Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal, लग्न में शनि का प्रभाव, कुंडली के पहले भाव में शनि का फल, लग्न में शनि के उपाय, Saturn in 1st house.
जन्म कुंडली में पहला घर जिसे की लग्न भी कहा जाता है बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्यूंकि इसका सम्बन्ध हमारे मस्तिष्क से होता है और इसीलिए हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, लग्न में मौजूद ग्रह और राशि का बहुत गहरा प्रभाव जातक पर रहता है जीवन भर |
Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal |
Read in English - Saturn in First House Impacts
अब आइये जानते हैं शनि ग्रह के बारे में कुछ ख़ास बातें ज्योतिष के अनुसार :
हमारे कर्मो के फल को देने वाले ग्रह हैं शनिदेव इसीलिए इन्हें न्याय के साथ जोड़ा जाता है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का सम्बन्ध मेहनत, अनुशाशन, गंभीरता, जिम्मेदारी, स्वाभिमान, दुःख, अहंकार, देरी, भूमि, रोग आदि से होता है |
- शनि ग्रह मेष राशि में नीच के होते हैं और तुला राशि में उच्च के होते हैं |
- शनि ग्रह की मित्र राशियाँ हैं – वृषभ, मिथुन और कन्या|
- शनि ग्रह की शत्रु राशियाँ है – कर्क, सिंह और वृश्चिक|
शनि की दृष्टि :
ये भी ध्यान रखना चाहिए की शनि के पास 3 दृष्टि होती है अर्थात शनि जहाँ भी बैठेंगे वहां से तीसरे, सातवें और दसवें भाव को देखेंगे अतः जब शनि जन्म कुंडली के पहले भाव में बैठेंगे तो वहां से वो कुंडली के पहले, तीसरे और दसवें भाव को भी प्रभावित करेंगे |
कुंडली के प्रथम भाव में शनि का प्रभाव :
शनि ग्रह की स्थिति के अनुसार शनिदेव अपने अच्छे या फिर बुरे प्रभाव डालते हैं जातक पर | अगर शुभ और शक्तिशाली शनि लग्न में बैठ जाए तो जातक को राजा बना सकता है तो वहीँ अगर ख़राब शनि बैठ जाए तो जातक का जीवन संघर्षो में गुजरता है |
जन्म कुंडली के पहले घर में शनि के अनुकूल प्रभाव :
यदी शुभ शनि जातक के लग्न में हो तो जातक दूर दृष्टि रखता है और भविष्य को देखके सही निर्णय लेने वाला होता है| ऐसे लोग बहुत मेहनती और ईमानदार होते हैं | नौकरी में ऐसे लोग काफी उन्नति करते हैं |
ऐसे जातक गंभीर भी रहते हैं और अपने जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाने वाले रहते हैं | शनि के प्रभाव से जातक हमेशा सुरक्षित रास्ते पर भी चलने की सोचता है अर्थात सेफ साइड लेके चलते हैं |
शुभ शनि के प्रभाव से जातक के सम्बन्ध अधिकारी वर्ग से भी अच्छे बनते हैं, अच्छे लोगो से दोस्ती होती है, समाज में अलग ही पहचान बनती है |
जन्म कुंडली के पहले घर में शनि के प्रतिकूल प्रभाव :
यदी जन्म कुंडली के पहले भाव में अशुभ शनि बैठ जाए तो जातक नकारात्मक विचारों के कारण परेशां रहता है, हर काम में देरी होती है, अलास्यता के कारण जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है, गुस्सा और अहंकार के कारण संबंध भी टूटते रहते हैं |
- सरदर्द की समस्या से जूझते रह सकते हैं |
- कई जातक तो झगडालू भी हो जाते हैं |
- गलत निर्णय के कारण जातक बहुत हानि उठाता रहता है |
- जीवनसाथी के साथ भी सम्बन्ध तनावपूर्ण रहते हैं |
- जातक शक करने वाला हो सकता है |
- समय समय पर किसी न किसी प्रकार के भय से जातक गुजरता रहता है |
- जातक को उसकी मेहनत का फल भी सही तरीके से प्राप्त नहीं होता है |
- कई लोग तो अनैतिक कार्यो से जुड़ जाते हैं और बहुत नुकसान उठाते हैं |
- कुछ लोग लगातार असफलता का सामना करते हुए अवसादग्रस्त हो जाते हैं |
- आय के स्थिर स्त्रोत नहीं मिल पाता है |
- वैवाहिक जीवन भी संतोषजनक नहीं रह पाता है |
आइये जानते हैं की प्रथम भाव में ख़राब शनि के कारण अगर परेशानी आये तो क्या उपाय कर सकते हैं ?
- स्वछता का विशेष ध्यान रखें |
- अनैतिक कार्यो और नकारात्मक सोच के लोगो से दूर रहें |
- गरीबों और जरुरतमंदो की मदद करते रहें |
- छाया दान समय समय पर करते रहें |
- सफाई करने वाले लोगो से अच्छे सम्बन्ध बना के रखें |
- शनि शांति के लिए जप भी करवा सकते हैं |
Conclusion:
जन्म कुंडली के पहले घर में मौजूद शनि ग्रह जातक को ऊँचे पद पर भी पंहुचा सकता और नीचे भी गिरा सकता है| अपने आपको अनुशाषित रखके हम शनि ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को और बढ़ा सकते हैं |
पर ये बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए की पहले घर में शनि के प्रभाव से जातक को मेहनत तो बहुत करना होगी और जीवन में नए नए चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना होगा |
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