कुंडली का आठवां भाव, Kundli ka Ashtam bhaav, 8th House in birth chart | वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के अष्टम भाव पर विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव होता है ? |
जन्म पत्रिका का आठवां भाव एक अत्यंत ही रहस्यमय भाव है क्यूंकि इस भाव के कारण जीवन में जबरदस्त बदलाव होते हैं इसीलिए ज्योतिष में इस भाव का अध्ययन बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना गया है | इस भाव में बैठे ग्रह और इस भाव का स्वामी जब भी दशा में आते हैं तब जीवन में बड़े परिवर्तन होते हैं |
वैदिक ज्योतिष में आठवां भाव को स्वास्थ्य भाव और मृत्यु भाव भी कहा जाता है। जीवन साथी के साथ हमारे सम्बन्ध कितने गहरे होंगे ये भी इस भाव के अध्ययन से पता किया जा सकता है | अष्टम भाव का सम्बन्ध सिर्फ स्वास्थ्य से ही नहीं है अपितु, यात्रा, करियर में बदलाव, सेक्स, धन प्राप्ति, दुर्घटना आदि से भी है | जीवन के गहरे राज इसी भाव के अध्ययन से पता किये जा सकते हैं | हमे जीवन में किन चीजो से सावधान रहना चाहिए ये भी इसी घर के अध्ययन से पता चलता है |
Kundli ka ASHTAM Bhav Kya Batata Hai |
Read in english about Importance of 8th House in Birth Chart
आइये और विस्तार से समझते हैं जन्म पत्रिका के अष्टम भाव को :
- इस घर से जुड़े प्राकृतिक ग्रह और राशि मंगल और वृश्चिक हैं |
- कुंडली के इस घर को आयु भाव, स्वास्थ्य भाव, निधि भाव, मृत्यु भाव के नाम से भी जाना जाता है |
- शरीर के गुप्त अंग, जननांग क्षेत्र का सम्बन्ध इसी भाव से है |
- जन्म पत्रिका का अष्टम भाव गुप्त धन और जीवन के रहस्यों से जुड़ा हुआ है |
- जीवन साथी के जीवन में लाभ का अध्ययन इसी भाव से किया जा सकता है |
- जीवन में गंभीर रोगों का अध्ययन इस भाव से किया जा सकता है |
- जीवन में अचानक से होने वाले बड़े बदलाव का अध्ययन अष्टम भाव के अध्ययन से किया जाता है |
आइये अब जानते हैं की कुंडली के अष्टम भाव में विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली सूर्य जातक को बुद्धिमान बनाता है, यात्रा करने वाला बनता है, एक अच्छा शोध कार्य करने वाला बनाता है | ऐसे जातक का जीवन साथी भी बुद्धिमान होता है और उसमे नेतृत्त्व क्षमता भी होती है |
जन्म कुंडली के अष्टम भाव में अशुभ या कमजोर सूर्य जातक के वैवाहिक जीवन को ख़राब करता है, रोगी बनाता है|
पढ़िए कमजोर सूर्य का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
जन्म कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली चंद्रमा आत्मविश्वास देता है, आर्थिक रुप से मजबूत बनाता है, जीवनसाथी के साथ अच्छे सम्बन्ध बनवाता है, ससुराल पक्ष से धन लाभ करवा सकता है |
जन्म कुंडली के आठवें घर में पीड़ित या कमजोर चंद्रमा जातक को रोगी बनाता है, भय पैदा करता है, आत्मविश्वास की कमी लाता है, रिश्तो में धोखा मिल सकता है आदि |
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जन्म कुंडली के आठवें भाव में मंगल का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली मंगल जातक को भूमि से लाभ करवाता है, साहस देता है, जीवन साथी को संतुष्ट करने की शक्ति देता है, जोखिमभरे कार्यो को करने की और प्रेरित करता है |
जन्म कुंडली के आठवें भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक के लिए बहुत घातक होता है, दुर्घटना करा सकता है, गंभीर रोग दे सकता है, जननांग से सम्बंधित रोग दे सकता है, वैवाहिक जीवन को ख़राब कर सकता है आदि |
इस भाव में मंगल के होने से जातक मांगलिक भी होता है |
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जन्म कुंडली के आठवें भाव में बुध का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली बुध जातक को बुद्धिमान बनाता है, शोध कार्य में सफलता देता है, लेखन का कौशल देता है, चिकित्सा क्षेत्र में सफलता देता है आदि |
