कुंडली में विभिन्न प्रकार के श्राप, जानिए किस प्रकार के श्राप से कौन सी परेशानी आती है जीवन में, किस उपाय से दूर होंगे श्राप, समस्याओं का समाधान, Kundli me Maujood Shraap |
कुंडली में श्राप क्या होता है?
ज्योतिष में श्राप का अर्थ है कुंडली में ग्रहों का इस प्रकार से बैठना कि व्यक्ति जीवन में विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त हो जाए। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से श्राप का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। यह श्राप हमारे पिछले जन्म के कर्मों के कारण उत्पन्न होता है। यह सत्य है कि बिना कारण कुछ भी नहीं होता। यह डरने की बात नहीं है क्योंकि अगर आप भाग्यशाली हैं तो आपको आपके समस्याओं के कारण का पता चलता है और फिर आप समाधान भी कर सकते हैं | इसलिए कुंडली का बारीकी से अध्ययन करवाना चाहिए ताकि हमे सही कारण पता चले समस्याओं का |
Vibhinn Prakaar Ke Shrap In Kundli |
जीवन में सर्वोपरि सफलता का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति। लेकिन यह उतना आसान नहीं है जितना सुनने में लगता है क्योंकि केवल भाग्यशाली लोगों को ही जीवन में ये 4 चीजें मिल पाती हैं। मनुष्य जन्म बहुत महत्वपूर्ण है और इस जीवन को शत-प्रतिशत जीना हमारा कर्तव्य है।
ज्लेयोतिष के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार और वर्तमान जीवन बहुत हद तक ग्रहों के प्रभाव के कारण होता है परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि जीवन में बदलाव संभव नहीं है। इस जीवन में हर चीज़ संभव है लेकिन मुख्य बात यह है कि इच्छा शक्ति और जुनून जरूरी है।
इस जीवन में हमें दो प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है - 1- भाग्य के कारण और 2 वर्तमान कार्य या कर्मों के कारण। उदाहरण के लिए यदि हम सड़क पर सुरक्षित रूप से चल रहे हैं लेकिन यदि हम किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए 2 लोगो के एक जैसे अंक आते हैं परन्तु सिलेक्शन किसी एक का ही हो पाता है तो यहाँ भाग्य कारण होता है और यदि मान लीजिए कि हमे पता है की किसी वास्तु से हमे एलर्जी है और हम उस वास्तु का उपयोग करना नहीं छोड़ते हैं तो ये परेशानी हमारे वर्तमान कर्म के कारण होती है |
Read in English about Curses In Horoscope With Remedies
कुंडली में श्राप :
जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि श्राप हमारे पिछले जन्म के कर्मों के कारण होता है। इसके कारण ग्रह जन्म कुंडली के विशिष्ट घर में शत्रु राशि या फिर शत्रु ग्रह के साथ बैठते हैं और हमारे जीवन में अशुभ प्रभाव उत्पन्न करते हैं। श्रापों के कारण जीवन में संघर्नेष बढ़ जाता है, किसी विशेष प्रकार की ख़ुशी से हम वंचित रहते हैं, किसी विशेष प्यरकार के कष्ट जीवन में बने रहते हैं | धन, संतान, वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिति, करियर प्रभावित होता है और व्यक्ति को कर्ज और विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
श्राप के प्रकार:
कुंडली में कई तरह के श्राप पाए जाते हैं लेकिन यहां हम कुछ श्रापों को जानेंगे :
1. सर्प श्राप (Snake Curse):
- यदि कुंडली में पंचम भाव में राहु हो और मंगल उसे देख रहा हो या मंगल वृश्चिक राशि का हो तो कुंडली में सर्प श्राप बनता है।
- यदि पंचम भाव का स्वामी राहु के साथ हो और शनि पंचम भाव में मौजूद हो और उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो भी कुंडली में सर्प श्राप बनता है।
- यदि गुरु राहु से प्रभावित हो तथा पंचम भाव का स्वामी कमजोर हो तथा प्रथम भाव का स्वामी मंगल के साथ हो तो कुंडली में सर्प श्राप बनता है।
- यदि लग्न का स्वामी राहु के साथ और पंचम स्थान का स्वामी मंगल के साथ बैठा हो तो भी सर्प श्राप का योग बनता है।
सर्प श्राप का प्रभाव:
इसका प्रभाव मुख्य रूप से संतान पर पड़ता है और जीवन में संघर्ष भी बढ़ता है।
सर्प श्राप के उपाय:
- इसके लिए राहु शांति कराई जाती है।
