Skip to main content

Latest Astrology Updates in Hindi

December Grah Gochar In hindi Jyotish

December 2024 Grah Gochar, कौन से ग्रह बदलेंगे राशि दिसम्बर महीने में, किन राशियों को मिलेगा फायदा, december prediction, दिसम्बर में कब कौन सा ग्रह करेगा गोचर,  दिसम्बर 2024  राशिफल  | December 2024 Grah Gochar | December Rashifal:  साल का आखरी महीना है ये और इस महीने में गोचर कुंडली में बहुत कुछ बदलेगा जिसका प्रभाव हमे सभी तरफ देखने को मिलेगा | दिसम्बर माह में 2 ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे  और 2 ग्रहों की चाल बदलेगी जिससे लोगो के जीवन में, मौसम में, व्यापार जगत में बड़े बदलाव नजर आयेंगे |  कुछ राशियों का भाग्योदय होगा और कुछ लोगो के जीवन में चुनौतियाँ बढेंगी | Vedic jyotish के अनुसार एक निश्चित समय में हर ग्रह अपना राशि परिवर्तन करते हैं जिसे की गोचर कहा जाता है, ग्रहों के बदलाव के कारण लोगो के जीवन, वातावरण, व्यापार आदि में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं |  Watch Video Here December Grah Gochar In hindi Jyotish Read In English About December 2024 Planetary Transits आइये जानते हैं दिसम्बर 2024 में गोचर कुंडली में क्या बदलाव होंगे ?: शुक्र ग्रह 2 दिसंब...

Kilak Stotram Lyrics and Meaning in Hindi

Devi Keelakam | कीलक स्त्रोत्रम दुगा शप्तशती से || Kilakam Stotra Meaning | 

श्री दुर्गा सप्तशती में अर्गला स्तोत्र के बाद कीलक स्तोत्र का पाठ दिया गया है | इसका पाठ बहुत जरुरी माना गया है मन्त्र और तंत्र की सिद्धि में |

देवी मंत्रों का उच्च स्वर से पाठ करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है। 

देवी कीलक स्तोत्र के पाठ से मंत्रो को सिद्ध करने में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है | 

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले को कीलक स्तोत्र का पाठ करना जरुरी होता है | 

इस अद्भुत स्तोत्र के पाठ से साधना और सामान्य जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है |

कीलक स्तोत्र मंत्र साधना में आए श्रापों या अवरोधों को दूर करता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी साधक या भक्त जो इस कीलक स्तोत्र का पाठ करता है उसे  देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होता है |

कीलक स्तोत्रम का पाठ तंत्र साधको के लिए भी बहुत जरुरी है | 


Devi Keelakam | कीलक स्त्रोत्रम दुगा शप्तशती से || Kilakam Stotra Meaning |
Kilak Stotram Lyrics and Meaning in Hindi

Lyrics of Kilakam in Sanskrit:

॥अथ कीलकम ॥

विनियोग – 

ॐ अस्य श्रीकीलकमन्त्रस्य शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहासरस्वती देवता, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥


ॐ नमश्चण्डिकायै ॥

[ मार्कण्डेय उवाच ]


ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे ।

श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे ॥ 1 ॥


सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम् ।

सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः ॥ 2 ॥




सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि ।

एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति ॥ 3 ॥


न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते ।

विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम् ॥ 4 ॥


समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः ।

कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम् ॥ 5 ॥


स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः ।

समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम् ॥ 6 ॥


सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः ।

कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः ॥ 7 ॥


ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति ।

इत्थंरूपेण कीलेन महादेवेन कीलितम् ॥ 8 ॥


यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम् ।

स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः ॥ 9 ॥


न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते ।

नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात् ॥ 10 ॥


ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति ।

ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः ॥ 11 ॥


सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने ।

तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम् ॥ 12 ॥


शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः ।

भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत् ॥ 13 ॥


ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः ।

शत्रुहानिः परो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः ॥ ॐ ॥ 14 ॥


॥ इति देव्याः कीलक स्त्रोत्रम सम्पूर्णं ॥


पढ़िए देवी से सम्बंधित और मंत्रो के बारे में :

दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत्रम 

अर्गला स्त्रोत्रम 

देवी कवच 

तन्त्रोक्तं देवी सूक्तं के फायदे 

देवी कीलकम् का अर्थ :

मार्कण्डेय जी कहते हैं- विशुद्ध ज्ञान ही जिनका शरीर है, तीनों वेद ही जिनके तीन नेत्र हैं, जो कल्याण प्राप्ति के हेतु हैं तथा अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करते हैं, उन भगवान् शिव को नमस्कार है। मन्त्रों का जो अभिकीलक है अर्थात मन्त्रों की सिद्धि में विघ्न उपस्थित करने वाले शापरूपी कीलक का निवारण करने वाला है, उस सप्तशती स्तोत्र को सम्पूर्ण रूप से जानना चाहिए|

