Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram, Lyrics of ganpati strotram With meaning in hindi, गणपति स्त्रोत्रम के फायदे, धन प्राप्ति के लिए गणेश लक्ष्मी पूजन|
Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram: हिंदू धर्म में गणेशजी प्रथम पूजे जाते हैं और वे हर प्रकार के विघ्नों को दूर करने वाले हैं | गणेश चतुर्थी और गणेश उत्सव के दौरान उनकी विशेष पूजा करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हैं |
जो लोग आर्थिक रूप से परेशां हैं, कर्जा नहीं उतर रहा हैं, उन्हें गणपति स्तोत्र का पाठ नियमित करना चाहिए, इससे धन लाभ होता है, बाधाओं का नाश होता है, आय के स्त्रोत खुलते हैं, माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है |
इस स्तोत्र की रचना अदि शंकराचार्य ने की थी और भक्त इसे “गणेश लक्ष्मी स्त्रोत्रम” के नाम से भी जानते हैं |
Ganpati Strotram Dhan Prapti Ke liye |
गणपति स्तोत्रम का महत्व और लाभ :
पौराणिक मान्यता के अनुसार गणेशजी देवी लक्ष्मी के दत्तक पुत्र माने जाते हैं | माता लक्ष्मी ने गणेशजी को वरदान दिया है की जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा, लक्ष्मी उसके पास कभी नहीं रहेगी। इसलिए माता लक्ष्मी के साथ दत्तक पुत्र के रूप में भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- इसके पाठ से जीवन समृद्ध होता है |
- अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है |
- आय के स्त्रोत खुलते हैं |
- पारिवारिक बाधाएं, काम काजी बाधाएं, व्यक्तिगत जीवन की बाधाएं नष्ट होती है |
- बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है |
- सही निर्णय लेने की क्षमता बढती है |
कैसे करें गणेश लक्ष्मी स्तोत्रम का पाठ : Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram
श्री गणेश और लक्ष्मी जी की स्थापना के बाद पूर्व दिशा की ओर मुंह करके, ऊनी या कुश के आसन पर बैठ कर इस दिव्य स्त्रोतम का पाठ करें |
सुनिए गणेश स्त्रोत्रम को YouTube में
Lyrics of Ganesh Laxmi Stotram in Sanskrit:
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने ।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने ॥ १॥
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् ।
अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम् ॥ २॥ Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः ।
सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ॥ ३॥
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः ।
सिन्दूरारुणवस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः ॥ ४॥ Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ॥ ५॥
| इति श्री गणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
आइये जानते हैं गणपति स्त्रोत्रम का अर्थ :
- मैं विघ्नों के राजा, सभी प्रकार के सुखों को देने वाले, दुष्टों और अरिष्टो के नाश करने वाले परमात्मा को प्रणाम करता हूँ।
- हे बड़े पेट वाले भगवान, महावीर, जो सर्प को जनेऊ की तरह पहनते हैं,
- जो अर्धचंद्र धारण करते हैं, जो बाधाओं के चक्रव्यूह को नष्ट करते हैं, मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ।Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram
- मैं कमज़ोर और अच्छे लोगों के रक्षक हेरम्ब भगवान गणेश को नमस्कार करता हूँ। आप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं; कृपया मुझे सिद्धि और बुद्धि प्रदान करें।
- हमारे सोचे हुए पदार्थो को प्रदान करने वाले, मोदक को पसंद करने वाले |
- जो सिन्दूर से रंगे हुए हैं, जो वरदान देने वाले हैं, मै उनको प्रणाम करता हूँ |
- गणपति जी की यह प्रार्थना जो भी भक्ति से पढता है |Dhan Prapti Ke liye Ganpati strotram
- उसके शरीर, घर और स्वयं पर लक्ष्मी जी की कृपा हमेशा बनी रहती है |
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