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Shani Ka Paya Kaise Dekhen Naye Saal Mai

Shani ka paaya kaise dekhen, नए साल में शनि का राशि परिवर्तन कब होगा, शनि पाया कब बदलेंगे, किन लोगो को शनि मालामाल कर देंगे, किनके जीवन में संघर्ष बढेगा, 2025 में शनि का पाया और उसके प्रभाव  | शनि का पाया देखना बहुत जरुरी है क्यूंकि शनि ग्रह का सबसे ज्यादा असर हमे देखने को मिलता है जीवन में, जब भी शनि राशि बदलते हैं उसके साथ ही साड़े साती, ढैय्या  और पाया भी बदल जाता है जिसके कारण लोगो के जीवन में बड़े परिवर्तन देखने को मिलते हैं | कुछ लोगो को बहुत धन लाभ होता है, हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है और कुछ लोगो के जीवन में संघर्ष बढ़ने लगता है | Shani Ka Paya Kaise Dekhen Naye Saal 2025Mai Watch Video here सबसे पहले जानते हैं की शनि का पाया कैसे देखते हैं ? वैदिक ज्योतिष के अनुसार अगर शनि ग्रह चन्द्र राशि से पहले, छठे या ग्यारहवें (1, 6, 11) भाव में हो तो “सोने का पाया” होगा | ये संघर्षो को जन्म देता है | अगर जन्म राशि से शनि ग्रह दूसरे, पांचवे या नवे (2, 5, 9) भाव में हो तो “चांदी का पाया” होता है | ये बहुत ही अच्छा माना जाता है |  Shani ka paaya kaise dekhen अगर जन्म ...

Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish

चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक बीमारी का उपचार, कुंडली में कौन से ग्रह और भाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं, ज्योतिष केस स्टडीज, रोकथाम के उपाय ।

Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish: इस सांसारिक जीवन का आनंद लेने और इस जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ दिमाग आवश्यक है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य का कुंडली में चंद्रमा ग्रह से बहुत गहरा संबंध है। हमारे दैनिक जीवन में भी हम देख सकते हैं कि जो लोग किसी भी प्रकार के मानसिक विकार से पीड़ित हैं उनके व्यवहार में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में अंतर दिखता है, साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा को भी इन लोगो के व्यवहार में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिलता है, इससे भी ये पता चलता है कि चंद्रमा का मानसिक स्वास्थ्य से बहुत गहरा संबंध है।

इसलिए जब हम सिज़ोफ्रेनिया या किसी अन्य मानसिक समस्या के बारे में बात करते हैं तो जन्म कुंडली में चंद्रमा ग्रह की स्थिति और अन्य कारकों की जांच करना बहुत आवश्यक है। Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish

चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक बीमारी का उपचार, कुंडली में कौन से ग्रह और भाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं, ज्योतिष केस स्टडीज, रोकथाम के उपाय ।
Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish


मानसिक रोग क्या है?

जब कोई भी पुरुष या महिला मतिभ्रम, भ्रम, असामान्य सोच और व्यव्हार से गुजरता है तो यह स्थिति मानसिक बीमारी के अंतर्गत आती है और गहन अवस्था में यह सिज़ोफ्रेनिया बन जाती है।

मानसिक विकार अच्छे नहीं होते और इनके व्यवहार का सटीक अनुमान लगाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। इस प्रकार के व्यक्ति एक अलग काल्पनिक दुनिया में रहते हैं जो उनके झूठे विश्वास का परिणाम होता है। Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish

आइये जानते हैं की मानसिक बीमारी के लक्षण व्यक्तियों में किस प्रकार के दीखते हैं ?

  1. ऐसे लोग मतिभ्रम से गुजरते हैं अर्थात ऐसी चीज़ें देखना, सुनना या महसूस करना जो वास्तविक नहीं हैं। श्रवण संबंधी मतिभ्रम सबसे आम हैं।
  2. ऐसे लोग काल्पनिक धारणाओं में घिरे रहते हैं |
  3. इनकी सोच अव्यवस्थित होती हैं  अर्थात ऐसे लोग  विचारों को व्यवस्थित करने या उनके बीच तार्किक संबंध बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं जिससे इनकी बातें असंगत सी जान पड़ती हैं |
  4. इनका व्यवहार असामान्य और अव्यवस्थित दिखता है |
  5. इनके अन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति में कमी दिखती हैं, सामाजिक अलगाव दिखता है, इन्हें आनंद का अनुभव करने में कठिनाई होती है ।
  6. इस प्रकार के लोगों को जानकारी को याद रखने और सुचारु रूप से व्यवस्थित करने में समस्या आती है।
  7. मानसिक रूप से बीमार रोगियों को योजना बनाने, व्यवस्थित करने, आरंभ करने और कार्यों को पूरा करने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसा माना जाता है कि मानसिक बीमारी आनुवंशिक, जैविक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन के कारण होती है। Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish


चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक रोग विश्लेषण:

चिकित्सा ज्योतिष में हम मानसिक स्थितियों के लिए जिम्मेदार ग्रहों और सितारों को जानने के लिए जन्म कुंडली की जांच करते हैं।

