Skip to main content

Latest Astrology Updates in Hindi

Chaitra Navratri Ki Mahima in hindi Jyotish

कब से है चैत्र नवरात्री 2025, chaitra navratri ka mahattwa in hindi, kya kare, जानिए क्या कर सकते हैं जीवन को सफल बनाने के लिए, ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी | Chaitra Navratri 2025: जैसा की हम सब जानते है की नवरात्री के 9 दिन बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं, साधना के लिए, मनोकामना पूर्ण करने के लिए, पूजा पाठ करने के लिए.  इस बार चैत्र नवरात्री 30 March रविवार से शुरू होके 6 april रविवार तक रहेगी और माताजी की सवारी हाथी रहेगी जो की बहुत ही शुभ माना जाता है | ख़ास बात ये भी ध्यान रखना है की इस बार नवरात्री 8 दिन की रहेगी.  Chaitra Navratri Ki Mahima in hindi Jyotish Chaitra Navratri 2025 घट स्थापना महूरत : चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी 29 मार्च को शाम में लगभग 4 बजकर 29 पर. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी 30 मार्च को शाम में लगभग दिन में 12 बजकर 50 पर. Watch Video Here घटस्थापना के मुहूर्त-  Chaitra Navratri 2025 1. 30 मार्च को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक.  2. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट ...

Shiv Amogh Kavacham Ke laabh With Lyrics

 अमोघ शिव कवच , Lyrics of Amogh Shiv Kavach, Benefits of shiv kawach. 

अमोघ शिव कवच के माहात्म्य के बारे में जितना लिखा जाए कम है, क्योंकि इसके पाठ से सुरक्षा, सम्पन्नता, स्वास्थ्य सबकुछ प्राप्त हो सकता है |  Shiv Kavach के पाठ से भागावान शिव की कृपा होती है | 

जातक की कोई भी समस्या हो, चाहे वह कुंडली की हो, या भूत-प्रेत की हो या तंत्र-मंत्र की, यह कवच हमेशा काम करता है। जो भी भक्ति, श्रद्धा और विश्वास से शिव कवच amogh shiv kavach का पाठ करता है उसकी मनोकामनाए पूरी होती है | 

इसका आवश्यकता अनुसार जायदा ज्यादा पाठ कर सकते हैं  |

अमोघ शिव कवच , Lyrics of Amogh Shiv Kavach, Benefits of shiv kawach.
Shiv Amogh Kavacham Ke laabh With Lyrics


स्कन्द पुराण के ब्रह्मोत्तरखंड में इसका वर्णन मिलता है और इसके प्रयोग से दैहिक, दैविक तथा अध्यात्मिक कष्टों से छुटकारा मिलता है | 

जो भक्त इस शिव कवच का नियमित रूप से पाठ करता है, उस पर अकाल मृत्यु, रोग, कचहरी और घोर विपत्तियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

शिव कवच का पाठ करने वाले साधक के शरीर के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बन जाता है शिव कृपा से जो उसकी रक्षा करता है | ये सभी प्रकार के भयों को दूर करता है।

आइये अब विस्तार से जानते हिं अमोघ शिव कवच के लाभ:

  1. शिव कवच के पाठ से सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है | 
  2. Shiv Kavach से बुरी शक्तियों से रक्षा होती है, दुर्भाग्य दूर होता है, बीमारियों से छुटकारा मिलता है | 
  3. इसके जप करने वाले पर शत्रु के किये कराये का असर नहीं होता | 
  4. अगर कोई काले जादू से ग्रस्त हो, बंधन दोष से परेशां हो तो भी शिव कवच के जप से रक्षा होती है | 
  5. अगर गंभीर रोगों ने घेर लिया हो तो भी इस अमोघ शिव कवच के पाठ से रक्षा होती है |
  6. अगर कुंडली में अनेक दोष हो तो भी amogh shiv kavach के पाठ से लाभ मिलता है | 
  7. अगर कोई भूत-प्रेत से ग्रस्त हो तो भी उसे इस कवच को सुनना चाहिए और पाठ करना चाहिये | 

Lyrics Of Amogh Shiv Kavacham: 

विनियोग:

ॐ अस्य श्रीशिवकवचस्तोत्रमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि: अनुष्टप् छन्द:। श्रीसदाशिवरुद्रो देवता। ह्रीं शक्ति :। रं कीलकम्। श्रीं ह्रीं क्लीं बीजम्। श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थे शिवकवचस्तोत्रजपे विनियोग:।


करन्यास:

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने अन्गुष्ठाभ्याम नम: ।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने तर्जनीभ्याम नम:

