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Shukra Ka Kumbh Rashi Mai Gochar Ka Rashifal

Shukra Ka Kumbh Rashi Mai Gochar Ka Rashifal, शुक्र कुम्भ राशि में कब जायेंगे 2024 में,  12 राशियों पर शुक्र के गोचर का असर क्या होगा ?| Shukra Ka Kumbh Rashi Mai Gochar Ka Rashifal: विलासिता, ऐशोआराम, आकर्षण शक्ति, प्रेम, रोमांस का कारक ग्रह शुक्र 28 December 2024 शनिवार को रात्रि में लगभग 11:28 बजे अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं और कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे जो की शुक्र की मित्र राशि है अतः इसके बहुत शुभ परिणाम हमे देखने को मिलेंगे |  Shukra Ka Kumbh Rashi Mai Gochar Ka Rashifal Read In English About Venus Transit In Aquarius आइये जानते हैं शुक्र के कुम्भ राशि में गोचर का राशिफल : शुक्र के कुम्भ राशि में गोचर से मेष राशि वालो के जीवन में क्या बदलाव हो सकते हैं : 28 December 2024  को शुक्र के कुम्भ राशि में गोचर से मेष राशि के लोगो की इच्छाएं पूरी होंगी परन्तु संघर्षो के बाद | मेष राशि के प्रेमियों के लिए भी समय कुछ उलझन भरा रह सकता है | विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वालो को सफलता मिलने के योग मजबूत होंगे | यात्रा के योग भी बढ़ेंगे और अगर आप...

Gauripati shatnam stotram lyrics with meaning in hindi

Gauripati shatnam stotram lyrics with meaning in hindi,गौरीपति शतनाम स्तोत्रम्, गौरीपति शतनाम स्तोत्र के लाभ |

इस दिव्य स्त्रोत्रम में भगवान् शिव की महिमा का वर्णन किया गया है, इसमें ये बताया गया है की भगवान्  शिव ही  कारणों के कारण है, उनसे ही सबकुछ है, वे ही मंगलकर्ता है, उद्धारकर्ता हैं | 

तो इस स्त्रोत्रम का पाठ करके हम भगवन शिव का गुणगान कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं, इस जीवन को और इस जीवन के बाद के जीवन को भी सफल कर सकते हैं |

Read in english about Gauripati Shatnam Stotram lyrics with meaning

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Gauripati shatnam stotram lyrics with meaning in hindi

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Lyrics of Gauripati shatnam stotram :

बृहस्पतिरुवाच –

नमो रुद्राय नीलाय भीमाय परमात्मने । कपर्दिने सुरेशाय व्योमकेशाय वै नम: ।। १ ।। 

वृषभध्वजाय सोमाय सोमनाथाय शम्भवे । दिगम्बराय भर्गाय उमाकान्ताय वै नम: ।। २ ।।

 तपोमयाय भव्याय शिवश्रेष्ठाय विष्णवे । व्यालप्रियाय व्यालानां पतये नम: ।। ३ ।।

 महीधराय व्याघ्राय पशुनां पतये नम: । पुरान्त्काय सिंहाय शार्दूलाय मखाय च ।। ४ ।।

Gauripati shatnam stotram

 मीनाय मीननाथाय सिद्धाय परमेष्ठिने । कामान्तकाय बुद्धाय बुद्धिनां पतये नम: ।। ५ ।।

 कपोताय विशिष्टाय शिष्टाय सकलात्मने । वेदाय वेद्जीवाय वेदगुह्याय वै नम: ।। ६ ।।

 दीर्घाय दीर्घरूपाय दीर्घार्थायाविनाशिने । नमो जगत्प्रतिष्ठाय व्योमरूपाय वै नम: ।। ७ ।।

 गजासुर महाकालायान्धकासुरभेदिने । नीललोहितशुक्लाय चण्डमुण्डप्रियाय च ।। ८ ।।

 भक्तिप्रियाय देवाय ज्ञात्रे ज्ञानाव्ययाय च । महेशाय नमस्तुभ्यं महादेव हराय च ।। ९ ।।

Gauripati shatnam stotram

 त्रिनेत्राय त्रिवेदाय वेदांगाय नमो नम: । अर्थाय चार्थरूपाय परमार्थाय वै नम: ।। १० ।।

 विश्वरूपाय विश्वाय विश्वनाथाय वै नम: । शंकराय च कालाय कालावयवरूपिणे ।। ११ ।।

 अरूपाय विरूपाय सूक्ष्मसूक्ष्माय वै नम: । श्मशानवासिने भूयो नमस्ते कृत्तिवाससे ।। १२ ।।

 शशांकशेखारायेशायोग्रभूमिशयाय च । दुर्गाय दुर्गपाराय दुर्गावयवसाक्षीणे ।। १३ ।।

 लिंगरूपाय लिंगाय लिंगानां पतये नम: । नम: प्रलयरूपाय प्रणवार्थाय वै नम: ।। १४ ।।

Gauripati shatnam stotram

 नमो नम: कारणकारणाय मृत्युंजयायात्मभवस्वरूपिणे । 

 श्रीत्रयम्बकायासितकंठशर्व गौरीपते सकलमंगलहेतवे नम: ।। १५ ।।

 

|| इति श्री गौरीपति शत नाम स्तोत्रं सम्पूर्णम  ||



गौरीपति शतनाम स्त्रोत्रम का अर्थ :

