Narayan Astra Mantra Ke Fayde Aur Lyrics, क्यों पढना चाहिए नारायण अस्त्र मन्त्र, किनके लिए बहुत फायदेमंद है |
नारायण अस्त्र, भगवान विष्णु की कृपा से भक्तो की रक्षा करते हैं जो भी नारायण अस्त्र मंत्र का पाठ करते हैं उनकी रक्षा स्वयं नारायण करते हैं | ये मंत्र एक शातिशाली कवच है जिसको भेदना इस ब्रह्माण्ड में किसी के बस की बात नहीं है |
इस मंत्र में भगवन श्री हरी से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाने के लिए प्रार्थना की गई है जैसे बीमारियाँ, सभी प्रकार के दोष, सभी प्रकार के बाधाएं आदि | इस मंत्र में शत्रुओं के नाश के लिए भी प्रार्थना की गई है | जीवन का ऐसा कोई संकट नहीं जो नारायण अस्त्र मंत्र के पाठ से दूर नहीं हो सकता हो |
Narayan Astra Mantra Ke Fayde Aur Lyrics |
जो मनुष्य प्रतिदिन तीनो काल में नारायण अस्त्र का जाप करता है उसे दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन, विद्या, पराक्रम और हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है ।
इसके विधान में बताया गया है की -
जो कोई भी इस मंत्र का भक्ति और संयम के साथ पाठ करता है वह विष्णु जी की कृपा से सुरक्षित हो जाता है, कोई भी विष उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, कोई भी संक्रमण हानि नहीं पंहुचा सकता है, जातक युद्ध में विजय होता है |
इस मंत्र को भोजपत्र पर लिखना चाहिए गोरचन और जल मिलकर और ताबीज की तरह बाँध लेना चाहिए, इससे रक्षा होती है सभी बाधाओं से | इसे कोई भी महिला और पुरुष बाँध सकता है |
भूत-पिशाच, डायन, शाकिनियां आदि भी इस कवच के होते कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं |
जो मनुष्य प्रतिदिन तीनो काल में नारायण अस्त्र का जाप जाप करता है उसे दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन, विद्या, पराक्रम और हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है ।
आइये जानते हैं Narayan Astra Mantra पाठ के क्या फायदे होते हैं ?
- इसके पाठ करने वाले के ऊपर से सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है |
- जातक को स्वास्थ्य और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है |
- जातक किसी भी प्रकार के रोग से छुटकारा पा सकता है |
- किसी भी प्रकार की विषम स्थिति हो ये मंत्र रक्षा करता है |
- नारायण अस्त्र मंत्र के पाठ से शत्रु परास्त होते हैं |
- अगर कोई किसी प्रकार के तंत्र बाधा से ग्रस्त है तो ये नारायण अस्त्र मंत्र के पाठ से बच सकते हैं |
- जीवन में किसी भी प्रकार का दोष हो, वे सब नष्ट होते हैं |
- किसी भी प्रकार के दुर्भाग्य से जातक बच जाता है |
- अज्ञात भय अगर सता रहा हो तो नारायण अस्त्र मंत्र के पाठ से दूर होता है |
Lyrics of Narayan Astra Mantra/ श्री नारायणास्त्र मंत्र:
'ॐ नमो भगवते श्रीनारायणाय नमो नारायणाय विश्वमूर्तये नमः श्री पुरुषोत्तमाय पुष्पदृष्टिं प्रत्यक्षं वा परोक्षं वा अजीर्णं पंचविषूचिकां हन हन ऐकाहिकं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिक ज्वरं नाशय नाशय चतुरशीतिवातानष्टादशकुष्ठान् अष्टादशक्षय रोगान् हन हन सर्वदोषान् भंजय-भंजय तत्सर्वं नाशय नाशय शोषय-शोषय आकर्षय आकर्षय शत्रून मारय मारय उच्चाटयोच्चाटय विद्वेषय-विद्वेषय स्तम्भय-स्तम्भय निवारय - निवारय विघ्नैर्हन - विघ्नैर्हन दह दह मथ-मथ विध्वंसय-विध्वंसय चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ चक्रेण हत्वा परविद्यां छेदय-छेदय भेदय-भेदय चतुःशीतानि विस्फोटय-विस्फोटय अर्शवातशूलदृष्टि सर्पसिंहव्याघ्र द्विपदचतुष्पद-पद- बाह्यान्दिवि भुव्यन्तरिक्षे अन्येऽपि केचित् तान्द्वेषकान्सर्वान् हन हन विद्युन्मेघनदी - पर्वताटवी - सर्वस्थान रात्रिदिनपथचौरान् वशं कुरु कुरु हरिः ॐ नमो भगवते ह्रीं हुं फट् स्वाहा ठः ठं ठं ठः नमः ।'
पढ़िए महाविद्या स्त्रोत्रम के फायदे
।। विधानम् ।।
एषा विद्या महानाम्नी पुरा दत्ता मरुत्वते ।
असुराञ्जितवान्सर्वाञ्च्छ क्रस्तु बलदानवान् ।। 1।।
यः पुमान्पठते भक्त्या वैष्णवो नियतात्मना ।
तस्य सर्वाणि सिद्धयन्ति यच्च दृष्टिगतं विषम् ।। 2।।
अन्यदेहविषं चैव न देहे संक्रमेद्ध्रुवम् ।
संग्रामे धारयत्यङ्गे शत्रून्वै जयते क्षणात् ।। 3।।
अतः सद्यो जयस्तस्य विघ्नस्तस्य न जायते ।
किमत्र बहुनोक्तेन सर्वसौभाग्यसंपदः ।। 4।।
लभते नात्र संदेहो नान्यथा तु भवेदिति ।
गृहीतो यदि वा येन बलिना विविधैरपि ।। 5।।
शतिं समुष्णतां याति चोष्णं शीतलतां व्रजेत् ।
अन्यथां न भवेद्विद्यां यः पठेत्कथितां मया ।। 6।।
भूर्जपत्रे लिखेन्मंत्रं गोरोचनजलेन च ।
इमां विद्यां स्वके बद्धा सर्वरक्षां करोतु मे ।। 7।।
पुरुषस्याथवा स्त्रीणां हस्ते बद्धा विचेक्षणः ।
विद्रवंति हि विघ्नाश्च न भवंति कदाचनः ।। 8।।
न भयं तस्य कुर्वंति गगने भास्करादयः ।
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रामग्राही तु डाकिनी ।। 9।।
शाकिनीषु महाघोरा वेतालाश्च महाबलाः ।
राक्षसाश्च महारौद्रा दानवा बलिनो हि ये ।। 10।।
असुराश्च सुराश्चैव अष्टयोनिश्च देवता ।
सर्वत्र स्तम्भिता तिष्ठेन्मन्त्रोच्चारणमात्रतः ।। 11।।
सर्वहत्याः प्रणश्यंति सर्व फलानि नित्यशः ।
सर्वे रोगा विनश्यंति विघ्नस्तस्य न बाधते ।। 12।।
उच्चाटनेऽपराह्णे तु संध्यायां मारणे तथा ।
शान्तिके चार्धरात्रे तु ततोऽर्थः सर्वकामिकः ।। 13।।
इदं मन्त्ररहस्यं च नारायणास्त्रमेव च ।
त्रिकालं जपते नित्यं जयं प्राप्नोति मानवः ।। 14।।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं ज्ञानं विद्यां पराक्रमः ।
चिंतितार्थ सुखप्राप्तिं लभते नात्र संशयः ।। 15।।
।। इति नारायणास्त्र कवच ।।
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