Vishnu Strotram with Lyrics | विष्णु स्त्रोत्रम का अर्थ हिंदी में |Shree Hari Strotram |श्री हरि स्तोत्रम |
श्री हरि स्त्रोत्रम का पाठ वैसे तो रोज करना चाहिए पर जो लोग रोज नहीं कर सकते हैं उन्हें बृहस्पतिवार को तो करना ही चाहिए |
इसके अलावा ग्यारस/एकादशी और पूर्णिमा को भी करना चाहिए |
पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस अष्टक का पाठ करने से भक्त को भगवन विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है |
व्यक्ति का दुर्भाग्य दूर होता है और सफलता जीवन में आती है |
विष्णु जी को तुलसी, पीले रंग की मिठाई, पीले फल चढ़ाने चाहिए |
Vishnu Strotram Ke Fayde With Lyrics Hindi Meaning |
Read In English About Vishnu Ashtakam Benefits and Meaning
Lyrics of Vishnu Strotram:
जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालं शरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्।
नभो-नीलकायम् दुरावारमायम् सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं ||1||
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासम् जगत्सन्निवासं शतादित्यभासम्।
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीत-वस्त्रं हसच्चारु-वक्रं भजेऽहं भजेऽहं ||2||
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसाराम् जलान्तर्विहारं धराभारहारम्।
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं धृतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ||3||
जराजन्महीनम् परानन्द पीनम् समाधान लीनं सदैवानवीनम्।
जगज्जन्म हेतुं सुरानीककेतुम् त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ||4||
कृताम्नाय गानम् खगाधीशयानं विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानम्।
स्वभक्तानुकूलम् जगद्दृक्षमूलम् निरस्तार्तशूलम् भजेऽहं भजेऽहं ||5||
समस्तामरेशम् द्विरेफाभ केशं जगद्विम्बलेशम् हृदाकाशदेशम्।
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहम् सुवैकुन्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ||6||
सुराली-बलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठम्।
सदा युद्धधीरं महावीर वीरम् भवाम्भोधि तीरम् भजेऽहं भजेऽहं ||7||
रमावामभागम् तलनग्ननागम् कृताधीनयागम् गतारागरागम्।
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं गुणौगैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ||8||
फलश्रुति
इदम् यस्तु नित्यं समाधाय चित्तम् पठेदष्टकम् कष्टहारं मुरारेः |
स विष्णोविशोकं ध्रुवम् याति लोकम् जराजन्म शोकं पुनविदन्ते नो ||
Vishnu Strotram with Lyrics | विष्णु स्त्रोत्रम का अर्थ हिंदी में |Shree Hari Strotram |श्री हरि स्तोत्रम |
Meaning of Vishnu Strotram In Hindi:
जो पूरे जगत के पालक हैं जो गले में माला धारण करते हैं, ,जिनका मस्तक शरद ऋतु में चमकते चन्द्रमा की तरह है और जो महादैत्यों के काल हैं |
आकाश के समान जिनका रंग नीला है, जो अजय हैं मायावी शक्तिों के स्वामी हैं, देवी लक्ष्मी जिनकी संगिनी हैं उन भगवान विष्णु को मैं बारम्बार भजता हूँ |
जो सदा समुद्र में वास करते हैं, जिनकी मुस्कान खिले हुए पुष्प की भाति है, जिनका वास पूरे जगत में है,जो सौ सूर्यो के समान प्रतीत होते है | जो गदा,चक्र और शस्त्र अपने हाथ में धारण करते हैं, जो पीले वस्त्रों में सुशोभित हैं, जिनके सुन्दर चेहरे पर प्यारी मुस्कान हैं, उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जिनके गले के हार में देवी लक्ष्मी का चिह्न बना हुआ है, जो वेद वाणी के सार हैं, जो जल में विहार करते है और पृथ्वी के भार को धारण करते हैं | जिनका सदा आनंदमय रूप रहता है और मन को आकर्षित करता है,जिन्होंने अनेकों रूप धारण किये हैं,उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जो जन्म और मृत्यु से मुक्त हैं, जो परमानन्द से भरे हुए हैं, जिनका मन हमेशा स्थिर और शांत रहता हैं, जो हमेशा नूतन प्रतीत होते है | जो इस जगत के उत्पत्ति के कारक हैं | जो देवताओं की सेना के रक्षक हैं | और जो तीनों लोकों के बीच सेतु हैं,उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जो वेदों के गायक हैं, पक्षीराज गरुड़ की जो सवारी करते हैं, जो मुक्तिदाता हैं और शत्रुओं के नाशक हैं | जो भक्तों के प्रिय हैं, जो जगत रूपी वृक्ष की जड़ हैं | जो सभी दुखों को निरस्त कर देते हैं,उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जो सभी देवताओं के स्वामी हैं, काली मधुमक्खी के समान जिनके केश का रंग हैं, पृथ्वी जिनके शरीर का हिस्सा हैं और जिनका शरीर आकाश के समान स्पष्ट है | जिनका शरीर सदा दिव्य है, जो संसार के बंधनों से मुक्त हैं, बैकुण्ठ जिनका निवास है, उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जो देवताओं में सबसे बलशाली हैं, त्रिलोकों में सबसे श्रेष्ठ हैं, जिनका एक ही स्वरुप हैं, जो युद्ध में सदा विजय हैं, जो वीरों में वीर हैं, जो सागर के किनारे पर वास करते हैं,उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
जिनके बाएं भाग में लक्ष्मी विराजित होती हैं, जो शेषनाग पर विराजित हैं, जो यज्ञों से प्राप्त किये जा सकते हैं और जो राग- रंग से मुक्त हैं, ऋषि - मुनि जिनके गीत गाते हैं, देवता जिनकी सेवा करते हैं और जो गुणों से परे हैं,उन भगवान विष्णु को मै बारम्बार भजता हूँ |
फलश्रुति
भगवान हरि का यह अष्टक जो कि मुरारी के कंठ की माला के समान है,जो भी इसे सच्चे मन से पढ़ता है वह वैकुण्ठ लोक को प्राप्त होता है | वह दुख, शोक, जन्म - मरण से मुक्त हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है |
Vishnu Strotram with Lyrics | विष्णु स्त्रोत्रम का अर्थ हिंदी में |Shree Hari Strotram |श्री हरि स्तोत्रम |
Comments
Post a Comment