Shakti Chalini Kriya, क्या फायदे है शक्ति चालन मुद्रा के, कैसे करें इस क्रिया को, कुंडलिनी जागृत करने के फायदे, किन रोगों में फायदा होता है अश्विनी मुद्रा से ? |
जब बात आती है शरीर के अन्दर मौजूद सुप्त शक्तियों को जगाने की तब कुंडलिनी जागरण का विषय जरुर उठेगा क्यूंकि यही वो शक्ति है जो जब जागती है तो व्यक्ति को अपने देवत्व का पता चलता है, हमे अपने अन्दर मौजूद एक दिव्य दुनिया की जानकारी मिलती है |
योग ग्रंथो के अनुसार महाशक्ति कुंडलिनी मूलाधार चक्र में मौजूद है हर व्यक्ति के अन्दर वो चाहे नर हो, नारी हो या बच्चा हो परन्तु ये शक्ति सुप्त अवस्था में रहती है इसीलिए हमे अपने अन्दर मौजूद शक्तियों का भान नहीं होता है |
योग क्रियाओं द्वारा हमे शारीर की शुद्धि करते हैं, शरीर को ताकतवर बनाते हैं ताकि हम कुंडलिनी शक्ति को जगा सके और उनकी शक्ति को संभाल भी सके |
अनुक्रमणिका :
- किन बातो का ध्यान रखना चाहिए शक्तिचालन क्रिया को करने से पहले ?
- क्या है शक्तिचालनी मुद्रा/अश्विनी मुद्रा ?
- शक्ति चालिनी मुद्रा में शुरू में क्या परेशानी आ सकती है ?
- कैसे करें शक्तिचालिनी मुद्रा का अभ्यास ?
- Shakti chalini mudra के क्या फायदे हैं ?
Shaktichalini Mudra Kundlini jagaane ke liye |
Read In English What is SHAKTICHALINI PROCESS?
कुंडलिनी जब जागती है तो अपनी यात्रा ऊपर के चक्रों की और शुरू करती है अर्थात मूलाधार से स्वाधिष्ठान फिर मणिपुर चक्र फिर अनहद चक्र फिर विशुद्ध चक्र फिर आज्ञा चक्र और फिर सहस्त्रधार चक्र.
हमारी दैनिक क्रियाएं कुछ ऐसी है की हमारी शक्ति का क्षय होता रहता है और योग अभ्यास के द्वारा हम अपनी शक्ति को बढाते है और साथ ही ऊर्ध्वगामी भी बनाते हैं |
कई बार साधको से सुना है की हमारी कुंडलिनी जागी थी कुछ समय बहुत अच्छे अनुभव हुए परन्तु बाद में सब बंद हो गया | कुछ लोग कहते हैं की कुंडलिनी जागने के बाद इतने डरावने अनुभव हुए की हमने साधना बंद कर दी |
ये सब इसीलिए होता है क्यूंकि हम अपने शरीर को पूरी तरह से तैयार नहीं करते हैं | इस बात का ध्यान रखें की कुंडलिनी महाशक्ति है और उनको जागृत करने से पहले हमे बहुत तईयारी करनी चाहिए जिससे कुंडलिनी शक्ति की यात्रा निर्विघ्न रूप से चले और हम अनुभवों को पचा भी सकें |
जानिए कुंडलिनी शक्ति क्या है ?
कुंडलिनी को जगाने का अभ्यास करने से पहले हमे कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए :
- जिस क्षेत्र में कुंडलिनी का वास है उसे मजबूत बनाना चाहिए |
- अगर किसी भी प्रकार के नशे की आदत हो तो छोड़ देना चाहिए |
- खान पान अच्छा करना चाहिए |
- प्राणायाम, बंध और कुछ मुद्राओं को सीख लेना चाहिए और नियमित अभ्यास करना चाहिए |
शरीर और मन जितना पवित्र और स्वस्थ होगा कुंडलिनी शक्ति की यात्रा उतनी ही सहज रूप से चलेगी |
आज इस लेख में हम शक्तिचालनी मुद्रा/अश्विनी मुद्रा के बारे में जानेंगे जो की भगवती कुंडलिनी के क्षेत्र को मजबूत करती है और साथ ही कुंडलिनी को जगाने में भी मदद करती है |
क्या है शक्तिचालनी मुद्रा/अश्विनी मुद्रा ?