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने मध्यमाभ्याम नम:।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्याम नम: ।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कनिष्ठिकाभ्याम नम: ।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्याम नम: ।


अंगन्यास:

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने हृदयाय नम:।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने शिरसे स्वाहा।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने शिखायै वषट।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने नेत्रत्रयाय वौषट।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कवचाय हुम।

ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने अस्त्राय फट।


अथापरं सर्वपुराणगुह्यं निशे:षपापौघहरं पवित्रम् ।

जयप्रदं सर्वविपत्प्रमोचनं वक्ष्यामि शैवं कवचं हिताय ते ॥ 1॥

ऋषभ उवाच:

नमस्कृत्य महादेवं विश्वुव्यापिनमीश्वरम्।

वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम् ॥ 2॥


शुचौ देशे समासीनो यथावत्कल्पितासन: ।

जितेन्द्रियो जितप्राणश्चिंमतयेच्छिवमव्ययम् ॥ 3॥


ह्रत्पुंडरीक तरसन्निविष्टं स्वतेजसा व्याप्तनभोवकाशम् ।

अतींद्रियं सूक्ष्ममनंतताद्यंध्यायेत्परानंदमयं महेशम् ॥ 4॥


ध्यानावधूताखिलकर्मबन्धश्चयरं चितानन्दनिमग्नचेता: ।

षडक्षरन्याससमाहितात्मा शैवेन कुर्यात्कवचेन रक्षाम् ॥ 5॥


मां पातु देवोऽखिलदेवत्मा संसारकूपे पतितं गंभीरे ।

तन्नाम दिव्यं वरमंत्रमूलं धुनोतु मे सर्वमघं ह्रदिस्थम् ॥ 6॥


सर्वत्रमां रक्षतु विश्वामूर्तिर्ज्योतिर्मयानंदघनश्चिदात्मा ।

अणोरणीयानुरुशक्तिरेक: स ईश्व र: पातु भयादशेषात् ॥ 7॥

 