उसके भी उच्चाटन आदि कर्म सिद्ध होते हैं उसे भी समस्त दुर्लभ वस्तुओं की प्राप्ति होती है; तथापि जो अन्य मन्त्रों का जप न करके केवल इस सप्तशती नामक स्तोत्र से ही देवी की स्तुति करते हैं, उन्हें स्तुति मात्र से ही सच्चिदानन्दस्वरूपिणी देवी सिद्ध हो जाती हैं। उन्हें अपने कार्य की सिद्धि के लिये मंत्र, औषधि तथा अन्य किसी साधन के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहती | बिना जप के उनके उच्चाटन आदि समस्त अभिचारिक कर्म सिद्ध हो जाते हैं ।

इतना ही नहीं ,उनकी संपूर्ण अभीष्ट वस्तुएँ भी सिद्ध होती है | लोगों के मन में यह शंका थी कि 'जब केवल सप्तशती की उपासना से भी सामान रूप से अथवा सप्तशती को छोड़कर अन्य मंत्रो की उपासना से भी सामान रूप से सब कार्य सिद्ध होते है, अब इनमे श्रेष्ठ कौन सा साधन है?' लोगों की इस शंका को सामने रखकर भगवान् शंकर ने अपने पास आए हुए जिज्ञासुओं को समझाया की यह सप्तशती नामक संपूर्ण स्रोत ही सर्वश्रेष्ठ एवं कल्याणमय है तदनन्तर भगवती चण्डिकाके सप्तशती नामक स्त्रोत को महादेव जी ने गुप्त कर दिया; सप्तशती के पाठसे जो पुण्य प्राप्त होता है, उसकी कभी समाप्ति नहीं होती; किंतु अन्य मंत्रो के जपजन्य पुण्य की समाप्ति हो जाती है, अतः भगवान् शिव ने अन्य मंत्रो की अपेक्षा जो सप्तशती की ही श्रेष्ठता का निर्णय किया उसे जानना चाहिए ।

अन्य मंत्रो का जप करनेवाला पुरुष भी यदि सप्तशती के स्त्रोत और जप का अनुष्ठान कर ले तो वह भी पूर्ण रूप से ही कल्याण का भागी होता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, जो साधक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी अथवा अष्टमी को एकाग्रचित होकर भगवती कीसेवा में अपना सर्वस्वा समर्पित कर देता है और फिर उसे प्रसाद रूप से ग्रहण करता है, उसी पर भगावती प्रसन्न होती है; अन्यथा उनकी प्रसन्नता नहीं प्राप्त होती; इस प्रकार सिद्धि के प्रतिबंधक रूप कीलके द्वारा महादेव जी ने इस स्त्रोत को कीलित कर रखा है ।

जो पूर्वोक्त रीति से निष्कीलन करके इस सप्तसती स्त्रोत का प्रतिदिन स्पष्ट उच्चारणपूर्वक पाठ करता है, वह मनुस्य सिद्ध हो जाता है, वही देवी का पार्षद होता है और वही गांधर्व भी होता है । सर्वत्र विचरते रहने पर भी इस संसार में उसे कहीं भी भय नहीं होता | वह अपमृत्यु के वश में नहीं पड़ता तथा देह त्यागने के अनन्तर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

अतः कीलन को जानकार उसका परिहार करके ही सप्तसती का पाठ आरंभ करे, जो ऐसा ही करता उसका नाश हो जाता है, इसलिए कीलकऔर निष्कीलन का ज्ञान प्राप्त करने पर ही यह स्त्रोत निर्दोष होता है और विद्वान् पुरुष इस निर्दोष स्तोत्र का ही पाठ आरंभ करते है। स्त्रियों में जो कुछ भी सौभाग्य आदि दृश्टिगोचर होता है, वह सब देवी के प्रसाद का ही फल है | अतः इस कल्याणमय स्त्रोत का सदा जप करना चाहिए ।

इस स्त्रोत का मंद स्वर से पाठ करने पर स्वल्प फल की सिद्धि है, अतः उच्च स्वर से ही इसका पाठ आरंभ करना चाहिए जिनके प्रसाद से ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, सम्पत्ति, शत्रुनाश तथा परम मोक्ष की भी सिद्धि होती है|

