कुंडली का तीसरा भाव, Kundli ka Tesra bhaav, 3rd House in Kundli | वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में तीसरा भाव पर विभिन्न ग्रहों का प्रभाव क्या होता है |
जन्म कुंडली का तीसरा भाव अती महत्त्वपूर्ण है क्यूंकि जीवन के अती महत्त्वपूर्ण विषयो का सम्बन्ध इस भाव से है जैसे छोटी यात्राओं को करना, भाई बहन के साथ सम्बन्ध, पराक्रम, माता का स्वास्थ्य, जीवनसाथी का भाग्य, स्वयं का धैर्य आदि |
जैसा की हम अपने पहले लेख में देख चुके है की जन्म पत्रिका में कुल 12 घर होते हैं और 9 ग्रह इन्ही में से किसी में बैठते हैं और जीवन को प्रभवित करते हैं | हमारे कुंडली हमारे जीवन का दर्पण होता है जिसके अध्ययन से ये पता चलता है की हमारे जीवन में कब लाभ होगा, कब परेशानी आएगी, कौन सा काम ठीक रहेगा, किनसे सावधान रहना चाहिए आदि |
Kundli ka Teesra Bhav in Jyotish |
जन्म कुंडली के तीसरे भाव के बारे में महत्वपूर्ण बातें :
- जन्म पत्रिका का तीसरा भाव पराक्रम भाव और सहज भाव भी कहलाता है|
- इस भाव से समबंधित प्राकृतिक ग्रह और राशि मिथुन और बुध हैं |
- हमारे शरीर में श्वास नाली, गर्दन, हाथ, कंधे, कान का सम्बन्ध कुंडली के तीसरे भाव से है |
- इस भाव का सम्बन्ध छोटी यात्राओं, भाई बहन के साथ सम्बन्ध, पराक्रम, माता का स्वास्थ्य, जीवनसाथी का भाग्य, स्वयं का धैर्य, पडोसी आदि से होता है |
आइये अब जानते हैं की जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव होता है ?
1.कुंडली के तीसरे भाव पर सूर्य का असर:
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुभ और शक्तिशाली सूर्य जातक को भ्रमणशील और ज्ञानी बनाएगा | ऐसे जातक अपने भाई बहनों की जेम्मेदारियां भी बखूबी निभाता है | ऐसे जातक के जीवन साथी भी काफी बुद्धिमान होते हैं | जीवन में चुनातियों को स्वीकार करने की योग्यता भी सूर्य देता है |
परन्तु अगर तीसरे भाव में सूर्य अशुभ या कमजोर हो जाए तो जातक को विद्या प्राप्ति में परेशानी देता है, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तो को बनाए रखने में परेशानी देता है, जातक के जीवन साथी को भी आगे बढ़ने के लिए दुसरो की अपेक्षा ज्यादा मेहनत करना होती है |
पढ़िए कमजोर सूर्य का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
2.कुंडली के तीसरे भाव पर चन्द्रमा का असर:
जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में शुभ और शक्तिशाली चंद्रमा जातक को कल्पना शक्ति देता है, ऐसे लोगो के सम्बन्ध भाई बहनों से भी बहुत अच्छे रहते हैं | यात्राओ से जातक को लाभ होता है, परन्तु इसका नकारात्मक पहलु ये है की अगर कोई आपको भावनात्मक रुप से चोट पंहुचा दे तो उससे आपकी कट्टर दुश्मनी हो सकती है |
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में ख़राब चंद्रमा पारिवारिक अशांति देता है, संबंधो में परेशानी देता है, श्वास रोग भी हो सकता है |
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3.कुंडली के तीसरे भाव पर मंगल का असर:
जन्म कुंडली के तीसरे घर में शुभ और शक्तिशाली मंगल जातक को पराक्रमी बनता है, जोखिम उठाने की क्षमता देता है, जातक में नेतृत्त्व क्षमता भी देता है | अगर इस घर में मंगल अशुभ और कमजोर हो जाए तो जातक को आलसी, लापरवाह बना सकता है, भाई बहनों के साथ सम्बन्ध ख़राब कर सकता है|
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4.कुंडली के तीसरे भाव पर बुध का असर:
जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में शुभ और शक्तिशाली बुध जातक को ऑनलाइन काम करने में सफलता देता है, कुशाग्र बुद्धि देता है, वक्ता, लेखक बन्ने की योग्यता देता है | अगर यहाँ पे अशुभ या कमजोर बुध बैठ जाए तो जातक को गलत संगत में डाल सकता है और रोगी बना सकता है |
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5.कुंडली के तीसरे भाव पर गुरु का असर:
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुभ और शक्तिशाली बृहस्पति जातक को विद्वान बनाता है, जिम्मेदारियां देता है और योग्यता भी देता है उन्हें निभाने की | जातक प्रेरक बन सकता है, अध्यापन के क्षेत्र में तरक्की कर सकता है |
इस भाव में अशुभ और कमजोर गुरु जातक के भाई बहनों के साथ सम्बन्ध ख़राब कर सकता है, पढ़ाई लिखाई का सही उपयोग करने में परेशानी दे सकता है |
पढ़िए कमजोर गुरु का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
6.कुंडली के तीसरे भाव पर शुक्र का असर:
जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में शुभ और शक्तिशाली शुक्र जातक को आकर्षक व्यक्तित्त्व देता है, परिवार में ऐसे जातक का अलग ही महत्त्व होता है | परन्तु अगर इस भाव में शुक्र अशुभ हो जाए तो जातक का जीवन अनावश्यक खर्चो के कारण ख़राब होता है |
पढ़िए कमजोर शुक्र का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या उपाय कर सकते हैं ?
7. कुंडली के तीसरे भाव पर शनि का असर:
जन्म कुंडली के तीसरे घर में शुभ और शक्तिशाली शनि जातक को अती जिम्मेदार बना सकता है, जातक अपना पूरा जीवन दुसरो की सेवा में ही बिता सकता है, इमानदारी और न्यायप्रियता जातक में देखने को मिलती है |अगर इस भाव में शनि अशुभ हो जाए तो जातक को कदम कदम पे परेशानी देगा, पारिवारिक कलह दे सकता है |
पढ़िए अशुभ शनि के उपाय ज्योतिष में |
8.कुंडली के तीसरे भाव पर राहू का असर:
कुंडली के तीसरे घर में शुभ और शक्तिशाली राहू जीवन में लोगो से संपर्क बढाने में मदद करता है और साथ ही जातक में नेतृत्त्व क्षमता भी जागृत करता है | अगर इस भाव में राहू अशुभ या कमजोर हो जाए तो जातक के जीवन में संघर्ष बढ़ा देता है, जातक नकारात्मक रूप से सोचने लगता है, रह रह के अवसादग्रस्त होता है |
पढ़िए अशुभ राहु और केतु के उपाय
9.कुंडली के तीसरे भाव पर केतु का असर:
जन्म कुंडली के तीसरे घर में शुभ और शक्तिशाली केतु जातक को खोजी बना सकता है | जातक सत्य की तलाश में लगा रहता है, धर्म और समाज सेवा के कार्यो में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है |
इस भाव में अशुभ केतु जातक के अन्दर भ्रम पैदा करता है जिससे जातक अजीबोगरीब शोध कार्यो में धन बर्बाद कर सकता है |
तो इस प्रकार हमने देखा की kundli के तीसरे भाव का क्या महत्त्व है और विभिन्न ग्रहों का इसपे क्या असर होता है |
अगर आप अपनी कुंडली से जानना चाहते हैं की कौन से ग्रह आपके जीवन में संघर्ष पैदा कर रहे हैं, कौन से ग्रह शुभ हैं और कैसे हम जीवन में सफलता को आकर्षित कर सकते हैं तो ज्योतिष सेवा के लिए संपर्क कर सकते हैं |
कुंडली का तीसरा भाव, Kundli ka Tesra bhaav, 3rd House in Kundli | वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में तीसरा भाव पर विभिन्न ग्रहों का प्रभाव क्या होता है |
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