यो भूस्वरूपेण विभर्ति विश्वं पायात्स भूमेर्गिरिशोऽष्टमूर्ति: ॥

योऽपांस्वरूपेण नृणां करोति संजीवनं सोऽवतु मां जलेभ्य: ॥ 8॥


कल्पावसाने भुवनानि दग्ध्वा सर्वाणि यो नृत्यति भूरिलील: ।

स कालरुद्रोऽवतु मां दवाग्नेर्वात्यादिभीतेरखिलाच्च तापात् ॥ 9॥


प्रदीप्तविद्युत्कनकावभासो विद्यावराभीति कुठारपाणि: ।

चतुर्मुखस्तत्पुरुषस्त्रिनेत्र: प्राच्यां स्थितं रक्षतु मामजस्त्रम् ॥ 10॥


कुठारवेदांकुशपाशशूलकपालढक्काक्षगुणान् दधान: ।

चतुर्मुखोनीलरुचिस्त्रिनेत्र: पायादघोरो दिशि दक्षिणस्याम् ॥ 11॥


कुंदेंदुशंखस्फटिकावभासो वेदाक्षमाला वरदाभयांक: ।

त्र्यक्षश्चितुर्वक्र उरुप्रभाव: सद्योधिजातोऽवस्तु मां प्रतीच्याम् ॥ 12॥


वराक्षमालाभयटंकहस्त: सरोज किंजल्कसमानवर्ण: ।

त्रिलोचनश्चारुचतुर्मुखो मां पायादुदीच्या दिशि वामदेव: ॥ 13॥


वेदाभ्येष्टांकुशपाश टंककपालढक्काक्षकशूलपाणि: ॥

सितद्युति: पंचमुखोऽवतान्मामीशान ऊर्ध्वं परमप्रकाश: ॥ 14॥


मूर्धानमव्यान्मम चंद्रमौलिर्भालं ममाव्यादथ भालनेत्र: ।

नेत्रे ममा व्याद्भगनेत्रहारी नासां सदा रक्षतु विश्व नाथ: ॥ 15॥


पायाच्छ्र ती मे श्रुतिगीतकीर्ति: कपोलमव्यात्सततं कपाली ।

वक्रं सदा रक्षतु पंचवक्रो जिह्वां सदा रक्षतु वेदजिह्व: ॥ 16॥


कंठं गिरीशोऽवतु नीलकण्ठ: पाणि: द्वयं पातु: पिनाकपाणि: ।

दोर्मूलमव्यान्मम धर्मवाहुर्वक्ष:स्थलं दक्षमखान्तकोऽव्यात् ॥ 17॥


मनोदरं पातु गिरींद्रधन्वा मध्यं ममाव्यान्मदनांतकारी ।

हेरंबतातो मम पातु नाभिं पायात्कटिं धूर्जटिरीश्व रो मे ॥ 18॥


ऊरुद्वयं पातु कुबेरमित्रो जानुद्वयं मे जगदीश्वरोऽव्यात् ।

जंघायुगं पुंगवकेतुरव्यात पादौ ममाव्यात्सुरवंद्यपाद: ॥ 19॥


महेश्वनर: पातु दिनादियामे मां मध्ययामेऽवतु वामदेव: ॥

त्रिलोचन: पातु तृतीययामे वृषध्वज: पातु दिनांत्ययामे ॥ 20॥


पायान्निशादौ शशिशेखरो मां गंगाधरो रक्षतु मां निशीथे ।

गौरी पति: पातु निशावसाने मृत्युंजयो रक्षतु सर्वकालम् ॥ 21॥


अन्त:स्थितं रक्षतु शंकरो मां स्थाणु: सदापातु बहि: स्थित माम् ।

तदंतरे पातु पति: पशूनां सदाशिवोरक्षतु मां समंतात् ॥ 22॥


तिष्ठतमव्याद्भुवनैकनाथ: पायाद्व्रजन्तं प्रमाथाधिनाथ ।

वेदांतवेद्योऽवतु मां निषण्णं मामव्यय: पातु शिव: शयानम् ॥ 23॥


मार्गेषु मां रक्षतु नीलकंठ: शैलादिदुर्गेषु पुरत्रयारि: ।

अरण्यवासादिमहाप्रवासे पायान्मृगव्याध उदारशक्ति: ॥ 24॥


कल्पांतकोटोपपटुप्रकोप-स्फुटाट्टहासोच्चलितांडकोश: ।

घोरारिसेनर्णवदुर्निवारमहाभयाद्रक्षतु वीरभद्र: ॥ 25॥


पत्त्यश्वटमातंगघटावरूथसहस्रलक्षायुतकोटिभीषणम् ।

अक्षौहिणीनां शतमाततायिनां छिंद्यान्मृडोघोर कुठार धारया ॥26॥


निहंतु दस्यून्प्रलयानलार्चिर्ज्वलत्रिशूलं त्रिपुरांतकस्य ।

शार्दूल सिंहर्क्षवृकादिहिंस्रान्संत्रासयत्वीशधनु: पिनाक: ॥ 27॥


दु:स्वप्नदु:शकुनदुर्गतिदौर्मनस्यर्दुर्भिक्षदुर्व्यसनदु:सहदुर्यशांसि ।

उत्पाततापविषभीतिमसद्ग्रवहार्ति व्याधींश्च् नाशयतु मे जगतामधीश: ॥ 28॥



अथ कवच:

ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्वमंत्रस्वरूपाय सर्वयंत्राधिष्ठिताय सर्वतंत्रस्वरूपाय सर्वत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकंठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूसलितविग्रहाय महामणिमुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलाधारैकनिलयाय तत्त्वातीताय गंगाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदांतसाराय त्रिवर्गसाधनायानंतकोटिब्रह्माण्डनायकायानंतवासुकितक्षककर्कोटक    शंखकुलिकपद्म महापद्मेत्यष्टमहानागकुलभूषणायप्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाशदिक्स्वरूपायग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलंकरहिताय सकललोकैकर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकल वेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकलकोलोकैकशंकराय शशांकशेखराय शाश्वगतनिजावासाय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्लोभाय निर्मदाय निस्चिन्ताय  निरहंकाराय निरंकुशाय निष्कलंकाय निर्गुणाय निष्कामाय निरुपप्लवाय निरवद्याय निरंतराय निष्कारणाय निरंतकाय निष्प्रपंचाय नि:संगाय निर्द्वंद्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्मलाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियय निस्तुलाय नि:संशयाय निरंजनाय निरुपमविभवायनित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्णसच्चिदानंदाद्वयाय परमशांतस्वरूपाय तेजोरूपाय तेजोमयाय जय जय रुद्रमहारौद्रभद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पांतभैरव कपालमालाधर खट्वांेगखड्गचर्मपाशांकुशडमरुशूलचापबाणगदाशक्तिवभिंदिपालतोमरमुसलमुद्‌गरपाशपरिघ भुशुण्डीशतघ्नीचक्राद्यायुधभीषणकरसहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदनविकटाट्टहासविस्फारितब्रह्मांडमंडल नागेंद्रकुंडल नागेंद्रहार नागेन्द्रवलय नागेंद्रचर्मधरमृयुंजय त्र्यंबकपुरांतक विश्विरूप विरूपाक्ष विश्वेलश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वदतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल ज्वल महामृत्युमपमृत्युभयं नाशयनाशयचोरभयमुत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान्मारय मारय ममशमनुच्चाट्योच्चाटयत्रिशूलेनविदारय कुठारेणभिंधिभिंभधि खड्‌गेन छिंधि छिंधि खट्वां गेन विपोथय विपोथय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय वाणै: संताडय संताडय रक्षांसि भीषय भीषयशेषभूतानि निद्रावय कूष्मांडवेतालमारीच ब्रह्मराक्षसगणान्‌संत्रासय संत्रासय ममाभय कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वा सयाश्वाासय नरकमहाभयान्मामुद्धरसंजीवय संजीवयक्षुत्तृड्‌भ्यां मामाप्याय-आप्याय दु:खातुरं मामानन्दयानन्दयशिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादयमृत्युंजय त्र्यंबक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते।