  • जन्म कुंडली में प्रथम भाव यानी लग्न का सीधा संबंध मन से होता है और इसलिए यदि यह भाव पीड़ित होता है तो इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
  • चंद्रमा ग्रह का सीधा संबंध मन से होता है इसलिए पीड़ित या कमजोर चंद्रमा मानसिक रोग के लिए भी जिम्मेदार होता है।
  • अगला महत्वपूर्ण ग्रह बुध है जो व्यक्ति की निर्णय लेने की शक्ति, तार्किक दिमाग आदि को प्रभावित करता है और इसलिए यदि यह ग्रह कमजोर या अशुभ है तो मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है।
  • द्वितीय भाव और द्वादश भाव का मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है।
  • ग्रहों के ऐसे कई योग हैं जो कुंडली में बनने पर मानसिक रोग या सिज़ोफ्रेनिया को जन्म देते हैं जैसे कि यदि चंद्रमा और राहु की युति हो तो मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है, चंद्रमा और केतु की युति भी अच्छी नहीं होती है।
  • कमजोर लग्न सिज़ोफ्रेनिया या मानसिक बीमारी के लिए भी बहुत हद तक जिम्मेदार होता है।
  • दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए श्राप भी जिम्मेदार हैं।
  • कई बार चंद्र कुंडली, नवमांश कुंडली का विश्लेषण मानसिक समस्याओं या सिज़ोफ्रेनिया के निदान में बहुत सहायक होता है।
  • उपरोक्त स्थितियों के साथ, समस्या की तीव्रता जानने के लिए गोचर अर्थात महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा की जांच करना भी आवश्यक है।
यहां ध्यान रखने वाली एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि मानसिक बीमारी के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए प्रथम भाव, भाव से जुड़े ग्रह, चंद्रमा और अन्य युति का अध्ययन करना आवश्यक है। Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish


आइये अब 2 case देखते हैं :

case1:

26 अक्टूबर 1987, शाम 4:20 बजे, पुना (महाराष्ट्र)

जब हम इस व्यक्ति की जन्म कुंडली बनाते हैं तो हम पाते हैं कि राहु और बृहस्पति लग्न में एक साथ बैठे हैं और गुरु चांडाल योग बना रहे हैं, इसके साथ ही 7 वां घर भी अशुभ मंगल और केतु की युति से प्रभावित है।

अशुभ मंगल सीधे लग्न को देख रहा है और इसके साथ ही नीच का सूर्य अष्टम भाव में बैठके पूर्ण दृष्टि से दूसरे घर को देख रहा है।

यह व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित हैं, असामान्य व्यवहार करते हैं, किसी की सलाह नहीं लेना चाहते हैं, परिवार के सदस्यों का सहयोग नहीं करना चाहते हैं,  क्रोध के समय भावनाहीन हो जाते है।

इनको रह रह के समय-समय पर किसी की उपस्थिति का मतिभ्रम भी होता रहता है।

Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish

case 2:

8 अक्टूबर 1981, 2:02 AM, बुरहानपुर

यह एक महिला का विवरण है और जब हम चार्ट बनाते हैं तो हम उसमें पा सकते हैं की -

राहु और मंगल की युति लग्न पर है जहां मंगल नीच का है और राहु अशुभ है, इसके साथ ही सप्तम भाव भी चंद्रमा और केतु की युति से प्रभावित है।

इस महिला को अक्सर किसी की उपस्थिति का भान होता रहता है जिससे भयभीत रहती हैं और हमेशा चुप रहने की कोशिश करती है, समाज से कटी कटी रहती हैं ।

इनको समय समय पर भय के कारण पैनिक अटैक भी होता है और बहुत बेचैन रहती हैं |इसकी वजह से उन्हें अनिद्रा, डिप्रेशन की समस्या हो रही है।

उपरोक्त 2 मामलों में हमने पाया है कि लग्न मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्योतिषीय उपाय:

  1. अगर आप फोबिया, भय या किसी अन्य प्रकार की मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं तो रोजाना सुबह और सोने से पहले मेडिटेशन करना अच्छा रहता है।
  2. आप अपने लग्न को मजबूत बनाने के लिए रत्न धारण कर सकते हैं।
  3. देवी पार्वती के साथ भगवान शिव की नियमित पूजा करें।
  4. अपने कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद लें।
  5. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा के लिए दुर्गा कवच या शिव कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
  6. भय से मुक्ति पाने के लिए भी हनुमान जी की पूजा बहुत उपयोगी है।
  7. नादयोग ध्यान करें जो बहुत उपयोगी है।
  8. मानसिक बीमारी के ज्योतिषीय कारण और उपाय जानने के लिए ज्योतिष से संपर्क करें |
  9. मानसिक बीमारी के कारणों को जानने के लिए व्यक्तिगत कुंडली विश्लेषण कराना और फिर शांति पूजा, प्रार्थना, रत्न आदि जैसे उचित उपाय करना भी अच्छा है। Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह अशुभ हों तो जीवन में अनिद्रा, अवसाद, तनाव, चिंता, सिज़ोफ्रेनिया और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

एक सफल और भय मुक्त जीवन जीने के लिए व्यक्तिगत ज्योतिष रिपोर्ट और समाधान प्राप्त करें।

चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक बीमारी का उपचार, कुंडली में कौन से ग्रह और भाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं, ज्योतिष केस स्टडीज, रोकथाम के उपाय, Mansik Bimari ke karan Aur Upchar in Medical Jyotish ।

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