Devi Keelakam | कीलक स्त्रोत्रम दुगा शप्तशती से || Kilakam Stotra Meaning | 

Comments

Popular posts from this blog

om kleem kaamdevay namah mantra ke fayde in hindi

कामदेव मंत्र ओम क्लीं कामदेवाय नमः के फायदे,  प्रेम और आकर्षण के लिए मंत्र, शक्तिशाली प्रेम मंत्र, प्रेम विवाह के लिए सबसे अच्छा मंत्र, सफल रोमांटिक जीवन के लिए मंत्र, lyrics of kamdev mantra। कामदेव प्रेम, स्नेह, मोहक शक्ति, आकर्षण शक्ति, रोमांस के देवता हैं। उसकी प्रेयसी रति है। उनके पास एक शक्तिशाली प्रेम अस्त्र है जिसे कामदेव अस्त्र के नाम से जाना जाता है जो फूल का तीर है। प्रेम के बिना जीवन बेकार है और इसलिए कामदेव सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका आशीर्वाद जीवन को प्यार और रोमांस से भरा बना देता है। om kleem kaamdevay namah mantra ke fayde in hindi कामदेव मंत्र का प्रयोग कौन कर सकता है ? अगर किसी को लगता है कि वह जीवन में प्रेम से वंचित है तो कामदेव का आह्वान करें। यदि कोई एक तरफा प्रेम से गुजर रहा है और दूसरे के हृदय में प्रेम की भावना उत्पन्न करना चाहता है तो इस शक्तिशाली कामदेव मंत्र से कामदेव का आह्वान करें। अगर शादी के कुछ सालों बाद पति-पत्नी के बीच प्यार और रोमांस कम हो रहा है तो इस प्रेम मंत्र का प्रयोग जीवन को फिर से गर्म करने के लिए करें। यदि शारीरिक कमज...

Tantroktam Devi suktam Ke Fayde aur lyrics

तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्‌ ॥ Tantroktam Devi Suktam ,  Meaning of Tantroktam Devi Suktam Lyrics in Hindi. देवी सूक्त का पाठ रोज करने से मिलती है महाशक्ति की कृपा | माँ दुर्गा जो की आदि शक्ति हैं और हर प्रकार की मनोकामना पूरी करने में सक्षम हैं | देवी सूक्तं के पाठ से माता को प्रसन्न किया जा सकता है | इसमें हम प्रार्थना करते हैं की विश्व की हर वास्तु में जगदम्बा आप ही हैं इसीलिए आपको बारम्बार प्रणाम है| नवरात्री में विशेष रूप से इसका पाठ जरुर करना चाहिए | Tantroktam Devi suktam  Ke Fayde aur lyrics आइये जानते हैं क्या फायदे होते हैं दुर्गा शप्तशती तंत्रोक्त देवी सूक्तं के पाठ से : इसके पाठ से भय का नाश होता है | जीवन में स्वास्थ्य  और सम्पन्नता आती है | बुरी शक्तियों से माँ रक्षा करती हैं, काले जादू का नाश होता है | कमजोर को शक्ति प्राप्त होती है | जो लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं उनके आय के स्त्रोत खुलते हैं | जो लोग शांति की तलाश में हैं उन्हें माता की कृपा से शांति मिलती है | जो ज्ञान मार्गी है उन्हें सत्य के दर्शन होते हैं | जो बुद्धि चाहते हैं उन्हें मिलता ह...

Rinmukteshwar mahadev mantra Ke fayde

कर्ज मुक्ति के लिए महादेव का शक्तिशाली मंत्र |  Rin Mukteshwar Mahadev Mantra | spell to overcome from debt, कहाँ पर है ऋण मुक्तेश्वर मंदिर ?, कर्ज बढ़ने के ज्योतिषीय कारण | ये मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने में बहुत मददगार है, किसी भी प्रकार के ऋण से छुटकारा दिलाने में मदद करता है, भगवान् शिव की कृपा को आकर्षित करने का बहुत ही सशक्त और सरल माध्यम है | अगर आपके ऊपर कर्जा बढ़ता जा रहा हो तो ऐसे में ऋणमुक्तेश्वर महादेव की पूजा बहुत लाभदायक है |  Rinmukteshwar mahadev mantra Ke fayde Read in english about Benefits Of RINMUKTESHWAR MANTRA हर महीने जब लेनदार पैसे मांगने आते हैं तो अच्छा नहीं लगता है , स्थिति तब और ख़राब होती है जब की देने के लिए धन नहीं होता है | कर्जा सिर्फ उस व्यक्ति को ही परेशां नहीं करता है जिसने लिया है अपितु पुरे परिवार को शर्मनाक स्थिति से गुजरने के लिए मजबूर करता है अतः जितना जल्दी हो सके कर्जे से बाहर आने की कोशिश करना चाहिए |  आज के इस युग में हर व्यक्ति दिखावटी जीवन जीना चाहता है और इसी कारण एक अंधी दौड़ में शामिल हो गया है | सुख सुविधाओं को एकत्...