- कभी-कभी प्रभाव गंभीर होने पर विशेष शांति प्रक्रिया की जाती है।
- सोना, काला तिल, भूमि दान करने से भी सर्प श्राप का प्रभाव कम होता है।
- मुनि राज आस्तिक की पूजा करने से सर्प श्राप से भी मुक्ति मिलती है।
2. पितर श्राप (Ancestor Curse):
अगर हमारे बुजुर्ग कष्ट में रहते हैं या फिर हमारे पूर्तोवजो के साथ अन्याय हुआ होता है घरवालो के कारण तो पितरो का श्राप मिलता है जिससे जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट उत्पन्न होते हैं | जन्म कुंडली में पितृ श्राप को कई प्रकार से देखा जाता है |
- यदि कुंडली में सूर्य अशुभ हो तो पितृ श्राप का योग बनता है।
- यदि लग्न या पंचम भाव में सूर्य, मंगल या शनि हो और बृहस्पति के साथ राहु 8वें या 12वें स्थान पर हो तो भी पितृ श्राप बनता है।
- यदि कुंडली में छठे घर का स्वामी पांचवें घर में मौजूद हो और बृहस्पति के साथ राहु मौजूद हो तो भी पितृ श्राप होता है।
पूर्वजों के श्राप का जीवन पर प्रभाव:
पितृ श्राप के कारण व्यक्ति को व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है। किए गए काम की तुलना में निवेश पर रिटर्न बहुत कम मिलता है। संतान होने में परेशानी आती है, विवाह में विलम्ब हो सकता है, हर शुभ काम से पहले परेशानी आती है, कार्यो में देरी होती है, कोई भी सुख समय पर नहीं मिल पाता है |
पितृ श्राप के उपाय:
- पितृ शांति यंत्र को सिद्ध करके स्थापित करना शुभ रहता है।
- श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय का पाठ कर पुण्य को पितरों के उद्धार के लिए छोड़ना भी एक अच्छा उपाय है।
- पितृ शांति यज्ञ भी एक अच्छा उपाय है।
- इसके लिए समय पर नाग और नारायण बलि करने से भी अच्छा परिणाम मिलता है।
- बुजुर्गो की सेवा करके आशीर्वाद लेना चाहिए |
3. मातृ श्राप (Mother Curse):
- अशुभ चंद्रमा ही माता के श्राप का मुख्य कारण है.
- यदि चंद्रमा शनि, राहु, मंगल के साथ युति बना रहा हो और गुरु पंचम स्थान में मौजूद हो तो कुंडली में मातृ श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि सुख स्थान का स्वामी मंगल, शनि, राहु के साथ हो और पंचम स्थान सूर्य या चंद्रमा से प्रभावित हो तो भी यह दोष होता है।
- यदि पहला घर पाप ग्रहों से प्रभावित हो और सातवें घर में कमजोर चंद्रमा मौजूद हो, चौथा और पांचवां घर शनि या राहु से प्रभावित हो तो भी कुंडली में मातृ दोष उत्पन्न होता है।
- यदि कुंडली के प्रथम भाव में कर्क राशि हो तथा राहु और मंगल हो तथा पंचम भाव में शनि हो तो भी माता का श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि कुंडली के आठवें भाव में राहु, बृहस्पति और मंगल मौजूद हों और पांचवें घर में शनि और चंद्रमा मौजूद हों तो भी कुंडली में माता का श्राप उत्पन्न होता है।
मातृ श्राप के उपाय:
- कुंडली के इस दोष को कम करने के लिए पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाना अच्छा होता है।
- मंदिर में चांदी की कटोरी में दूध चढ़ाना भी मातृ दोष को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
- अशुभ ग्रहों की ग्रह शांति प्रक्रिया भी अच्छा उपाय है ।
- प्रतिदिन माता समान स्त्रियों का आशीर्वाद लेना भी एक अच्छा उपाय है।
4. भ्रातृ श्राप (Brother Curse):
- यदि कुंडली में तीसरे घर का स्वामी राहु और मंगल के साथ मौजूद हो और पांचवें घर में मौजूद हो और यदि पांचवें घर और लग्न का स्वामी आठवें घर में मौजूद हो तो जन्म कुंडली में भ्रातृ श्राप का योग बनता है।
- यदि कुंडली के 5वें घर में मिथुन या कन्या राशि मौजूद हो और 5वें घर में राहु और शनि मौजूद हों और इसके साथ ही अगर कुंडली के 12वें घर में बुध और मंगल मौजूद हों तो भी कुंडली में यह भात्र श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि कुंडली के तीसरे घर का स्वामी पांचवें घर में मौजूद हो और पांचवें घर में अशुभ राहु मौजूद हो तो भी यह श्राप उत्पन्न होता है।
भाई श्राप के उपाय :
- गाय को खाना खिलाना अच्छा है.
