Kundli Ke 12 Bhavo Mai Mangal Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में मंगल का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में mangal का फल |
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा की उपाधि प्राप्त है और मंगल को सेनापति की उपाधि प्राप्त है | भूमिपुत्र होने के कारण इनको भौम के नाम से भी जानते हैं |
मंगल का रंग अंगारों के समान होने के कारण इसे अंगारक के नाम से भी जानते हैं | कुंडली में मेष और वृश्चिक राशि के ये स्वामी होते हैं | यह मकर राशि में उच्च और कर्क राशि में नीच के होते हैं । मंगल ग्रह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी होते है। जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में स्थित होने मांगलीक योग/मंगल दोष बनाता है।
Kundli ke 12 Bhavo me Mangal ka Prabhav |
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह :
Mangal का सम्बन्ध साहस, छोटा भाई, सुख, पराक्रम, धैर्य, अभिमान, शत्रु, कीर्ति, युद्ध, रक्त विकार, युद्ध, अग्नि, संहार, क्रूरता, विजय, भूमि, भाई, क्रोध, पित्त विकार, ऋण, आलोचना, उत्साह, यौवन ताप, बाहुबल, ताँबा, मूंगा, दण्ड, शस्त्र, मिथ्या भाषण, उच्च मानसिक विचार, रक्त वस्त्र, रक्त पुष्प, रक्त चंदन, गुड़ आदि मंगल के अधिकार में आते हैं।
मंगल का सम्बन्ध किन रोगों से होता है ?
शरीर में जलन, सभी प्रकार के बुखार, फोड़े-फुंसी, खुजली, मुंहासे, मानसिक रोग जैसे पागलपन, गुप्त रोग, फिस्टुला, बवासीर और यौन रोग महिलाओं में रक्त प्रदर, हर्निया आदि रोग का सम्बन्ध मंगल से होता है |
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आइये अब जानते हैं कुंडली के 12 भावों में मंगल का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में मंगल का क्या प्रभाव होता है ?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के पहले भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल जातक को साहसी बनाता है, स्वतंत्र रूप से काम करने के योग्यता देता है, मजबूत शारीर देता है, अपने लक्ष्य के प्रति जूनून देता है |
कुंडली के प्रथम भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक को अनेक प्रकार की परेशानियाँ देता है जैसे व्यक्ति अपने ही गलत व्यवहार के कारण अपने जीवन को संकटों में डाल देता है, भाई बहनों के साथ रिश्ते ख़राब होते हैं, जीवन साथी के साथ सम्बन्ध खराब होते हैं, जातक झगड़ालू और लड़ाकू हो सकता है।
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जन्म कुंडली के दूसरे भाव में मंगल का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल के होने से जातक को भूमि सम्बन्धी लाभ देता है, जातक का जीवन साथी भी संपत्ति बनाने के योग्यता रखता है, जातक बोलने में बहुत कड़क होता है|
कुंडली के द्वितीय भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक को चिडचिडा बना सकता है, जीवनसाथी को रोगी बना सकता है, आँखों की समस्या दे सकता है |
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में मंगल का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक पराक्रमी होता है, साहसी होता है, जोखिमभरे कार्यो से धन अर्जित करने की योग्यता रखता है, भाई बहनों को भी आगे बढ़ने में मदद करता है |
कुंडली के तृतीय भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक को क्रोधी बना सकता है, भाई बहनों के साथ सम्बन्ध ख़राब कर सकत है, माता को रोगी बना सकता है |जीवन साथी के जीवन में संघर्षो को बढ़ा सकता है |
जन्म कुंडली के चौथे भाव में मंगल का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के चौथे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक को भूमि, वाहन उपलब्ध करवाता है, जातक भ्रमण बहुत करता है और एक से अधिक आय के स्त्रोत भी होते हैं |
कुंडली के चौथे भाव में अशुभ या कमजोर मंगल के कारण जातक को परिवारक सुख कम मिलता है, जातक की संतान बीमार रह सकती है, वैवाहिक जीवन को लेकर चिंता बनी रह सकती है, जातक मांगलिक होता है |
जन्म कुंडली के पांचवे भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
जन्म कुंडली के पंचम भाव अगर शुभ और शक्तिशाली मंगल बैठ जाए तो जातक को बुद्धिमान, जुनूनी बनाता है, ऐसे जातक खेलकूद, कला जगत की दुनिया में काफी नाम कमा सकते हैं | विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बहुत जल्दी होता है |
कुंडली के पंचम भाव में अशुभ या कमजोर मंगल के कारण जातक को प्रेम जीवन में असंतोष से गुजरना पड़ता है | जातक सट्टा बाजार या शेयर बाजार के काम में बहुत नुकसान उठाता है | विपरीत लिंग के कारण बदनामी उठानी पड़ सकती है |
जन्म कुंडली के छठे भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
जन्म कुंडली के छठे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक शत्रुओ को परास्त करने वाला होता है, जीवन साथी को भूमि लाभ होता है, जातक अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए हर प्रकार के कदम उठाने को तैयार होता है |