बृहस्पतिजी बोले- रुद्र, नील, भीम और परमात्माको नमस्कार है ।

जटाजूटधारी , देवताओंके स्वामी तथा आकाशरूप को नमस्कार है |  ॥1 ॥


जो अपनी ध्वजा में वृषभ का चिह्न धारण करने के कारण

वृषभध्वज हैं, उमाके साथ विराजमान होनेसे सोम हैं, सम्पूर्ण दिशाओंको वस्त्ररूपमें धारण करनेके

कारण जो दिगम्बर कहलाते हैं, तेज स्वरूप होनेसे

जिनका नाम भर्ग है, उन उमाकान्तको नमस्कार है  ॥ २ ॥


जो तपोमय, कल्याणरूप , शिवश्रेष्ठ, विष्णुरूप,

सर्पोंको प्रिय माननेवाले , सर्पस्वरूप तथा

सर्पों के स्वामी हैं, उन भगवानको नमस्कार है ॥ ३ ॥


जो पृथ्वीको धारण करनेवाले , व्याघ्र, जीवोंके पालक , त्रिपुरनाशक,

सिंहस्वरूप, शार्दूलरूप और यज्ञमय हैं, उन भगवान शिवको

नमस्कार है ॥ ४ ॥


जो मत्स्यरूप, मत्स्योंके स्वामी, सिद्ध तथा परमेष्ठी हैं,

जिन्होंने कामदेवका नाश किया है, जो ज्ञानस्वरूप तथा बुद्धि-

वृत्तियोंके स्वामी हैं, उनको नमस्कार है ॥ ५ ॥


ब्रह्माजी जिनके पुत्र हैं, सर्वश्रेष्ठ,

साधु पुरुष तथा सर्वात्मा हैं, उन्हें नमस्कार है ।

जो वेदस्वरूप, वेद को जीवन देनेवाले तथा वेदों में छिपे हुए गूढ़

तत्त्व हैं, उनको नमस्कार है ॥ ६ ॥


जो दीर्घ, दीर्घरूप, दीर्घार्थस्वरूप तथा अविनाशी हैं, जिनमें

ही सम्पूर्ण जगत की स्थिति है, उन्हें नमस्कार है तथा जो सर्वव्यापी

व्योमरूप हैं, उन्हें नमस्कार है ॥ ७ ॥


जो गजासुर के महान काल हैं, जिन्होंने अन्धकासुर का विनाश

किया है, जो नील, लोहित और शुक्ल रूप हैं तथा चण्ड- मुण्ड

नामक पार्षद जिन्हें विशेष प्रिय हैं, उन भगवान शिव को नमस्कार है ॥ ८ ॥


जिनको भक्ति प्रिय है, जो द्युतिमान देवता हैं, ज्ञाता और ज्ञान

हैं, जिनके स्वरूपमें कभी कोई विकार नहीं होता, जो महेश,

महादेव तथा हर नाम से प्रसिद्ध हैं, उनको नमस्कार है ॥ ९ ॥


जिनके तीन नेत्र हैं, तीनों वेद और वेदांग जिनके स्वरूप हैं,

उन भगवान शंकर को नमस्कार है! नमस्कार है! जो धन , काम तथा मोक्षस्वरूप हैं,

जो सम्पूर्ण विश्वकी भूमि के पालक, विश्वरूप, विश्वनाथ,

शंकर, काल तथा कालावयव रूप हैं, उन्हें नमस्कार है ॥ ११ ॥


जो रूपहीन, विकृतरूपवाले तथा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म हैं,

उनको नमस्कार है, जो श्मशान भूमि में निवास करनेवाले तथा

व्याघ्रचर्ममय वस्त्र धारण करनेवाले हैं, उन्हें पुनः नमस्कार

है ॥ १२ ॥


जो ईश्वर होकर भी भयानक भूमि में शयन करते हैं, उन

भगवान चन्द्रशेखर को नमस्कार है । जो दुर्गम हैं, जिनका

पार पाना अत्यन्त कठिन है तथा जो दुर्गम अवयवों के साक्षी

अथवा  पार्वती के सब अंगों का दर्शन करनेवाले हैं,

उन भगवान् शिवको नमस्कार है ॥ १३ ॥


जो लिंगरूप, कारण तथा कारणों के भी अधिपति हैं,

उन्हें नमस्कार है । महाप्रलयरूप रुद्रको नमस्कार है। प्रणव के

अर्थभूत ब्रह्मरूप शिवको नमस्कार है ॥ १४ ॥


जो कारणोंके भी कारण, मृत्युंजय तथा स्वयम्भू रूप हैं, उन्हें

नमस्कार है । हे श्री त्र्यम्बक  ! हे असितकण्ठ! हे शर्व! हे गौरीपते!

आप सम्पूर्ण मंगलोंके हेतु हैं; आपको नमस्कार है ॥ १५ ॥


॥ इस प्रकार गौरीपतिशतनामस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥


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