- ये एक शक्तिशाली क्रिया जो की कुण्डलिनी को ऊर्ध्वगामी बनाने में सहायता करती है । इसे अश्विनी मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है |
- Shakti chalini Mudra में हम गुदा द्वार और मूत्र संस्थान का संकुचन करते हैं और फिर छोड़ते हैं | ये क्रिया जब बार बार किया जाता है तो इससे भगवती का क्षेत्र मजबूत होता है और साथ ही कुंडलिनी जागरण में साधक को मदद मिलती है |
- शक्ति चालिनी मुद्रा का एक और सबसे बड़ा फायदा ये है की इससे हमारा गुदा स्थान और मूत्र संस्थान जो सिर्फ मल को बाहर करता है वो अब अंतर्मुखी होने लगता है |
- यही नहीं शक्ति चालिनी मुद्रा को करने वाले के गुप्तांगो की शक्ति भी जबरदस्त तरीके से बढ़ जाती है जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होती है |
- Shakti chalini mudra को करते करते साधक मूल बंध लगाना भी सीख जाता है जिससे कुंडलिनी शक्ति को जगाने में और मदद मिलती है, इसके बारे में आगे के लेखो में हम और विस्तार से जानेंगे |
- शक्तिचालनी मुद्रा का अभ्यास तब सही माना जाता है जब साधक आराम से अपने गुदा स्थान और मूत्र संस्थान को संकुचित और विसर्जन करने लगता है |
- Shakti chalini kriya करते हुए जब मूल बंध लगाया जाता है तब अपान वायु ऊपर की और उठने लगती है | ये योग साधको के लिए बहुत आवश्यक होता है | जैसे जैसे अभ्यास बढेगा आपको अपने शरीर में चमत्कारी बदलाव नजर आने लगेंगे |
आइये जानते हैं की शक्ति चालिनी मुद्रा में शुरू में क्या परेशानी आ सकती है ?
जब इसका अभ्यास किया जाता है तो कुछ लोगो को पेट में दर्द होता है, ये इसीलिए होता है क्यूंकि क्रिया सही तरीके से होती नहीं है अतः आपको इस क्रिया को बहुत धीरे धीरे समझ के करना चाहिए |
कुछ लोगो को मांस पेशियाँ खेचती हुई महसूस होंगी परन्तु घबराने की जरुरत नहीं है |
कैसे करें शक्तिचालिनी मुद्रा का अभ्यास ?:
- सबसे पहले किसी भी शांत स्थान में एक सहज आसन में बैठ जाए सुखासन या पद्मासन |
- अब कुछ गहरी साँसे ले और छोडिये और मन को एकाग्र करें |
- अब पूरा ध्यान अपने गुदा स्थान पे ले आइये |
- अब धीरे से गुदा को अन्दर की और खिचिये अपने संकल्प बल से, जब आप ऐसा करेंगे तो मूत्र संस्थान भी खिचायेगा अपने आप |
- अब छोड़ दीजिये |
- इस प्रकार धीरे से गुदा को सिकोड़ना और छोड़ना है, ऐसा लगातार करते रहिये |
- यही है शक्तिचालिनी मुद्रा |
आइये जानते हैं shakti chalini mudra के क्या फायदे हैं ?
इसके नाम से ये पता चलता है की ये मुद्रा कुंडलिनी शक्ति को चलाने में मदद करती है | जो शक्ति हमारे अन्दर सुप्त अवस्था में है मूलाधार में उसे ये मुद्रा जगा देती है और चलायमान करती है |
शिवसंहिता के अनुसार -
शक्तिचालनी मुद्रा का प्रतिदिन जो अभ्यास करता है उसे रोग नष्ट होते हैं और उसकी आयु बढती है |
- जब आप अपने संकल्प बल से अपने गुदा स्थान को बार बार संकुचित करते हैं और छोड़ते है तो इससे आपके संकल्प भी मजबूत होना शुरू होता है |
- शारीरिक शक्ति के साथ साथ मानसिक शक्ति बढ़ने लगती है |
- जिनका मूत्र स्थान और गुदा स्थान कमजोर है उन्हें बहुत फायदा होने लगता है |
- इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है |
- जिनको कब्ज रहता है उनके लिए बहुत ही फायदे मंद है ये अश्विनी मुद्रा |
- पाइल्स के रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद है अश्विनी मुद्रा |
- इससे जननांग की मांसपेशियां मजबूत होती है जिसका फायदा हमे सब तरफ देखने को मिलेगा |
- जो लोग अवसाद और तनाव के शिकार है उनके लिए भी ये क्रिया बहुत फायदेमंद है |
तो अगर आप कुंडलिनी साधना करना चाहते हैं या फिर अगर आप अपने शरीर को भी स्वस्थ रखना चाहते हैं तो शक्तिचालिनी मुद्रा/अश्विनी मुद्रा का अभ्यास रोज कीजिये |
स्वागत है आपका अध्यात्म की दुनिया में | जगाइए अपने सुप्त शक्तियों को, पहचानिए की हम क्या है कौन है |
अभ्यास कीजिये शक्ति चालिनी मुद्रा का और देखिये क्या बदलाव होता है आपके जीवन में |
Shakti Chalana Mudra, क्या फायदे है शक्ति चालन मुद्रा के, कैसे करें इस क्रिया को, कुंडलिनी जागृत करने के फायदे, किन रोगों में फायदा होता है अश्विनी मुद्रा से ? |
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