पाशुपतास्त्र स्तोत्र के फायदे, lyrics of paashupatash strotram, पाशुपतास्त्र स्तोत्र का विनियोग और न्यास क्या है ?|
अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं और उनके किसी ऐसे स्त्रोत की तलाश में हैं जो की समस्त प्रकार की बाधाओं का नाश कर सकता हो तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र आपके लिए है| ये अत्यंत शक्तिशाली, चमत्कारी और शीघ्र फल देने वाला है |
इस स्त्रोत्र का वर्णन अग्नि पुराण के 322 वें अधयाय में मिलता है | Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics |
आइये जानते हैं पाशुपतास्त्र स्तोत्रम /Pashuptastra Stotram के फायदे क्या हैं ?
- पाशुपतास्त्र स्तोत्र /Pashuptastra Stotra एक अमोघ प्रयोग है और हर प्रकार की बाधाओं को दूर करने में समर्थ है |
- अगर नौकरी नहीं मिल रही हो तो इसका प्रयोग कर सकते हैं |
- अगर किसी टोने टोटके के घेरे में आ गए हैं तो इसका प्रयोग कर सकते हैं |
- अगर कुंडली में किसी प्रकार के दोष के कारण विवाह नहीं हो रहा हो तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र /Pashuptastra Stotra का प्रयोग करा जा सकता है |
- अगर कोई जातक किसी प्रकार के बंधन दोष से गुजर रहा है तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र /Pashuptastra Stotram का प्रयोग किया जा सकता है |
- अगर शनि साड़े साती या धैया के कारण जीवन में परेशानी आ रही हो तो ऐसे में इस अमोघ दिव्य स्त्रोत्रम का पाठ करना चाहिए | Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
- अगर दाम्पत्य सुख में बाधा आ रही हो तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र के पाठ से फायदा मिलता है |
- अगर किसी भी प्रकार के भय से आप गुजर रहे हो तो इस दिव्य और शक्तिशाली स्त्रोत्रम का पाठ करें |
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आइये जानते हैं की कैसे प्रयोग करें पाशुपतास्त्र स्तोत्र का ?
- कोई भी रोज इसका पाठ कर सकता है सुबह और शाम को |
- विशेष कार्यो की सिद्धि के लिए १००८ पाठ करना चाहिए और हवन, तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण भोज देना चाहिए |
- अगर जीवन में बहुत बाधाएं आ रही हो तो १०८ बार पाठ करना चाहिए |
- घी और गुग्गल से हवन करना चाहिए पाशुपतास्त्र स्तोत्र /Pashuptastra Stotram का पाठ करते हुए |
महाभारत युद्ध में पाशुपत नाम का एक अमोघ अस्त्र भगवान शिव ने अर्जुन को दिया था जो की प्रलय लाने की ताकत रखता था |
पाशुपतास्त्र स्तोत्र के पाठ से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्त को अनुकूल परिणाम देते हैं। Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
पाशुपतास्त्र स्तोत्रम /Pashuptastra Stotram:
विनियोग:
ॐ अस्य श्री पाशुपतास्त्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि: गायत्री छन्द: पाशुपतास्त्र देवता, सर्वोपद्रव शमनार्थे, जपे विनियोग:।
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ॐ अस्य श्री पाशुपतास्त्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि: गायत्री छन्द: श्रीं बीजं हुं शक्ति: श्री पशुपतीनाथ देवता मम सकुटुंबस्य सपरिवारस्य सर्वग्रह बाधा शत्रू बाधा रोग बाधा अनिष्ट बाधा निवारणार्थं मम सर्व कार्य सिद्धर्थे जपे विनियोग: ॥
Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
षडंगन्यास :-
ॐ हुम् फट् अंगुष्ठाभ्यां नम:हृदयाय नम:
ॐ श्लीम हुम् फट् तर्जनीभ्यां नम: शिरसे स्वाहा
ॐ पशुम् हुम् फट् मध्यमाभ्यां नम: शिखायै वषट |
ॐ हुम् हुम् फट् अनामिकाभ्यां नम: कवचाय हुं |
ॐ फट हुम् फट् कनिष्ठिकाभ्यां नम: नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ श्लीम पशुम् हुम् फट् करतल करपृष्ठाभ्यां नम: अस्त्राय फट् |
Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
मंत्र :
ॐ श्लीं पशुं हुं फट्
ध्यान
मध्यान्ह अर्कसमप्रभं शशिधरं भीम अट्टहासोज्वलं
त्र्यक्षं पन्नगभूषणं शिखिशिखा श्मश्रू स्फुरन्मूर्धजम
हस्ताब्जैस्त्रिशिखं समुदगरमसिं शक्तिं दधानं विभुं
दंष्ट्राभीमचतुर्मुखं पशुपतिं दिव्यास्त्र रुपं स्मरेत !!
