Holashtak 2025 कब से है?, भारत में 2025 में होलाष्टक कब शुरू होता है?, क्या करें, निषिद्ध कार्य, होलाष्टक 2025 प्रारंभ और समाप्ति तिथि, what is holastak. Holashtak 2025: होलाष्टक होली उत्सव के 8 दिन पहले यानी रंगों के त्योहार से पहले शुरू हो जाता है और अध्यात्मिक के साथ तंत्र साधना करने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यदि कोई अपने जीवन में स्वास्थ्य, धन, शत्रु आदि के कारण पीड़ित है तो इन दिनों में पूजा करना अच्छा होता है। Holastak kya hota hai jyotish anusar Read in english about what is HOLASTAK? होलाष्टक क्या है? हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक 8 दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार होलाष्टक के 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश,नए कार्यो की शुरुआत आदि | होलाष्टक रंग के त्योहार के आगमन का प्रतिनिधित्व करता है। होलिका दहन के साथ होलाष्टक का समापन होता है । Holashtak 2025 Watch Video Here इस साल 2025 में 7 मार्च शुक्रवार से शुरू होगा holashta...
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Mother Parvati Mata is also known as Adi Shakti. Goddess Parvati ji has been considered paramount in Hinduism. It is believed that Goddess Parvati is the giver of all happiness in the material world. All wishes are fulfilled by worshiping her and singing Chalisa. The Chalisa of Mata Parvati has a very special significance.
Those who are facing problems in marriage life can get benefit by reciting this parwati chalisa daily.
Those who are deprive of family happiness can get benefit by worshipping goddess parwati daily.
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Goddess Parvati Chalisa |
Lyrics of PARVATI CHALISA:
॥ दोहा ॥जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे , पांच बदन नित तुमको ध्यावे
शशतमुखकाही न सकतयाष तेरो , सहसबदन श्रम करात घनेरो ।।
तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हिट सजाता
आधार प्रबाल सद्रसिह अरुणारेय , अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित लालट विलेपित केशर कुमकुम अक्षतशोभामनोहर
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्या लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा , जाहि देखि सहजहि मन लोभ
बालार्जुन अनंत चाभी धारी , आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन , टॉपर राजित हरी चारुराणां
इन्द्रादिक परिवार पूजित , जग मृग नाग यज्ञा राव कूजित ।।
श्री पार्वती चालीसा गिरकल्सिा,निवासिनी जय जय
कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।।
त्रिभुवन सकल , कुटुंब तिहारी , अनु -अनु महमतुम्हारी उजियारी
कांत हलाहल को चबिचायी , नीलकंठ की पदवी पायी ।।
देव मगनके हितुसकिन्हो , विश्लेआपु तिन्ही अमिडिन्हो
ताकि , तुम पत्नी छविधारिणी , दुरित विदारिणीमंगलकारिणी ।।
देखि परम सौंदर्य तिहारो , त्रिभुवन चकित बनावन हारो
भय भीता सो माता गंगा , लज्जा मई है सलिल तरंगा ।।
सौत सामान शम्भू पहायी , विष्णुपदाब्जाचोड़ी सो धैयी
टेहिकोलकमल बदनमुर्झायो , लखीसत्वाशिवशिष चड्यू ।।
नित्यानंदकरीवरदायिनी , अभयभक्तकरणित अंपायिनी।
अखिलपाप त्र्यतपनिकन्दनी , माही श्वरी , हिमालयनन्दिनी ।।
काशी पूरी सदा मन भाई सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दातृ ,कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे , वाचा सिद्ध करी अबलाम्बे
गौरी उमा शंकरी काली , अन्नपूर्णा जग प्रति पाली ।।
सब जान , की ईश्वरी भगवती , पति प्राणा परमेश्वरी सटी
तुमने कठिन तपस्या किणी , नारद सो जब शिक्षा लीनी।।
अन्ना न नीर न वायु अहारा , अस्थिमात्रतरण भयुतुमहरा
पत्र दास को खाद्या भाऊ , उमा नाम तब तुमने पायौ ।।
तब्निलोकी ऋषि साथ लगे दिग्गवान डिगी न हारे।
तब तब जय , जय ,उच्चारेउ ,सप्तऋषि , निज गेषसिद्धारेउ ।।
सुर विधि विष्णु पास तब आये , वार देने के वचन सुननए।
मांगे उबा, और, पति, तिनसो, चाहत्ताज्गा , त्रिभुवन, निधि, जिन्सों ।।
एवमस्तु कही रे दोउ गए , सफाई मनोरथ तुमने लए
करी विवाह शिव सो हे भामा ,पुनः कहाई है बामा।।
जो पढ़िए जान यह चालीसा , धन जनसुख दीहये तेहि ईसा।।
<b>।।दोहा।।</b>
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुच खानी
पार्वती निज भक्त हिट रहाउ सदा वरदानी।
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