिनसे पुत्र-सम्पत्ति सुलभ होती है, जिनसे मनोवांछित अर्थ सिद्ध होता है, जिनसे अभक्तों को अनेक प्रकार के विघ्न प्राप्त होते हैं तथा जिनसे शोक, मोह और काम प्राप्त होते हैं, उन गणेश को हम सदा नमन एवं भजन करते हैं।
- जिनसे अनन्त शक्ति सम्पन्न प्रसिद्ध शेषनाग प्रकट हुए, जो इस पृथ्वी को धारण करने एवं अनेक रूप ग्रहण करने में समर्थ हैं, जिनसे अनेक प्रकार के अनेक स्वर्गलोक प्रकट हुए हैं, उन गणेश को हम सदा ही नमन एवं भजन करते हैं।
- जिनके विषय में वेद वाणी कुंठित है, जहाँ मन की भी पहुंच नहीं है तथा श्रुति सदा सावधान रहकर नेति-नेति‘ – इन शब्दों द्वारा जिनका वर्णन करती है, जो सच्चिदानन्द स्वरूप परब्रह्म है, उन गणेश को हम सदा ही नमन एवं भजन करते हैं।
जो मनुष्य तीन दिनों तक तीनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र का पाठ करेगा, उसके सारे कार्य सिद्ध हो जायेंगे।
जो आठ दिनों तक इन आठ श्लोकों का एक बार पाठ करेगा और चतुर्थी तिथि को आठ बार इस स्तोत्र को पढ़ेगा, वह आठों सिद्धियों को प्राप्त कर लेगा।
जो एक माह तक प्रतिदिन दस-दस बार इस स्तोत्र का पाठ करेगा, वह कारागार में बंधे हुए तथा राजा के द्वारा वध-दण्ड पाने वाले कैदी को भी छुड़ा लेगा, इसमें संशय नहीं है।
इस स्तोत्र का इक्कीस बार पाठ करने से विद्यार्थी विद्या को, पुत्रार्थी पुत्र को तथा कामार्थी समस्त मनोवांच्छित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है।
जो मनुष्य पराभक्ति से इस स्तोत्र का जप करता है, वह गजानन का परम भक्त हो जाता है-ऐसा कहकर भगवान गणेश वहीं अंतर्धान हो गए।
॥ इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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