अर्थ :- जो मध्यान्ह कालीन अर्थात दोपहर के सूर्य के समान कांति से युक्त है , चंद्रमा को धारण किये हुये हैं । जिनका भयंकर अट्टहास अत्यंत प्रचंड है । उनके तीन नेत्र है तथा शरीर मे सर्पों का आभूषण सुशोभित हो रहा है ।
उनके ललाट मे स्थित तीसरे नेत्र से निकलती अग्नि की शिखा से श्मश्रू तथा केश दैदिप्यमान हो रहे है ।
जो अपने कर कमलो मे त्रिशूल , मुदगर , तलवार , तथा शक्ति धारण किये हुये है ऐसे दंष्ट्रा से भयानक चार मुख वाले दिव्य स्वरुपधारी सर्वव्यापक महादेव का मैं दिव्यास्त्र के रूप मे स्मरण करता हूँ । Pashupatastra Strotram Ke Fayde aur Lyrics
Lyrics of पाशुपतास्त्र स्तोत्र:
ॐ नमो भगवते महापाशुपताय, अतुलवीर्यपराक्रमाय, त्रिपंचनयनाय, नानारूपाय, नानाप्रहरणोद्यताय, सर्वांगरंक्ताय, मनीसांजनचयप्रख्याय,श्मशानवेतालप्रियाय, सर्वविघ्न- निकृन्तनरताय, सर्वसिद्धिप्रधान, भक्तानुकंपिनेऽसंख्यवक्त्रभुज- पादय, तस्मिन् सिद्धाय, वेतालवित्रासिने, शाकिनी क्षोभजनकाय, व्याधिनिग्रहकारिणे पापभंजनाय, सूर्यसोमाग्निर्नत्राय, विष्णुकवचाय, खड्गवज्रहस्ताय, यमदंडवरुणपाशाय, रुद्रशूलाय,ज्वलज्जिह्वाय, सर्वरोगविद्रावणाय, ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनाशक्षयकारिणे।
कृष्णपिंगलाय फट्। हुंकाराय फट्। वज्रहस्ताय फट्। शक्तये फट्। दंडाय फट्। यमाय फट्। खड्गाय फट्। निर्गतये फट्। वरुणाय फट्। वज्राय फट्। पाशाय फट्। धवजाय फट्। अंकुशाय फट्। गदय फट्। कुबेराय फट्। त्रिशूलाय फट्। मुद्गाय फट्। चक्राय फट्। पद्माय फट्। नागाय फट्। ईशानाय फट्। खेटकाय फट्। मुंडाय फट्। मुंडाय फट्। कंकालाख्याय फट्। पिबिछकाय फट्। क्षुरिकाय फट्। ब्रह्माय फट्। शक्त्यय फट्। गणाय फट्। सिद्धाय फट्। पिलिपिबछाय फट्। गंधर्वाय फट्। पूर्वाय फट्। दक्षिणाय फट्। वामाय फट्। पश्चिमाय फट्। मंत्राय फट्। शाकिन्य फट्। योगिन्यय फट्। दंडाय फट्। महादंडाय फट्। नमोऽय फट्। शिवाय फट्। ईशानाय फट्। पुरुषाय फट्। आघोराय फट्। सद्योजाताय फट्। हृदयाय फट्। महाय फट्। गरुड़ाय फट्। राक्षसाय फट्। दनवाय फट्। क्षौंनरसिंहाय फट्। त्वष्ट्य फट्। सर्वाय फट्। न: फट्। व: फट्। प: फट्। फ: फट्। भ: फट्। श्री: फट्। पै: फट्। भू: फट्। भुव: फट्। स्व फट्। मह: फट्। जन: फट्। तप: फट्। सत्यं फट्। सर्वलोक फट्। सर्वपाताल फट्। सर्वतत्तव फट्। सर्वप्राण फट्। सर्वनाड़ी फट्। सर्वकारण फट्। सर्वदेव फट्। द्रीं फट्। श्रीं फट्। हूं फट्। स्वां फट्। लां फट्। वैराग्याय फट्। कामाय फट्। क्षेत्रपालाय फट्। हुंकाराय फट्। भास्कराय फट्। चन्द्राय फट्। विघ्नेश्वराय फट्। गौ: गा: फट्। भ्रामय भ्रामय फट्। संतापय संतापय फट्। छादय छादय फट्। उन्मूलय उन्मूलय फट्। त्रासय त्रासय फट्। संजीवय संजीवय फट्। विद्रावय विद्रावय फट्। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट्॥
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