Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi, चन्द्रशेखर अष्टकम के फायदे क्या है, शिव वंदना, अकाल मृत्यु से कैसे बचें ?|
भगवान् शिव की भक्ति में रहने वाले महान मार्कंडेय ऋषि ने भगवान शिव की वंदना करते हुए 8 स्त्रोतों की रचना की जिसे की चन्द्रशेखर अष्टकम के नाम से जाना जाता है|
चन्द्रशेखर अर्थात जो चन्द्रमा को अपने मस्तक पर मुकुट के रूप में धारण करते हैं |
Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi |
Read in English about Lyrics and meaning of Chandrashekhar Ashtkam
आइये जानते हैं की चन्द्रशेखर अष्टकम की रचना मार्कंडेय ऋषि ने कब की :
अनेकों प्रयासों के बाद भी जब महर्षि मृकण्डु को संतान की प्राप्ति नही हुई तब उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की| ऋषि की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवन शिव ने उन्हें कहा की उनके भाग्य में संतान सुख नहीं है पर उन्होंने ऋषि को 2 विकल्प दिए की उनको एक ज्ञानी पुत्र होगा जिसकी आयु केवल 16 वर्ष की होगी या फिर एक ऐसा पुत्र होगा जो कम ज्ञानी होगा पर दीर्घायु होगा | ऋषि मृकण्डु ने अल्पायु किन्तु ज्ञानवान पुत्र का चयन किया| Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
थोड़े समय के बाद ऋषि मृकण्डु को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा| कम उम्र उम्र में ही उन्होंने सभी प्रकार के वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया और भगवन शिव के भक्त बन गए | जैसे ही मार्कंडेयजी 16 वर्ष के हुए तो उनके माता पिता को उनके आयु को लेके चिंता सताने लगी |
मार्कंडेयजी ने उनके दुःख का कारण पूछा तो उन्होंने सब बात बता दिया | मार्कंडेयजी भगवान शिव के परम भक्त थे और इसीलिए उन्होंने अंतिम बार नदी के किनारे जाकर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा करने लगे | उसी समय उनके प्राण लेने के लिए यमराज आ गये| शिव की आराधना करने की वजह से यमराज उनके प्राण नही ले पा रहे थे तो उन्होंने अपना यमपाश मार्कंडेयजी की तरफ फ़ेक दिया जो मार्कंडेय के गले से होता हुआ शिवलिंग के चारो तरफ घूम गया| उसी समय मार्कंडेयजी ने भगवान शिव की वंदना में एक स्तोत्र की रचना की जिसे चन्द्रशेखर अष्टकम के नाम से जाना जाता है| Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
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Lyrics of शिवरहस्यान्तर्गते मार्कण्डेयकृतम् Chandrasekharashtkam/ श्री चन्द्रशेखराष्टकम् :
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिशृङ्गनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम् । (सिञ्जिनी)
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवन्दितं (त्रिदिवालयैरभिवन्दितं)
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १॥
पञ्चपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं
भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् ।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २॥
मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं
पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
देवसिन्धुतरङ्गशीकरसिक्तशीतजटाधरं (तरङ्गसी, सिक्तशुभ्र)
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३॥
कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं (कुण्डलेश्वर)
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४॥
यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं (क्ष्वेलनील)
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५॥
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६॥
भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनामयम् । (परात्परमप्रमेयमनुत्तमम्)
सोमवारिनभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं (भोहुताशन)
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७॥
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमथ प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् । (संहरन्तमपि)
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाकुलं (गणनाथयूथसमन्वितं)
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ८॥
फलश्रुतिः -