जन्म कुंडली के आठवें भाव में अशुभ या कमजोर बुध जातक को अनैतिक कार्यो से जोड़ सकता है, धन हानि करवा सकता है, कर्जा दे सकता है, जातक के सम्बन्ध करीबियों से खराब हो सकते हैं |
पढ़िए कमजोर बुध का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
जन्म कुंडली के आठवें भाव में गुरु का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली बृहस्पति जातक को प्रकांड विद्वान् बना सकता है, शिक्षण के क्षेत्र में अपार सफलता देता है, क्रांतिकारी विचारधरा प्रदान करता है, आर्थिक रुप से मजबूत बनाता है |
जन्म कुंडली के आठवें भाव में अशुभ या कमजोर गुरु जातक को कदम कदम पे असफलता दे सकता है, जातक लाभ कमाने की कोशिश में धन हानि करता रहता है | जातक को अपने विद्या का उपयोग करने में भी परेशानी आती है |
पढ़िए कमजोर गुरु का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
जन्म कुंडली के आठवें भाव में शुक्र का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली शुक्र जातक को अपने साथी और प्रेमी को सन्तुष करने की जबरदस्त शक्ति देता है | समस्त ऐशो आराम की जिन्दगी देता है, विपरीत लिंग से अच्छे सम्बन्ध बनाने की विशेष आकर्षण शक्ति देता है |
जन्म कुंडली के आठवें भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को अनैतिक संबंधो की और धकेल सकता है, गुप्त रोग दे सकता है, जातक सुख की तलाश में खूब धन बर्बाद कर सकता है |
पढ़िए कमजोर शुक्र का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
जन्म कुंडली के आठवें भाव में शनि का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली शनि जातक को अध्यात्म मार्ग में सफलता दिलाता है, मेहनती बनता है, भूमि लाभ दिला सकता है |
परन्तु इस भाव में अशुभ या कमजोर शनि जातक को गंभीर रोगों से ग्रस्त कर सकता है, ऋण ग्रस्त कर सकता है, जीवन साथी के साथ संबंधो में असंतोष पैदा कर सकता है, लम्बी बिमारी से ग्रस्त कर सकता है |
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जन्म कुंडली के आठवें भाव में राहु का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली राहु जातक को स्वस्थ और शक्तिशाली विचारधारा प्रदान करता है, समाज में एक अलग पहचान दिलाता है |
इस भाव में अशुभ या कमजोर राहू जातक को गंभीर रोग से ग्रस्त कर सकता है, धन हानि करवा सकता है, क्रोध के कारण जातक बहुत नुकसान करता है, दुर्घटनाओं के योग बनाता है आदि |
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जन्म कुंडली के आठवें भाव में केतु का प्रभाव :
जन्म पत्रिका के अष्टम घर में शुभ और शक्तिशाली केतु जातक को विद्वान् बनता है, काम काज में सफलता दिलाता है, अध्यात्म मार्ग में सफलता प्राप्त करने की शक्ति देता है |
जन्म कुंडली के अष्टम भाव में अशुभ या कमजोर केतु जातक को ऐसे रोग दे सकता है जिसके कारणों का पता करना मुश्किल होता है | जातक अन्वाश्यक कार्यो में धन बर्बाद करता रहता है | समाज में लोगो से सम्बन्ध भी बिगड़ते रहते हैं |
तो इस प्रकार हमने जाना की कुंडली का अष्टम भाव क्या महत्त्व रखता है और इस भाव से हम क्या क्या जान सकते हैं, विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव पड़ता है आठवें भाव पे |
अगर आप अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहते हैं तो ज्योतिष से संपर्क करें |
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कुंडली का आठवां भाव, Kundli ka Ashtam bhaav, 8th House in birth chart | वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के अष्टम भाव पर विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव होता है ? |
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