- मजदूरों को खाना खिलाना भी अच्छा है.
- वासुदेव की पूजा करने से भी इस दोष को कम करने में मदद मिलेगी।
- कुंडली में ग्रहों का अध्ययन करके शांति पूजा करना अच्छा होता है |
- परिवार में भाइयो को समय समय पर कुछ न कुछ उपहार देते रहना चाहिए |
5. ब्राह्मण श्राप (Brahman Shraap):
- यदि कुंडली में राहु धनु या कुंभ राशि का हो और इसके साथ ही कुंडली के 5वें घर में गुरु, मंगल या शनि मौजूद हो और भाग्य स्थान का स्वामी 8वें घर में मौजूद हो तो जन्म कुंडली में ब्राह्मण श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि नवम भाव का स्वामी अत्यंत अशुभ हो और उस पर राहु की दृष्टि हो तो भी ब्राह्मण श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि लग्न में गुरु और शनि मौजूद हों, भाग्य स्थान में राहु मौजूद हो या व्यय स्थान में गुरु मौजूद हो तो भी यह श्राप उत्पन्न होता है।
- कुंडली में नीच बृहस्पति और 5वें घर या लग्न में राहु की उपस्थिति और यदि 5वें घर का स्वामी 6वें घर, 8वें घर या 12वें घर में मौजूद हो तो भी कुंडली में ब्राह्मण श्राप का उदय होता है।
ब्राह्मण श्राप का जीवन में प्रभाव:
- यह श्राप ज्ञान प्राप्ति, पढ़ाई और जीवन में सुचारु रूप से आगे बढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है।
- गुरुजनों से सम्बन्ध ख़राब होते हैं |
- साधू के वेश में शैतान के चक्कर में जातक फंस के धन और इज्जत गंवाता है |
ब्राह्मणश्राप के उपाय:
- ब्राह्मण को भोजन कराना और उनसे आशीर्वाद लेना इस श्राप से उबरने का एक अच्छा और आसान तरीका है।
- गाय को भोजन कराना और स्वस्थ गाय को ब्राह्मण को दान करना भी एक अच्छा उपाय है।
- सोना दान करना भी एक अच्छा उपाय है.
- ग्रहों की शक्तिशाली शांति प्रक्रिया भी ब्राह्मण श्राप को कम करने का एक तरीका है।
6. पत्नी श्राप (पत्नी श्राप):
- यदि जीवन में सातवां स्थान नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर रहा हो तो कुंडली में यह श्राप उत्पन्न होता है।
- यदि शनि और शुक्र एक साथ 7वें घर में मौजूद हों और 8वें घर का स्वामी 5वें घर में हो, राहु और सूर्य पहले घर में मौजूद हों तो कुंडली में पत्नी श्राप उत्पन्न होता है।
पत्नी श्राप का प्रभाव:
- यह श्राप वैवाहिक जीवन, साझेदारी, व्यापार आदि को प्रभावित करता है।
- जातक का विवाह सफल नहीं हो पाता है |
- करीबियों से धोखा मिलता है |
- पत्नी के साथ कानूनी विवाद उत्पन्न होता है |
पत्नी श्राप के उपाय:
- कन्याओं को भोजन कराना और उनसे आशीर्वाद लेना अच्छा रहता है।
- कन्याओं को आभूषण दान करने से भी पत्नीश्राप के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाएंगे।
- स्वस्थ गाय का दान करना भी एक अच्छा उपाय है।
- नवरात्रि में सुहागिनों को श्रृंगार का सामान दान करें या फिर किसी माता के मंदिर में श्रृंगार का सामान माता को अर्पित करें |
इस लेख में जानकारी के लिए कुछ श्रापो के बारे में बताया गया है | परन्तु किसी भी निर्णय पर पंहुचने से पहले किस अच्छे ज्योतिष से परामर्श जरुर ले |
यदि आप जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो चिंता न करें, यदि आपको अपनी समस्याओं से उबरने का सही रास्ता नहीं मिल रहा है तो चिंता न करें, बेहतर जीवन, सफल जीवन, सहज जीवन के लिए संपर्क करें |
कुंडली में विभिन्न प्रकार के श्राप, जानिए किस प्रकार के श्राप से कौन सी परेशानी आती है जीवन में, किस उपाय से दूर होंगे श्राप, समस्याओं का समाधान, Kundli me Maujood Shraap |
Comments
Post a Comment