Mahavidya Stotram Ke Fayde , महाविद्या स्त्रोत्रम का पाठ क्यूँ करें ?, शक्ति-आत्मविश्वास और सफलता के लिए विशेष स्त्रोत पाठ |
Mahavidya Stotram: श्री मुण्ड-माला-तन्त्र में दिया गया "महा-विद्या-स्तोत्रम्" एक अद्भुत और शक्तिशाली स्त्रोत हैं जिसका पाठ करके हम देवी के विभिन्न रूपों की पूजा कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं |
इस ब्रह्माण्ड के हर रूप और हर वस्तु में देवी की शक्ति समाहित हैं और इसीलिए इनका अस्तित्तव है |
महाविद्या स्त्रोत्रम का पाठ करके हम देवी के विभिन्न रूपों और शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं |
उनके विभिन्न रूप हैं - महाकाली, माँ तारा, महा त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, देवी भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला। Mahavidya Stotram
Mahavidya Stotram Ke Fayde |
महाविद्या स्तोत्रम के पाठ से क्या लाभ मिलते हैं :
- देवी कृपा से भक्त को भौतिक और अध्यात्मिक जगत में सफलता प्राप्त होती है |
- शत्रुओ का नाश होता है |
- दुःख और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है |
- रोगों से छुटकारा मिलता है | Mahavidya Stotram
- आत्मशक्ति का विकास होता है |
- जीवन और दुनिया के प्रति नई समझ प्राप्त होती है |
Lyrics of Mahavidya Stotra(महाविद्या स्तोत्र ):
नमस्ते चण्डिके । चण्डि । चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि । नमस्ते कालिके । काल-महा-भय-विनाशिनी ।।।1।।
शिवे । रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरि-वल्लभे । प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्-पालन-कारिणीम् ।।2।।
जगत्-क्षोभ-करीं विद्यां, जगत्-सृष्टि-विधायिनीम् । करालां विकटा घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् ।।3।।Mahavidya Stotram
हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हर-वल्लभाम् । गौरीं गुरु-प्रियां गौर-वर्णालंकार-भूषिताम् ।।4।।
हरि-प्रियां महा-मायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् । सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्ध-विद्या-धर-गणैर्युताम् ।।5।।
मन्त्र-सिद्धि-प्रदां योनि-सिद्धिदां लिंग-शोभिताम् । प्रणमामि महा-मायां, दुर्गा दुर्गति-नाशिनीम् ।।6।।Mahavidya Stotram
उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र – गणैर्युताम् । नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।।7।।
श्यामांगीं श्याम-घटिकां, श्याम-वर्ण-विभूषिताम् । प्रणामामि जगद्धात्रीं, गौरीं सर्वार्थ-साधिनीम् ।।8।।
विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् । आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।।9।।
श्रीदुर्गां धनदामन्न-पूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् । प्रणमामि जगद्धात्रीं, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।।10।।
त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् । शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।।11।।
सुन्दरीं तारिणीं सर्व-शिवा-गण-विभूषिताम् । नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।।12।।
सर्व-सिद्धि-प्रदां नित्यामनित्य-गण-वर्जिताम् । सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।।13।।Mahavidya Stotram
विद्यां सिद्धि-प्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् । महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।।14।।
प्रणमामि जगद्धात्रीं, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् । रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।।15।।
भैरवीं भुवना-देवीं, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् । चतुर्भुजां दश-भुजामष्टा-दश-भुजां शुभाम् ।।16।।
त्रिपुरेशीं विश्व-नाथ-प्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् । अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।।17।।
कमलां छिन्न-मस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् । षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम् ।।18।।
सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्व-विद्या-मन्त्र-विशोधिनीम् । प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।।19।।Mahavidya Stotram
।।फल-श्रुति।।
इत्येवं व वरारोहे, स्तोत्रं सिद्धि-करं प्रियम् । पठित्वा मोक्षमाप्नोति, सत्यं वै गिरि-नन्दिनि ।।1।।
कुज-वारे चतुर्दश्याममायां जीव-वासरे । शुक्रे निशि-गते स्तोत्रं, पठित्वा मोक्षमाप्नुयात् ।।2।।
त्रिपक्षे मन्त्र-सिद्धिः स्यात्, स्तोत्र-पाठाद्धि शंकरी । चतुर्दश्यां निशा-भागे, शनि-भौम-दिने तथा ।।3।।
निशा-मुखे पठेत् स्तोत्रं, मन्त्र-सिद्धिमवाप्नुयात् । केवलं स्तोत्र-पाठाद्धि, मन्त्र-सिद्धिरनुत्तमा । जागर्ति सततं चण्डी-स्तोत्र-पाठाद्-भुजंगिनी ।।4।।
।। श्रीमुण्ड-माला-तन्त्रे एकादश-पटले महा-विद्या-स्तोत्रम् ।।Mahavidya Stotram
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