मृत्युभीतमृकण्डसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् ।
दीर्घमायुररोगितामखिलार्थसम्पदमादरात् (पूर्णमायु, सम्पदमादरं)
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥
॥ इति श्रीशिवरहस्यान्तर्गते शिवाख्ये मार्कण्डेयकृतं
श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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Meaning of Chandra shekar ashtkam in Hindi:
- हे चन्द्रशेखर! हे चन्द्रशेखर! मेरी रक्षा कीजिये| हे चन्द्रशेखर! हे चन्द्रशेखर! मेरी रक्षा कीजिये| कैलाश के शिखर पर जिनका निवास स्थान है, जिन्होंने मेरुगिरी का धनुष, नागराज वासुकी की प्रत्यंचा भगवान विष्णु को अग्निमय बाण बना के तत्काल ही दैत्यों के तीनों पूरो को दग्ध कर डाला था, सम्पूर्ण देवता जिनके चरणों की वंदना करते है उन चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे ? Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
- पांच दिव्य वृक्षों और पुष्पों से सुगन्धित युगल चरणकमल जिनकी शोभा बढ़ाते है, जिन्होंने अपने ललाटवर्ती नेत्र से प्रकट हुई आग की ज्वाला में कामदेव के शरीर को भस्म कर डाला था, जिनका श्रीविग्रह सदा भस्म से विभूषित रहता है, सबकी उत्पति का कारण होते हुए भी भव (संसार) के नाशक हो तथा जिनका कभी विनाश नही होता, उन भगवान चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?| Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
- जो मतवाले गजराज के चर्म की चादर ओढ़े परम मनोहर जान पड़ते है, ब्रह्मा और विष्णु भी जिनके चरणकमलो की पूजा करते है, जो देवतओं और सिद्धो की नदी गंगा की तरंगो से भीगी हुई शीतल जटा धारण करते है, उन भगवान चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?
- जिन्होंने कुंडलाकार वासुकी सर्पराज का कर्णाभरण बनाया है और बूढ़ा बैल जिनका वाहन है, नारदादि मुनियों के द्वारा जिनके वैभव की स्तुति की गयी है, जो सारे भुवनो के ईश्वर है, भुवनेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है, अंधकासुर तथा वृष्णिवंश ने अमरपादपरूप जिनका आश्रय लिया हुआ है, जो शमन-यमराज के भी अन्तक है| उन भगवान चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे? Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
- जो यक्षराज कुबेर के सखा मित्र है और इंद्र के भगाक्षरूप दोष को दूर करने वाले है और भुज का भूषण बनाये हुए है, जिनके श्रीविग्रह के सुंदर वामभाग को गिरिराज किशोरी उमा ने सुशोभित कर रखा है, कालकूट विष पीने के कारण जिनका कंठ नीले रंग का दिखाई पड़ता है और जो एक हाथ में फरसा और मृगलाछनचन्द्र को भी धारण करते है, उन भगवान चन्द्रशेखर की मे शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?|
- जो जन्म मरण के रोग से ग्रस्त पुरुषो के लिए ओषध रूप है, आपत्तियों का निवारण और दक्ष यज्ञ का विनाश करने वाले है, सत्व आदि तीनों गुण जिनके स्वरूप है, जो तीन नेत्र धारण करते है, भोग और मोक्ष रुपी फल देते है तथा सम्पूर्ण पापों का संहार करते है, उन भगवान चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?|
- जो ब्रह्मारूप से सम्पूर्ण विश्व की सृष्टी करते फिर विष्णुरूप से सबके पालन में संलग्न रहते और अंत में सारे प्रपंच का संहार करते है, तथा जो गणेशजी के पार्षदों से घिरकर दिन रात भांति भांति के खेल किया करते है, उन भगवान चन्द्रशेखर की मै शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?| Chandrashekhar Ashtkam With Meaning In Hindi
- जो भक्तो पर दया करने वाले है, अपनी पूजा करने वाले मनुष्यों के लिए अक्षय निधि होते हुए भी जो स्वयं दिगम्बर रहते है, जो सब भूतो के स्वामी, परात्पर, अप्रमेय और उपमारहित है, पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और चन्द्रमा के द्वारा जिनका श्रीविग्रह सुरक्षित है, उन भगवान चन्द्रशेखर की मे शरण लेता हू| यमराज मेरा क्या करेंगे?|
- जो मृत्यु भय से पीड़ित होकर मार्कंडेय ऋषि के इस स्तोत्र का पाठ शिव के समीप अथवा कही पर भी करता हो, भगवान चन्द्रशेखर उस मनुष्य को पूर्णायु, आरोग्य, प्रचुर धन और अंत में मोक्ष प्रदान करते है|
॥ इति श्री चन्द्रशेखराष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
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