ऋषभ उवाच:

इत्येतत्कवचं शैवं वरदं व्याह्रतं मया ॥

सर्वबाधाप्रशमनं रहस्यं सर्वदेहिनाम् ॥ 29॥


य: सदा धारयेन्मर्त्य: शैवं कवचमुत्तमम् ।

न तस्य जायते क्वापि भयं शंभोरनुग्रहात् ॥ 30॥


क्षीणायुअ:प्राप्तमृत्युर्वा महारोगहतोऽपि वा ॥

सद्य: सुखमवाप्नोति दीर्घमायुश्चतविंदति ॥ 31॥


सर्वदारिद्र्य शमनं सौमंगल्यविवर्धनम् ।

यो धत्ते कवचं शैवं सदेवैरपि पूज्यते ॥ 32॥


महापातकसंघातैर्मुच्यते चोपपातकै: ।

देहांते मुक्तिंमाप्नोति शिववर्मानुभावत: ॥ 33॥


त्वमपि श्रद्धया वत्स शैवं कवचमुत्तमम् ।

धारयस्व मया दत्तं सद्य: श्रेयो ह्यवाप्स्यसि ॥ 34॥


सूत उवाच:

इत्युक्त्वाऋषभो योगी तस्मै पार्थिवसूनवे ।

ददौ शंखं महारावं खड्गं चारिनिषूदनम् ॥ 35॥


पुनश्च भस्म संमत्र्य तदंगं परितोऽस्पृशत् ।

गजानां षट्सदहस्रस्य द्विगुणस्य बलं ददौ ॥ 36॥


भस्मप्रभावात्संप्राप्तबलैश्वर्यधृतिस्मृति: ।

स राजपुत्र: शुशुभे शरदर्क इव श्रिया ॥ 37॥


तमाह प्रांजलिं भूय: स योगी नृपनंदनम् ।

एष खड्गोश मया दत्तस्तपोमंत्रानुभावित: ॥ 38॥


शितधारमिमंखड्गं यस्मै दर्शयसे स्फुटम् ।

स सद्यो म्रियतेशत्रु: साक्षान्मृत्युरपि स्वयम् ॥ 39॥


अस्य शंखस्य निर्ह्लादं ये श्रृण्वंति तवाहिता: ।

ते मूर्च्छिता: पतिष्यंति न्यस्तशस्त्रा विचेतना: ॥ 40॥


खड्‌गशंखाविमौ दिव्यौ परसैन्य निवाशिनौ ।

आत्मसैन्यस्यपक्षाणां शौर्यतेजोविवर्धनो ॥ 41॥


एतयोश्च  प्रभावेण शैवेन कवचेन च ।

द्विषट्सौहस्त्रनागानां बलेन महतापि च ॥ 42॥


भस्मधारणसामर्थ्याच्छत्रुसैन्यं विजेष्यसि ।

प्राप्य सिंहासनं पित्र्यं गोप्तासि पृथिवीमिमाम् ॥ 43॥


इति भद्रायुषं सम्यगनुशास्य समातृकम् ।

ताभ्यां पूजित: सोऽथ योगी स्वैरगतिर्ययौ ॥ 44॥


|| इति श्री स्कन्द पुराणे ब्रह्मोत्तरखंडे शिव कवचम सम्पूर्णं ||


पढ़िए Rudra kavacham के बारे में 

Mahakaal kavacham lyrics

Amogh shiv kavach के पाठ से भयंकर से भयंकर विपत्ति का नाश होता है और शिव कृपा से भक्त को शिव्लोक की प्राप्ति होती है | 

अमोघ शिव कवच , Lyrics of Amogh Shiv Kavach, Benefits of shiv kawach. 

