अष्ट भैरव ध्यान स्तोत्रम्, lyrics of Ashta Bhairav Dhyan Stotram, भैरव के 8 रूपों का ध्यान करने के फायदे |
कहा गया है की –
भैरव पूर्ण रुपोहि शंकरस्य परमात्मनः |
मुढ़ास्तेवे न जानन्ति मोहिताः शिवमायया ||
अर्थात :
भैरव भगवान शिव के ही पूर्ण रुप हैं,
जो मुर्ख हैं वे भगवान शिव की माया से मोहित होकर ये बात नहीं जानते हैं| Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics |
अष्टभैरव ध्यान स्त्रोत्रम मे हम 8 प्रकार से भगवान् भैरव का ध्यान करते हैं | अतः ये स्त्रोत भैरव भक्तो के लिए अति उत्तम है |
संध्या काल में या फिर रात्री में इस स्त्रोत्र का पाठ करने से बहुत लाभ होता है |
आइये जानते हैं अष्ट भैरव ध्यान स्तोत्रम् के क्या फायदे होते हैं ?
- इस चमत्कारी ध्यानस्तोत्रम् का पाठ करने से भक्त को भगवान भैरव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और अदृश्य बाधाओं से मुक्ति मिलती है | अतः इस स्तोत्र का नित्य पाठ और श्रवण करना चाहिए |
- अगर कोई किसी अदृश्य बाधा के कारण असाध्य रोग से पीड़ित हो तो अष्ट भैरव स्त्रोत का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है |
- अगर शत्रु बहुत परेशां कर रहे हैं तो ऐसे में इस शक्तिशाली स्त्रोत के पाठ से शत्रु कमजोर होने लगते हैं |
- अगर कोई जातक किसी भी प्रकार के बंधन से ग्रस्त हो तो अष्ट भैरव स्त्रोत्र के पाठ से मुक्ति मिलती है |
- अगर कुंडली में कोई घातक दोष हो तो उससे मुक्ति मिलती है |
- अगर व्यापार को किसी प्रकार की नजर लगी हो तो वो दूर होती है|
- आय के स्त्रोत खुलते हैं |
- किसी भी प्रकार के दुःख से छुटकारा दिला सकता है ये अष्ट भैरव स्त्रोत्रम का पाठ | Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
सुनिए अष्ट भैरव स्त्रोत YouTube में
Lyrics of Ashta Bhairava Dhyana Stotram:
अष्ट भैरव ध्यान स्तोत्रम्
भैरवः पूर्णरूपोहि शङ्करस्य परात्मनः ।
मूढास्तेवै न जानन्ति मोहिताः शिवमायया ॥
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकालभैरवाय नमः ।
नमस्कार मन्त्रः –
ॐ श्रीभैरव्यै, ॐ मं महाभैरव्यै, ॐ सिं सिंहभैरव्यै,
ॐ धूं धूम्रभैरव्यै, ॐ भीं भीमभैरव्यै, ॐ उं उन्मत्तभैरव्यै,
ॐ वं वशीकरणभैरव्यै, ॐ मों मोहनभैरव्यै ।
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
॥ अष्टभैरव ध्यानम् ॥
असिताङ्गोरुरुश्चण्डः क्रोधश्चोन्मत्तभैरवः ।
कपालीभीषणश्चैव संहारश्चाष्टभैरवम् ॥
१) असिताङ्गभैरव ध्यानम् ।
रक्तज्वालजटाधरं शशियुतं रक्ताङ्ग तेजोमयं
अस्ते शूलकपालपाशडमरुं लोकस्य रक्षाकरम् ।
निर्वाणं शुनवाहनन्त्रिनयनमानन्दकोलाहलं