कुंडली के छठे भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक को कर्जे में डाल सकता है, कानूनी मामलो में फंसा सकता है, जातक का जीवन साथी रोगी रह सकता है | जातक बवासीर या ब्लडप्रेशर का रोगी हो सकता है, अनैतिक कार्यो के कारण परेशां हो सकता है|
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के सप्तम भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल मौजूद हो तो जातक को मांगलिक बनाता है, जातक की पहचान शक्तिशाली लोगो से होता है, जातक साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्यो के साथ जुड़ा रहता है |
कुंडली के सप्तम भाव में अगर अशुभ या कमजोर मंगल हो तो जातक का सम्बन्ध जीवनसाथी के साथ अच्छा नहीं होता है, करीबियों से धोखा मिलता है, व्यापार में काफी हानि हो सकती है | जातक का अनैतिक सम्बन्ध भी बन सकते हैं |
जन्म कुंडली के अष्टम भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के अष्टम भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक को जीवन में अचानक से बड़े लाभ दिलवाता है, जातक में किसी भी विषय की गहराई में जाने की योग्यता होती है, जातक के अन्दर गर्मी बहुत होती है, जातक साहसी होता है और चुनैतियो को स्वीकार करता है |
कुंडली के अष्टम भाव में अगर अशुभ या कमजोर मंगल हो तो जातक को दुर्घटनाओं से गुजरना होता है, दाम्पत्य जीवन में समस्याएं रहती हैं, पाइल्स हो सकता है, गुप्त रोग हो सकते हैं, कब्ज की समस्या बनी रह सकती है |
जन्म कुंडली के नवम भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के नवम भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक को अपने ज्ञान का अभिमान होता है, सम्पत्तिवान होता है, पैतृक संपत्ति का लाभ होता है, जातक भाई बहनों के साथ मिलके कुछ काम शुरू कर सकता है आय के लिए | जातक साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्यो को करने में व्यस्त रहता है |
कुंडली के नवम भाव में अगर अशुभ या कमजोर मंगल हो तो जातक को भाग्य का साथ नहीं मिलता है, जातक अपनी विद्या का पूरा लाभ नहीं ले पाता है, जातक को उसकी मेहनत का यश प्राप्त नहीं होता, जातक अंधविश्वास के कारण परेशां रह सकता है |
जन्म कुंडली के दशम भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के दशम भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक अपने कार्य क्षेत्र में बहुत तरक्की करता है, जातक को काफी प्रसिद्धि मिलती है | जातक अपनी मेहनत के कारण नाम और यश प्राप्त करता है |
कुंडली के दशम भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक को अपयश दे सकता है, माता को स्वास्थ्यहानि होती है|
जन्म कुंडली के एकादश भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के ग्यारहवें भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक अनेक स्त्रोतों से कमाता है | जातक अपनी हर ईच्छा को पूरा करता है | बड़े भाई के सहयोग से भी रुके काम पुरे होते हैं |
कुंडली के एकादश भाव में अगर अशुभ या कमजोर मंगल हो तो जातक को संतान से सम्बंधित कष्ट होता है, जातक को अपने विद्या के हिसाब से आय प्राप्त नहीं होती है, जातक को प्रेम संबंधो में असंतोष प्राप्त होता है, शिक्षा में बाधाएं आती हैं, आजीविका के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ सकता है |
जन्म कुंडली के बारहवें भाव में मंगल का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के बारहवें भाव में शुभ और शक्तिशाली मंगल हो तो जातक को भूमि लाभ होता है, जातक जुनूनी होता है, छोटे भाई बहनों को समाज में मान-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है |
कुंडली के बारहवें भाव में अशुभ या कमजोर मंगल जातक के वैवाहिक जीवन को ख़राब करता है, स्वास्थ्य हानि देता है, कर्जा बढ़ा सकता है, आंखों की समस्या हो सकती है । शत्रुओं के कारण जीवन में परेशानी बहुत होती है, जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेके चिंता बनी रह सकती है |
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अब आइये जानते हैं की ख़राब मंगल के लिए कौन कौन से उपाय कर सकते हैं ?
- मंगल शांति पूजा समय समय पर करवाते रहना चाहिए |
- भाई बहनों को कुछ न कुछ उपहार देते रहना चाहिए |
- मंगल को शुभ बनाने के लिए हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।
- मिट्टी के घड़े में गुड़ डालकर मंगलवार को सुनसान स्थाान में रख आएं।
- मंगलवार का व्रत रख सकते हैं |
- लाल मसूर की दाल का दान करें |
- रात को सिरहाने तांबे के लोटे में पानी भरकर रखें और सुबह उस जल को पीपल के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
Kundli Ke 12 Bhavo Mai Mangal Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में मंगल का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में mangal का फल |
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