Comments

Popular posts from this blog

om kleem kaamdevay namah mantra ke fayde in hindi

कामदेव मंत्र ओम क्लीं कामदेवाय नमः के फायदे,  प्रेम और आकर्षण के लिए मंत्र, शक्तिशाली प्रेम मंत्र, प्रेम विवाह के लिए सबसे अच्छा मंत्र, सफल रोमांटिक जीवन के लिए मंत्र, lyrics of kamdev mantra। कामदेव प्रेम, स्नेह, मोहक शक्ति, आकर्षण शक्ति, रोमांस के देवता हैं। उसकी प्रेयसी रति है। उनके पास एक शक्तिशाली प्रेम अस्त्र है जिसे कामदेव अस्त्र के नाम से जाना जाता है जो फूल का तीर है। प्रेम के बिना जीवन बेकार है और इसलिए कामदेव सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका आशीर्वाद जीवन को प्यार और रोमांस से भरा बना देता है। om kleem kaamdevay namah mantra ke fayde in hindi कामदेव मंत्र का प्रयोग कौन कर सकता है ? अगर किसी को लगता है कि वह जीवन में प्रेम से वंचित है तो कामदेव का आह्वान करें। यदि कोई एक तरफा प्रेम से गुजर रहा है और दूसरे के हृदय में प्रेम की भावना उत्पन्न करना चाहता है तो इस शक्तिशाली कामदेव मंत्र से कामदेव का आह्वान करें। अगर शादी के कुछ सालों बाद पति-पत्नी के बीच प्यार और रोमांस कम हो रहा है तो इस प्रेम मंत्र का प्रयोग जीवन को फिर से गर्म करने के लिए करें। यदि शारीरिक कमज...

Bank Account kab khole jyotish anusar

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बैंक खाता कब खोलें, बैंक खाता खोलने के लिए सबसे अच्छा दिन चुनकर सौभाग्य कैसे बढ़ाएं,  when to open bank account as per astrology ,  ज्योतिष के अनुसार बैंक खाता खोलने का शुभ दिन, नक्षत्र और समय, ज्योतिष के अनुसार बचत कैसे बढ़ाएं? बैंक खाता खोलने का निर्णय एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है और इसलिए इसे खोलने के लिए सबसे अच्छा दिन, सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र, सर्वश्रेष्ठ महुरत चुनना अच्छा होता है । शुभ समय पर खोला गया बैंक खाता व्यक्ति को आसानी से संपन्न बना देता है |  बिना प्रयास के सफलता नहीं मिलती है अतः अगर हमे सफल होना है ,धनाढ्य बनना है, अमीर बनना है तो हमे सभी तरफ से प्रयास करना होगा, हमे स्मार्ट तरीके से काम करना होगा |  प्रत्येक व्यवसाय या कार्य में बैंक खाता आवश्यक है। चाहे आप एक कर्मचारी या उद्यमी हों चाहे आप एक व्यवसायी हों या एक गैर-कामकाजी व्यक्ति, बैंक खाता आमतौर पर हर एक के पास होता है। बैंक खाता हर एक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इस पर अपनी बचत रखते हैं, यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक लेनदेन बैंक खाते के माध्यम...

Tantroktam Devi suktam Ke Fayde aur lyrics

तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्‌ ॥ Tantroktam Devi Suktam ,  Meaning of Tantroktam Devi Suktam Lyrics in Hindi. देवी सूक्त का पाठ रोज करने से मिलती है महाशक्ति की कृपा | माँ दुर्गा जो की आदि शक्ति हैं और हर प्रकार की मनोकामना पूरी करने में सक्षम हैं | देवी सूक्तं के पाठ से माता को प्रसन्न किया जा सकता है | इसमें हम प्रार्थना करते हैं की विश्व की हर वास्तु में जगदम्बा आप ही हैं इसीलिए आपको बारम्बार प्रणाम है| नवरात्री में विशेष रूप से इसका पाठ जरुर करना चाहिए | Tantroktam Devi suktam  Ke Fayde aur lyrics आइये जानते हैं क्या फायदे होते हैं दुर्गा शप्तशती तंत्रोक्त देवी सूक्तं के पाठ से : इसके पाठ से भय का नाश होता है | जीवन में स्वास्थ्य  और सम्पन्नता आती है | बुरी शक्तियों से माँ रक्षा करती हैं, काले जादू का नाश होता है | कमजोर को शक्ति प्राप्त होती है | जो लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं उनके आय के स्त्रोत खुलते हैं | जो लोग शांति की तलाश में हैं उन्हें माता की कृपा से शांति मिलती है | जो ज्ञान मार्गी है उन्हें सत्य के दर्शन होते हैं | जो बुद्धि चाहते हैं उन्हें मिलता ह...