वन्दे भूतपिशाचनाथ वटुकं क्षेत्रस्य पालं शिवम् ॥ १॥
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
२) रूरुभैरव ध्यानम् ।
निर्वाणं निर्विकल्पं निरूपजमलं निर्विकारं क्षकारं
हुङ्कारं वज्रदंष्ट्रं हुतवहनयनं रौद्रमुन्मत्तभावम् ।
भट्कारं भक्तनागं भृकुटितमुखं भैरवं शूलपाणिं
वन्दे खड्गं कपालं डमरुकसहितं क्षेत्रपालन्नमामि ॥ २॥
३) चण्डभैरव ध्यानम् ।
बिभ्राणं शुभ्रवर्णं द्विगुणदशभुजं पञ्चवक्त्रन्त्रिनेत्रं
दानञ्छत्रेन्दुहस्तं रजतहिममृतं शङ्खभेषस्यचापम् ।
शूलं खड्गञ्च बाणं डमरुकसिकतावञ्चिमालोक्य मालां
सर्वाभीतिञ्च दोर्भीं भुजतगिरियुतं भैरवं सर्वसिद्धिम् ॥ ३॥
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
४) क्रोधभैरव ध्यानम् ।
उद्यद्भास्कररूपनिभन्त्रिनयनं रक्ताङ्ग रागाम्बुजं
भस्माद्यं वरदं कपालमभयं शूलन्दधानं करे ।
नीलग्रीवमुदारभूषणशतं शन्तेशु मूढोज्ज्वलं
बन्धूकारुण वास अस्तमभयं देवं सदा भावयेत् ॥ ४॥
५) उन्मत्तभैरव ध्यानम् ।
एकं खट्वाङ्गहस्तं पुनरपि भुजगं पाशमेकन्त्रिशूलं
कपालं खड्गहस्तं डमरुकसहितं वामहस्ते पिनाकम् ।
चन्द्रार्कं केतुमालां विकृतिसुकृतिनं सर्वयज्ञोपवीतं
कालं कालान्तकारं मम भयहरं क्षेत्रपालन्नमामि ॥ ५॥
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
६) कपालभैरव ध्यानम् ।
वन्दे बालं स्फटिकसदृशं कुम्भलोल्लासिवक्त्रं
दिव्याकल्पैफणिमणिमयैकिङ्किणीनूपुरञ्च ।
दिव्याकारं विशदवदनं सुप्रसन्नं द्विनेत्रं
हस्ताद्यां वा दधानान्त्रिशिवमनिभयं वक्रदण्डौ कपालम् ॥ ६॥
७) भीषणभैरव ध्यानम् ।
त्रिनेत्रं रक्तवर्णञ्च सर्वाभरणभूषितम् ।
कपालं शूलहस्तञ्च वरदाभयपाणिनम् ॥
सव्ये शूलधरं भीमं खट्वाङ्गं वामकेशवम् ।
रक्तवस्त्रपरिधानं रक्तमाल्यानुलेपनम् ।
नीलग्रीवञ्च सौम्यञ्च सर्वाभरणभूषितम् ॥
नीलमेख समाख्यातं कूर्चकेशन्त्रिनेत्रकम् ।
नागभूषञ्च रौद्रञ्च शिरोमालाविभूषितम् ॥
नूपुरस्वनपादञ्च सर्प यज्ञोपवीतिनम् ।
किङ्किणीमालिका भूष्यं भीमरूपं भयावहम् ॥ ७॥
Ashta Bhairav Dhyan Stotram Ke Fayde and Lyrics
८) संहारभैरव ध्यानम् ।
एकवक्त्रन्त्रिनेत्रञ्च हस्तयो द्वादशन्तथा ।
डमरुञ्चाङ्कुशं बाणं खड्गं शूलं भयान्वितम् ॥
धनुर्बाण कपालञ्च गदाग्निं वरदन्तथा ।
वामसव्ये तु पार्श्वेन आयुधानां विधन्तथा ॥
नीलमेखस्वरूपन्तु नीलवस्त्रोत्तरीयकम् ।
कस्तूर्यादि निलेपञ्च श्वेतगन्धाक्षतन्तथा ॥
श्वेतार्क पुष्पमालाञ्च त्रिकोट्यङ्गणसेविताम् ।
सर्वालङ्कार संयुक्तां संहारञ्च प्रकीर्तितम् ॥ ८॥
इति श्रीभैरव स्तुति निरुद्र कुरुते ।
। इति अष्टभैरव ध्यानस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
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